लौकी एक ऐसी सब्जी है जो अपने स्वास्थ्य संबंधी फायदों के लिए काफी लोकप्रिय है. बाजार में लौकी की मांग सालभर बनी रहती है जिसके कारण किसान बड़े पैमाने पर इसकी खेती करते हैं. लौकी की खेती किसानों के लिए फायदे का सौदा साबित हो सकती है. ऐसे में बहुत जरूरी है कि किसान लौकी की फसल की अच्छे से देखभाल करें. लेकिन कई बार लौकी की फसल अच्छे से बढ़ नहीं पाती है और उसमें लगने वाले फलों की संख्या कम हो जाती है. इस कारण से किसानों को नुकसान होता है और उनकी पैदावार भी कम हो जाती है. लौकी की फसल की अच्छी ग्रोथ के लिए जरूरी है कि किसान फसल को सही पोषण और खाद दें. कुछ ऐसे घरेलू उपाय हैं जिनके इस्तेमाल से किसान अपनी फसलों को अच्छी पैदावार दे सकते हैं और बाजार में उन्हें अपनी पैदावार की अच्छी कीमत भी मिलेगी.
केले के छिलके और गुड़ का घोल
लौकी की फसल में फल न आने पर परेशान होकर किसान महंगे-महंगे केमिकल उर्वरकों का इस्तेमाल करते हैं लेकिन उन्हें मनचाहा परिणाम नहीं मिलता है. ऐसे में कुछ घरेलू उपाय होते हैं जिनका इस्तेमाल कर किसान फसल से अच्छी पैदावार ले सकते हैं. फलों को अच्छी ग्रोथ के लिए पोटैशियम की जरूरत होती है. लौकी के पौधे को प्राकृतिक रूप से पोटैशियम देने के लिए किसान केले के छिलके और गुड़ का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके लिए किसानों को केले के छिलके और गुड़ को मिलाकर 2 दिन तक पानी में गलाना है. एक बार ये घोल बनकर तैयार हो जाए तो इसे लौकी की बेलों में डाल दें. इस घोल की मदद से लौकी के पौधे को प्राकृतिक पेटैशियम मिलेगा और पौधा तेजी से बढ़ेगा.
पौधे में करें सरसों की खली का इस्तेमाल
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, लौकी के पौधे की ग्रोथ के लिए सरसों की खली का इस्तेमाल बेहद कारगर साबित होता है. इसके इस्तेमाल के लिए किसान 100 ग्राम सरसों की खली को 1 लीटर पानी में मिलाकर रातभर भीगने के लिए रख दें. अगली सुबह घोल को अच्छे से मिलाकर सीधे पौधों की जड़ों में डालें. बता दें कि ये घोल पोषक तत्वों से भरपूर होता है जो कि लौकी के पौधे की ग्रोथ को तेज करता है. लेकिन किसानों को ध्यान रखना होगा कि इस घोल का इस्तेमाल महीने में केवल 2 बार ही करें.
इन कारणों से रुक सकती है पौधे की ग्रोथ
अगर किसानों के लौकी के पौधे की बेल बढ़ रही है लेकिन उसमें फल या फूल नहीं आ रहे हैं तो इसके कई कारण हो सकते हैं. इन कारणों में मिट्टी में नमी की कमी, पौधे का ज्यादा छाया वाली जगह में होना, कीटों का आक्रमण शामिल हैं. लेकिन अगर किसान जैविक उपायों का इस्तेमाल कर पौधे की देखभाल करते हैं तो पौधे का विकास तेजी से होता है.