आज के समय में खेती के साथ-साथ पशुपालन किसानों की आय बढ़ाने का एक मजबूत जरिया बन चुका है. पहले जहां किसान गाय-भैंस तक ही सीमित रहते थे, अब ऊंट पालन यानी कैमल फार्मिंग (Camel Farming) की तरफ भी तेजी से बढ़ रहे हैं. ऊंट का दूध हो या उसकी मेहनत करने की क्षमता, दोनों की बाजार में अच्छी मांग है. यही वजह है कि अब ऊंट पालन मुनाफे का सौदा बनता जा रहा है. खास बात यह है कि सरकार भी ऊंट पालन करने वाले पशुपालकों को आर्थिक मदद और प्रशिक्षण दे रही है, जिससे वे इस काम को और आसानी से कर सकें.
ऊंट पालन में कम खर्च, ज्यादा मुनाफा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, ऊंट पालन में सबसे बड़ी खासियत यह है कि इसमें खर्च कम आता है और मुनाफा ज्यादा होता है. एक ऊंट सामान्यतः सूखा वातावरण भी आसानी से झेल सकता है और कम खाने में भी जीवित रह सकता है. ऊंटनी का दूध आयुर्वेद के अनुसार कई बीमारियों से लड़ने में मदद करता है, जैसे डायबिटीज, अस्थमा और त्वचा रोग. बाजार में ऊंटनी के दूध की अच्छी कीमत मिलती है. वहीं, ऊंट बोझा ढोने, सवारी, मेलों और पर्यटन जैसी गतिविधियों में भी काम आता है, जिससे पशुपालकों को अलग-अलग स्रोतों से कमाई होती है. अगर एक किसान ऊंट पालन शुरू करता है, तो वह हर महीने लागत से दो गुना तक मुनाफा कमा सकता है.
सरकार से मिल रही ऊंट पालन में आर्थिक मदद
सरकार अब ऊंट पालन को बढ़ावा देने के लिए सरकारी योजनाओं के तहत अनुदान दे रही है. अगर कोई पशुपालक ऊंट पालन शुरू करना चाहता है तो उसे सरकार से वित्तीय सहायता, ऊंट खरीदने के लिए सब्सिडी और तकनीकी सलाह मिल सकती है. इसके साथ ही सरकार ऊंट के दूध को बेचने के लिए सरकारी डेयरी सेंटर (RCDF) की भी व्यवस्था कर रही है, ताकि पशुपालकों को इधर-उधर भटकना न पड़े और उनका दूध सही दाम पर बिक सके.
मिल रहा ऊंट पालन का मुफ्त प्रशिक्षण
सरकार पशुपालकों को सिर्फ आर्थिक सहायता ही नहीं दे रही, बल्कि उन्हें समय-समय पर प्रशिक्षण (Training) भी दिया जा रहा है. इन ट्रेनिंग प्रोग्राम्स में किसानों को बताया जाता है कि ऊंट की सही देखभाल कैसे करें, किस नस्ल के ऊंट ज्यादा फायदेमंद हैं, किस प्रकार का चारा देना चाहिए और ऊंटों की बीमारियों से कैसे बचाव करें. इन प्रशिक्षण कार्यक्रमों का मकसद यही है कि किसान इस व्यवसाय को वैज्ञानिक और आधुनिक तरीकों से करें, जिससे उनकी आय दोगुनी हो सके.
कौन सी होती है ज्यादा फायदेमंद
भारत में ऊंट की कुल 9 प्रमुख नस्लें पाई जाती हैं. हर नस्ल की अपनी खासियत होती है:
- राजस्थान: बीकानेरी, मारवाड़ी, जैसलमेरी, जालोरी, मेवाड़ी
- गुजरात: कच्छी, खरई
- मध्यप्रदेश: मालवी
- हरियाणा: मेवाती
इनमें से बीकानेरी और जैसलमेरी नस्लें सबसे ज्यादा उपयुक्त मानी जाती हैं क्योंकि ये कठिन मौसम और सूखे इलाकों में भी अच्छे से जीवित रहती हैं. इन नस्लों की ऊंटनियां ज्यादा दूध देती हैं और ऊंट ज्यादा वजन ढोने में सक्षम होते हैं.
ऊंट पालन के लिए जरूरी चीजें
ऊंट पालन करने के लिए बहुत बड़ी लागत की जरूरत नहीं होती, लेकिन कुछ बुनियादी सुविधाएं होना जरूरी है:-
- ऊंट के घूमने-फिरने के लिए खुला और सुरक्षित स्थान होना चाहिए.
- हरे चारे और सूखे चारे की अच्छी व्यवस्था करें.
- समय-समय पर टीकाकरण और स्वास्थ्य जांच करवाना जरूरी है ताकि ऊंट बीमार न पड़े.
- पानी की साफ व्यवस्था और गर्मियों में छांव का प्रबंध करें.
- अगर इन बातों का ध्यान रखा जाए, तो ऊंट पालन से एक स्थायी और अच्छा व्यवसाय खड़ा किया जा सकता है.