खेती से नहीं, इस फसल से छापिए पैसे, 1 किलो की कीमत 3 हजार तक

तीसरे साल से इस फसल का उत्पादन शुरू हो जाता है और करीब 12 साल तक यह फसल निरंतर उपज देती रहती है. एक एकड़ जमीन पर 800 से 1200 किलो उपज सकती है, जिसे बाजार में 2,000 से 3,000 रुपये प्रति किलो की कीमत मिलती है.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 9 Aug, 2025 | 12:57 PM

भारत में मसालों की खेती सदियों से किसानों के लिए एक मजबूत कमाई का जरिया रही है. इनमें से एक ऐसी ही अनमोल फसल है, मालाबार इलायची. यह सिर्फ एक मसाला नहीं, बल्कि किसानों के लिए एक पैसा छापने वाली मशीन साबित हो रही है. खास बात यह है कि एक बार मालाबार इलायची की खेती शुरू करने के बाद यह 12 साल तक लगातार मुनाफा देती रहती है. अगर आप सोच रहे हैं कम निवेश और लंबी अवधि की आमदनी के लिए कौन सी फसल उपयुक्त है, तो मालाबार इलायची आपके लिए बेहतरीन विकल्प है.

मालाबार इलायची की खेती क्यों खास?

मालाबार इलायची अपने तीव्र, गर्म और हल्की मीठी खुशबू के कारण मसालों में सबसे अधिक मांग वाली किस्म है. इसे खासतौर पर केरल के मालाबार क्षेत्र में उगाया जाता है, जहां यह कम बारिश और मौसमी बारिश के बावजूद अच्छी पैदावार देती है. इसकी खुशबू और स्वाद दोनों में ही खासियत होती है, इसलिए यह देश-विदेश के बाजारों में खूब बिकती है.

मुनाफे की कहानी

मालाबार इलायची की खेती में निवेश लगभग एक बार होता है, लेकिन लाभ कई सालों तक मिलता रहता है. तीसरे वर्ष से उत्पादन शुरू हो जाता है और करीब 12 साल तक यह फसल निरंतर उपज देती रहती है. एक एकड़ जमीन पर 800 से 1200 किलो इलायची उपज सकती है, जिसे बाजार में 2,000 से 3,000 रुपये प्रति किलो की कीमत मिलती है. इससे सालाना लाखों रुपए तक की आमदनी संभव है.

क्यों चुनें मालाबार इलायची?

कम रखरखाव: एक बार लगाई गई फसल बार-बार बोने की जरूरत नहीं.

लंबी आय: 12 साल तक निरंतर लाभ.

बाजार में मांग: देश और विदेश दोनों में निर्यात की संभावना.

अच्छा जलवायु अनुकूलन: कम बारिश वाले क्षेत्रों के लिए उपयुक्त.

किसान कैसे शुरू करें?

मालाबार इलायची की खेती का आसान तरीका (Process)

मिट्टी और स्थान का चुनाव: सबसे पहले लाल दोमट, काली दोमट या लैटेराइट मिट्टी वाली जमीन चुनें, जहां जल निकासी अच्छी हो. मिट्टी का pH 5.5 से 6.5 के बीच होना जरूरी है. 600 से 1200 मीटर की ऊंचाई और 15-35 डिग्री सेल्सियस तापमान वाले क्षेत्र सबसे उपयुक्त होते हैं.

बीज या पौधे का चयन: उच्च गुणवत्ता वाले मालाबार इलायची के बीज या पौधे नजदीकी नर्सरी या कृषि विभाग से लें. पौधों का स्वस्थ होना जरूरी है ताकि पैदावार अच्छी मिले.

क्यारियां बनाना: खेत में 30 सेंटीमीटर गहरी, 15 से 25 सेंटीमीटर ऊंची, और लगभग 1 मीटर चौड़ी क्यारियां बनाएं. प्रत्येक क्यारी की लंबाई 6 मीटर तक हो सकती है. पौधे के बीच कम से कम 1 मीटर की दूरी रखें ताकि पौधों को पर्याप्त जगह मिले.

रोपाई: बीज या पौधों को तैयार क्यारियों में सावधानी से लगाएं. यह सुनिश्चित करें कि पौधे सीधा और स्थिर हों.

सिंचाई और देखभाल: शुरुआती दिनों में नियमित सिंचाई करें. पानी ज़्यादा न दें, क्योंकि इलायची को ज्यादा पानी पसंद नहीं. सूखे मौसम में हल्की सिंचाई आवश्यक है.

खाद और पोषण: जैविक खाद और रासायनिक उर्वरक का संतुलित उपयोग करें. नीम की खली, गोबर की खाद और हरी खाद भी अच्छी होती है.

कीट और रोग नियंत्रण: पौधों को कीट और बीमारी से बचाने के लिए नियमित रूप से निरीक्षण करें. अगर कोई समस्या दिखे तो तुरंत उचित कीटनाशक या जैविक उपचार करें.

कटाई और संग्रहण: पौधा लगने के बाद लगभग तीसरे वर्ष से इलायची की फसल मिलने लगती है. इलायची को सावधानी से तोड़कर सुखाना चाहिए ताकि इसकी खुशबू और गुणवत्ता बनी रहे.

बिक्री और मार्केटिंग: अच्छी क्वालिटी की इलायची बाजार में 2,000 से 3,000 रुपये प्रति किलो तक बिकती है. इसे स्थानीय बाजार के अलावा विदेशों में भी निर्यात किया जा सकता है.

लगातार देखरेख: खेती के दौरान मौसम के अनुसार सिंचाई, खाद और कीट नियंत्रण पर ध्यान दें. निरंतर देखभाल से उपज और मुनाफा दोनों बढ़ते हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

किस देश को दूध और शहद की धरती (land of milk and honey) कहा जाता है?

Poll Results

भारत
0%
इजराइल
0%
डेनमार्क
0%
हॉलैंड
0%