क्या है नई सहकारिता नीति? इसके लागू होने से कितनी बदलेगी किसानों की मौजूदा स्थिति

अब तक देश के गांवों में सहकारी समितियां कई जगह सिर्फ कागजों पर या सीमित दायरे में काम कर रही थीं. लेकिन अब सरकार एक बड़ी योजना के तहत इसे पूरी तरह बदलने जा रही है. 24 जुलाई 2025 को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह इस नई नीति की घोषणा करेंगे.

नई दिल्ली | Updated On: 23 Jul, 2025 | 01:01 PM

सोचिए, किसी छोटे किसान के चेहरे पर वो संतोष भरी मुस्कान जब उसे अपनी उपज की सही कीमत मिलती है, जब उसके गांव में दूध उत्पादन से लेकर बीज भंडारण तक की सारी व्यवस्था उसकी अपनी सहकारी समिति चलाती है और ये सब हो रहा है एक नई सोच के साथ, नई राष्ट्रीय सहकारिता नीति 2025 के जरिए.

अब तक देश के गांवों में सहकारी समितियां कई जगह सिर्फ कागजों पर या सीमित दायरे में काम कर रही थीं. लेकिन अब सरकार एक बड़ी योजना के तहत इसे पूरी तरह बदलने जा रही है. आइए समझते हैं कि ये नीति है क्या, और इससे किसान की जिंदगी कैसे बदलेगी.

क्या है नई सहकारिता नीति 2025?

24 जुलाई 2025 को केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह इस ऐतिहासिक नीति की घोषणा करेंगे. यह नीति अगले 20 सालों यानी 2025 से 2045 तक के लिए सहकारिता क्षेत्र का रोडमैप तैयार करेगी.

इस नीति को पूर्व केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु की अध्यक्षता वाली 48 सदस्यीय समिति ने तैयार किया है. इसमें देशभर की सहकारी संस्थाओं, शिक्षाविदों और मंत्रालयों के प्रतिनिधियों की राय ली गई है. करीब 648 सुझावों को समावेश कर यह नीति बनाई गई है.

क्यों जरूरी थी नई नीति?

सहकारिता नीति आखिरी बार साल 2002 में बनाई गई थी, लेकिन तब से अब तक दुनिया, तकनीक और देश की अर्थव्यवस्था में बड़ा बदलाव आ चुका है. आज का दौर डिजिटल हो गया है, किसान नई-नई चुनौतियों से जूझ रहे हैं और गांवों में रोजगार की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा महसूस की जा रही है.

वहीं, कई जगहों पर सहकारी संस्थाएं अपनी अहम भूमिका निभाने में पिछड़ती दिखीं. ऐसे में अब एक आधुनिक, समावेशी और प्रोफेशनल नीति की जरूरत महसूस की गई है, जो सहकारिता को सिर्फ एक संस्था नहीं, बल्कि गांवों की आर्थिक रीढ़ की हड्डी बना सके.

किसानों की मौजूदा स्थिति में क्या बदलेगा?

1. आर्थिक स्वतंत्रता

नई नीति किसानों को मंडियों और बिचौलियों पर निर्भर रहने से मुक्त करेगी. सहकारी संस्थाएं सीधे किसानों से उपज खरीदेंगी और सही दाम देंगी.

2. सहकारी डेयरी, गोदाम और खाद बीज व्यवस्था

अब गांव की सहकारी समिति दूध संग्रह से लेकर खाद-बीज वितरण और अनाज भंडारण तक खुद करेगी. इससे गांवों में स्थानीय रोजगार बढ़ेगा.

3. महिला और युवा भागीदारी

नीति का खास जोर महिलाओं और युवाओं की सहकारी समितियों में भागीदारी बढ़ाने पर है. इससे सामाजिक न्याय और आर्थिक विकास दोनों को बल मिलेगा.

4. डिजिटल सहकारिता

सभी सहकारी समितियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म से जोड़ा जाएगा ताकि पारदर्शिता, त्वरित निर्णय और बेहतर प्रबंधन सुनिश्चित हो सके.

5. सहकारी शिक्षा और प्रशिक्षण

गांव के युवाओं को VAMNICOM, NCCT जैसे संस्थानों से प्रशिक्षण दिलाया जाएगा ताकि वे आधुनिक ढंग से समितियों को चला सकें.

‘विकसित भारत 2047’ में सहकारिता की भूमिका

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की परिकल्पना है कि 2047 तक भारत विकसित राष्ट्र बने. इस लक्ष्य में सहकारिता क्षेत्र एक मजबूत स्तंभ होगा. नई नीति सहकारिता को उद्यमशीलता का केंद्र बनाएगी. इसके साथ ही स्थानीय संसाधनों के बेहतर उपयोग को बढ़ावा देगी और हर गांव में सहकारी गतिविधियों को सक्रिय बनाएगी.

“सहकार से समृद्धि” अब जमीन पर दिखेगी

नई नीति कोई सिर्फ दस्तावेज नहीं, बल्कि एक जनांदोलन की शुरुआत है. सहकारी समितियां अब सरकारी योजनाओं का लाभ सीधे किसानों तक पहुंचाएंगी. गांव के संसाधनों से वहीं रोजगार और आमदनी पैदा होगी.

Published: 23 Jul, 2025 | 12:52 PM