मुंह में घुल जाते हैं राजस्थान के आम, जानें कौन सी हैं 5 बेस्ट किस्में

बॉम्बे ग्रीन आम की जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है जिसकी खेती मुख्य रुप से राजस्थान के भरतपुर, अलवर, धौलपुर और कोटा जिलों में की जाती है. कुछ इलाकों में आम की इस किस्म को संदरसा या मलीहाबादी भी कहा जाता है.

नोएडा | Published: 5 Jun, 2025 | 08:34 PM

गेहूं और चावल की तरह भारत में आम की खेती का इतिहास बहुत पुराना है. आम की अलग-अलग किस्मों की यहां सदियों से खेती की जाती है. बात करें इसके स्वाद की तो इसके बारे में सुनते ही सबके मुंह में पानी आने लगता है. केंद्रीय कृषि मंत्रालय के अनुसार भारत में आम की करीब 1 हजार से ज्यादा किस्में हैं. भारत में पाए जाने वाले इन आमों की सबसे खास बात ये है कि इन सभी किस्मों के आमों का नाम और स्वाद अलग-अलग होता है. आम का इस्तेमाल केवल फल के तौर पर ही नहीं बल्कि लोग आम का इस्तेमाल चटनी, अचार, आम पना आदि बनाने में भी करते हैं. देश के अलग-अलग राज्यों में आम की अलग-अलग किस्मों की बागवानी की जाती है. आज खबर में हम बात करेंगे राजस्थान के खास आमों के बारे में, जानेंगे कि कौन से राजस्थान के 5 बेस्ट आम.

राजस्थान के 5 बेस्ट आम

बॉम्बे ग्रीन (Bombay Green)

बॉम्बे ग्रीन आम की जल्दी पकने वाली किस्मों में से एक है जिसकी खेती मुख्य रुप से राजस्थान के भरतपुर, अलवर, धौलपुर और कोटा जिलों में की जाती है. कुछ इलाकों में आम की इस किस्म को संदरसा या मलीहाबादी भी कहा जाता है. जिस समय आम की अन्य किस्में पकना शुरू करती हैं बॉम्बे ग्रीन उस समय तक बाजार में बिकने लगता है. बाजार में इसकी कीमतें भी ज्यादा होती है. देखने में यह आम लंबा होता है, पकने के बाद भी इसका रंग हरा ही बना रहता है इसलिए इसे ग्रीन कहा जाता है. बात करें इसके स्वाद की तो यह हल्का मीठा होता है. यह किस्म ज्यादा उत्पादन देने के लिए जानी जाती है.

mango variety

Bombay Green Mango

दशहरी

दशहरी आम राजस्थान की एक लोकप्रिय और प्रमुख किस्म है. इसे खासतौर पर राजस्थान के भरतपुर, अलवर, धौलपुर, कोटा, झालावाड़, सवाई माधोपुर जिले में उगाया जाता है. आम की यह किस्म अपनी खुशबू, मिठास और मुलायम गूदे के लिए पूरे देश में जानी जाती है. इसका गूदा बिना रेशे का होता है साथ ही यह खाने में मुलायम और देखने में गाढ़ें पीले रंग का होता है. दशहरी आम आमतौर पर जून से जुलाई के बीच तैयार हो जाती है. राजस्थान में दशहरी आम को व्यावसायिक स्तर पर उगाया जाता है. बता दें कि बाजार में इसकी मांग बहुत ज्यादा होती है.

चौसा

राजस्थान में चौसा आम की खेती व्यावसायिक खेती के रूप में की जाती है. यह आम अपने बेहद मीठे स्वाद, गाढ़ें पीले रंग और बिना रेशे के गूदे के लिए जानी जाती है. राजस्थान में इसकी खेती मुख्य तौर पर कोटा, बारां, झालवाड़ा, भरतपुर और धौलपुर जिलों में की जाती है. इसकी खासियत है कि इसमें से प्राकृतिक खुशबू आती है. चौसा आम देखने में गहरा पीलें रंग का होता है और आकार में भी यह बड़ा होता है. बता दें कि आम की यह किस्म देर से पकने वाली किस्म है जो आमतौर पर जुलाई से अगस्त के बीच तैयार होती है. इसकी मांग उत्तर भारत में सबसे ज्यादा होती है, इसके साथ ही चौसा की मांग दुबई, गल्फ और यूके में भी रहती है.

लंगडा

यह आम स्वाद में बेहद ही मीठा होता है. इसके गूदे में रेशा नहीं होता है और खाने में बहुत ही मुलायम होता है. इसकी तेज खुशबू के कारण इसकी पहचान होती है. राजस्थान में लंगड़ा आम बहुत ही लोकप्रिय है. इसकी खेती पूर्वी और दक्षिणी -पूर्वी राजस्थान में बड़े पैमाने पर की जाती है. इसका रंग पकने के बाद भी हरा ही बना रहता है और आकार में यह अंडाकार होता है. जुलाई के पहले या दूसरे हफ्ते में आम की ये किस्म पककर तैयार हो जाती है. राजस्थान के कोटा, बूंदी, झालावाड़, बारां और अलवर जिलों में की जाती है. इसकी मांग उत्तर भारत में सबसे ज्यादा होती है. इसकी खासियत है कि इसकी शेल्फ लाइफ अच्छी होती है.

Rajasthan Mango

Kesar Mango

केसर

आम की यह किस्म एक अच्छी क्वालिटी वाली किस्म है. यह किस्म मूल रूप से गुजरात के जूनागढ़ की है लेकिन अब राजस्थान में भी केसर आम की खेती बड़े पैमाने पर की जा रही है. राजस्थान के कोटा, झालवाड़ा, बूंदी और बारां जिलों में इसकी खेती की जाती है. स्वाद में यह आम बेहद ही मीठा, गाढ़ा और मलाईदार होता है. इसकी खास खुशबू इसे आम की अन्य किस्मों से अलग बनाती है. इसकी खासियत है कि इसके स्वाद में हल्के केसर जैसा स्वाद आता है. जिसके कारण इसका नाम केसर पड़ा है.