उत्तर प्रदेश अब सिर्फ गेहूं या गन्ने की खेती में नहीं, बल्कि दुग्ध उत्पादन में भी पूरे देश में नंबर एक बन चुका है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हाल ही में आयोजित ‘भारत में पशु नस्लों का विकास’ कार्यशाला में यह दावा किया. उन्होंने बताया कि केंद्र और राज्य की डबल इंजन सरकार ने मिलकर किसानों और पशुपालकों के जीवन में समृद्धि लाने के लिए जो योजनाएं चलाई हैं, उनका असर अब दिखने लगा है. पशुधन के क्षेत्र में यूपी अब एक मॉडल राज्य बन चुका है, जहां नस्ल सुधार से लेकर दुग्ध संग्रहण तक हर स्तर पर बड़ी क्रांति दिख रही है.
एफएमडी मुक्त पशुधन की ओर बड़ा कदम
सीएम योगी ने कार्यशाला में खुरपका-मुंहपका (FMD) जैसी बीमारी पर चिंता जताई और कहा कि इस बीमारी से निपटने के लिए राज्य सरकार ने वैक्सीनेशन कार्यक्रम को गंभीरता से शुरू किया है. गोरखपुर में कृत्रिम गर्भाधान प्रशिक्षण संस्थान की शुरुआत और अमेठी, बरेली व मथुरा में पशुपालन अवसंरचना विकास निधि के तहत तीन बड़े प्रोजेक्ट का उद्घाटन इसी दिशा में उठाए गए कदम हैं. इससे पशुओं की सेहत सुधरेगी और उत्पादकता भी बढ़ेगी.
नस्ल सुधार से बनेगी स्थायी समृद्धि
इतना ही नहीं इस दौरान सीएम योगी ने बताया कि स्थानीय नस्लों के संरक्षण और सुधार पर फोकस करना जरूरी है. यूपी के अलग-अलग इलाकों में अलग नस्ल के गोवंश मिलते हैं. जो लोग देसी पद्धतियों से नस्ल सुधार में लगे, उन्हें फायदा हुआ. लेकिन कई जगह ये नस्लें अब गायब हो रही हैं. सरकार का जोर है कि नस्ल सुधार को वैज्ञानिक तरीके से बढ़ाया जाए ताकि पशुपालकों को लंबे समय तक लाभ मिल सके.
महिलाओं को आत्मनिर्भर बना रहे मिल्क प्रोड्यूसर ग्रुप
झांसी, गोरखपुर, आगरा और काशी जैसे क्षेत्रों में मिल्क प्रोड्यूसर ग्रुप चलाए जा रहे हैं, जिनसे लाखों महिलाएं जुड़ी हैं. ये महिलाएं समितियों के जरिए दूध इकट्ठा करती हैं और वैल्यू एडिशन कर आमदनी बढ़ाती हैं. सीएम योगी ने बताया कि ये पहलें आत्मनिर्भर भारत की दिशा में बड़ा कदम हैं और इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती मिल रही है.
बेसहारा पशुओं के लिए बनी योजनाएं
2017 के पहले बड़ी संख्या में पशुधन सड़कों पर घूमता था, जिससे किसान और आम लोग परेशान रहते थे. योगी सरकार ने निराश्रित गोआश्रय स्थल बनाकर इस संकट का समाधान निकाला. फिलहाल 14 लाख से ज्यादा गोवंश की देखभाल हो रही है. इतना ही नहीं, सहभागिता योजना के तहत पशुपालकों को गोवंश देकर हर महीने 1500 रुपये की मदद दी जा रही है. वहीं, कुपोषित परिवारों को बियाई हुई गाय देकर उनके जीवन में स्थायित्व लाने की कोशिश की जा रही है.
प्राकृतिक खेती के लिए 27 जिलों में विशेष अभियान
सीएम योगी ने रासायनिक खेती से हो रही बीमारियों पर चिंता जताई और कहा कि समाधान प्राकृतिक खेती में है. गो आधारित खेती, जिसमें देसी नस्ल की गायें अहम भूमिका निभा सकती हैं, वह आज के समय की सबसे बड़ी जरूरत है। राज्य के 27 जिलों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए विशेष अभियान चलाया जा रहा है. यह किसानों की आमदनी भी बढ़ाएगा और लोगों को स्वस्थ जीवनशैली देगा.
उत्तर प्रदेश में पशुपालन और कृषि के समन्वय से जो मॉडल तैयार हुआ है, वह सिर्फ प्रदेश नहीं, पूरे देश के लिए एक प्रेरणा है. यही वजह है कि योगी मॉडल अब ग्रामीण समृद्धि का नया चेहरा बन रहा है. सरकार पशुधन के संरक्षण और संवर्धन के लिए कई योजनाएं चला रही है. इन योजनाओं पर अब तक करोड़ों रुपये खर्च किए जा चुके हैं, जिससे पशुपालकों को सीधा लाभ मिल रहा है.