पंजाब में खाद की किल्लत से किसान परेशान हैं. वहीं, ‘सुपर’ नाम के एक खास उर्वरक उत्पाद को चार गुना ज्यादा कीमत पर बेच जा रहा है. ऐसे में इसकी बिक्री को लेकर विवाद खड़ा हो गया है. लेकिन प्रदेश के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़ियां का कहना है कि नियमों की तकनीकी सीमाओं के कारण वे इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर पा रहे हैं.
द ट्रिब्यून के मुताबिक, किसानों का कहना है कि ‘सुपर’ नाम और पैकेजिंग को देखकर उन्हें लगा कि यह उच्च गुणवत्ता वाला उर्वरक (सिंगल सुपर फॉस्फेट -SSP) है. लेकिन असल में यह सिर्फ कैल्शियम सल्फेट है, जो सामान्य जिप्सम जैसा ही होता है और सिर्फ मिट्टी सुधारक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है. किसानों की माने तो जहां सामान्य जिप्सम का दाम करीब 205 रुपये प्रति 50 किलो बैग है, वहीं यह ‘सुपर’ नाम वाला उत्पाद 759 रुपये प्रति बैग तक बेचा जा रहा है.
निजी डीलरों द्वारा बेचा जा रहा उत्पाद
कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुड़ियां ने कहा कि उनका विभाग ‘सुपर’ नामक उत्पाद की बढ़ी हुई कीमत पर फिलहाल कोई कार्रवाई नहीं कर सकता, क्योंकि यह उत्पाद सहकारी समितियों के जरिए बांटा जा रहा है, जिन्हें अंतिम उपभोक्ता माना जाता है. ऐसे मामलों में कृषि विभाग के नियम लागू नहीं होते. उन्होंने कहा कि नियमों के अनुसार हम तभी कार्रवाई कर सकते हैं जब यह उत्पाद निजी डीलरों द्वारा बेचा जा रहा हो. उस स्थिति में हम सैंपल लेकर लैब में जांच करा सकते हैं और अगर गड़बड़ी मिलती है तो बिक्री पर रोक लगा सकते हैं.
सामान्य जिप्सम के नाम पर सुपर की बिक्री
हालांकि, खुड़ियां ने यह भी स्वीकार किया कि अत्यधिक कीमत वाकई चिंता का विषय है. गौरतलब है कि किसान नेता जगजीत सिंह डल्लेवाल सहित कई किसानों ने इस मुद्दे को उठाते हुए इसे ‘सुपर’ के नाम पर एक बड़ा घोटाला बताया है. किसानों का आरोप है कि राज्य में करीब 10 कंपनियां जिप्सम को ‘सुपर’ नाम से पैक और बेच रही हैं, जिससे किसानों को गुमराह किया जा रहा है और उनका आर्थिक शोषण हो रहा है. उनका कहना है कि जो उत्पाद ‘सुपर’ के नाम से बेचा जा रहा है, वह सामान्य जिप्सम जैसा ही है या उससे थोड़ा ही बेहतर है, जिसमें कैल्शियम की मात्रा भी बहुत कम है.