भारत में कृषि उत्पादों का सुरक्षित स्टोरेज हमेशा से बड़ी चुनौती रहा है. फसल कटाई के बाद किसानों को अक्सर बारिश आंधी और कीट-पतंगों के कारण भारी नुकसान झेलना पड़ता है. खासकर गेहूं और चावल जैसे अनाजों की स्टोरेज व्यवस्था कमजोर होने से लाखों टन अनाज बर्बाद हो जाता है, जो सीधे किसानों की कमाई पर असर डालता है. इस समस्या को दूर करने के लिए देश के कई हिस्सों में आधुनिक तकनीक का सहारा लिया जा रहा है. इसको देखते हुए राजस्थान के अलवर में प्रदेश का पहला स्टील का बेलननुमा साइलो केंद्र स्थापित किया गया है, जो किसानों की फसल को प्राकृतिक आपदाओं से बचाने का काम करेगा.
आधुनिक साइलो का पायलट प्रोजेक्ट
अलवर में शुरू हुए इस पायलट प्रोजेक्ट के तहत स्टील से बने छह बेलननुमा साइलो बनाए गए हैं. ये साइलो 10 एकड़ क्षेत्र में फैले हुए हैं और करीब 250 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किए गए हैं. यह राजस्थान का पहला ऐसा केंद्र है जहां तीन साल तक गेहूं, चावल और अन्य अनाज को सुरक्षित रखा जा सकेगा. अब तक भंडारण की कमी के कारण बारिश, आंधी और कीट संक्रमण से किसानों की फसल को भारी नुकसान होता था, जो अब इस आधुनिक तकनीक के जरिए खत्म होगा.
अनाज की सुरक्षा और क्वालिट बनी रहेगी
साइलो अनाज को नमी, कीट और खराब मौसम से बचाने में मदद करता है. इसमें अनाज को कंप्यूटर नियंत्रित तापमान और नमी स्तर पर रखा जाता है, जिससे उसकी क्वालिटी लंबे समय तक बनी रहती है. अलवर के साइलो में तापमान 28 डिग्री से अधिक और नमी 12 प्रतिशत से ज्यादा नहीं होने दी जाती. इससे अनाज खराब नहीं होता और किसान की आय में वृद्धि होती है.
अलवर एफसीआई के मैनेजर का बयान
अलवर एफसीआई केंद्र के मैनेजर करणसिंह मीणा ने बताया कि फिलहाल इस साइलो में देश की विभिन्न मंडियों से आने वाले गेहूं और चावल का भंडारण किया जाएगा. शुरुआत में आसपास के दस मंडियों के अनाज को रखा जाएगा, बाद में भरतपुर, धौलपुर, करोली के साथ पंजाब और हरियाणा से आने वाले अनाज का भी भंडारण होगा. यह केंद्र किसानों को बेहतर भंडारण सुविधा प्रदान करेगा और फसल की बर्बादी को रोकेगा.
साइलो की तकनीकी खूबियां और क्षमता
साइलो एक स्टील का बेलननुमा टैंक होता है, जो आधुनिक तकनीक से लैस है. अलवर में बने छह बड़े टैंकों में कुल 75 हजार मीट्रिक टन अनाज सुरक्षित रखा जाएगा. इनमें तीन बल्क साइलो और चार बैंगिंग साइलो शामिल हैं. प्रत्येक टैंक लगभग 12,500 मीट्रिक टन अनाज समायोजित कर सकता है. यह साइलो करीब ढाई साल में तैयार हुआ है और इसमें लगभग 15 लाख बोरियों का स्टॉक रखा जा सकता है. जिसमें 75 हजार साइलो में और 16 हजार 700 मिट्रिक टन एफसीआई के पक्के गोदाम में भंडारण हो सकेगा.
राजस्थान के और जिलों में साइलो का विस्तार
अलवर में स्थापित साइलो मॉडल सफल साबित होने पर राजस्थान के अन्य जिलों में भी छह नए साइलो केंद्र स्थापित किए जाएंगे. इससे किसानों की फसल की सुरक्षा बढ़ेगी और अनाज की बर्बादी कम होगी. राज्य सरकार ने इस पहल को कृषि क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण कदम माना है, जो किसानों की आमदनी में सुधार लाने में मदद करेगा.