सिंचाई, उन्नत बीज और MSP ने बदली तस्वीर, एमपी में खाद्यान्न उत्पादन 55 लाख टन बढ़ा

मोहन सरकार के इन दो वर्षों में खेती को केवल उत्पादन तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने पर खास जोर दिया गया. एमएसपी पर खरीदी का दायरा बढ़ाया गया, ई-उपार्जन व्यवस्था को मजबूत किया गया और भुगतान को तेजी से किसानों के खातों तक पहुंचाया गया.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 13 Dec, 2025 | 01:19 PM

Madhya Pradesh News: मोहन यादव सरकार के दो वर्ष पूरे होने पर मध्य प्रदेश की खेती एक बार फिर चर्चा के केंद्र में है. जिस राज्य को कभी केवल परंपरागत खेती के लिए जाना जाता था, आज वही प्रदेश उत्पादन, उत्पादकता और कृषि प्रबंधन के नए कीर्तिमान गढ़ रहा है. बीते दो वर्षों में खेतों से निकले आंकड़े यह साफ संकेत देते हैं कि खेती अब केवल मौसम की मेहरबानी पर नहीं, बल्कि नीतियों, योजनाओं और तकनीक के सहारे आगे बढ़ रही है. इन्हीं प्रयासों का नतीजा है कि प्रदेश में खाद्यान्न उत्पादन में रिकॉर्ड 55 लाख टन की बढ़ोतरी दर्ज की गई है, जो अपने आप में ऐतिहासिक मानी जा रही है.

खेती की तस्वीर बदली, आंकड़ों ने दी गवाही

सरकारी आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2023-24 में मध्य प्रदेश का कुल खाद्यान्न उत्पादन जहां 5.34 करोड़ मीट्रिक टन था, वहीं 2024-25 में यह बढ़कर 6.13 करोड़ मीट्रिक टन तक पहुंच गया. यानी सिर्फ एक साल में ही प्रदेश ने 55 लाख टन से ज्यादा अतिरिक्त अनाज पैदा किया. कुल कृषि उत्पादन भी 7.24 करोड़ टन से बढ़कर 7.79 करोड़ मीट्रिक टन हो गया. यह बढ़ोतरी केवल किसी एक फसल तक सीमित नहीं रही, बल्कि लगभग सभी प्रमुख फसलों में सुधार देखने को मिला.

गेहूं, मक्का और धान बने मजबूती की रीढ़

मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, प्रदेश की खेती में गेहूं हमेशा से मजबूत आधार रहा है और बीते दो वर्षों में इसकी चमक और बढ़ी है. गेहूं उत्पादन 3.28 करोड़ टन से बढ़कर 3.82 करोड़ टन तक पहुंच गया. मक्का उत्पादन में तो और भी बड़ा उछाल देखने को मिला, जो 48.68 लाख टन से बढ़कर 69.37 लाख टन तक पहुंच गया. धान उत्पादन में भले ही कुल मात्रा में हल्की गिरावट आई हो, लेकिन इसकी प्रति हेक्टेयर उत्पादकता में बढ़ोतरी दर्ज की गई है. यह संकेत देता है कि किसान अब कम जमीन में ज्यादा उपज लेने की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं.

दलहन और तिलहन में भी बदलाव की झलक

दलहन और तिलहन फसलों में उतार-चढ़ाव के बावजूद सरकार का फोकस इन पर बना रहा. सोयाबीन, मूंगफली और तिल जैसी फसलों ने प्रदेश की कृषि अर्थव्यवस्था को संतुलन दिया. मूंग और उड़द के उत्पादन में बढ़ोतरी हुई, जिससे किसानों को फसल विविधीकरण का फायदा मिला. हालांकि चने के उत्पादन में कमी आई, लेकिन विशेषज्ञ मानते हैं कि बदलते मौसम और बोवनी के रुझान का इसमें बड़ा असर रहा.

उत्पादकता बढ़ी, तकनीक बनी साथी

केवल उत्पादन ही नहीं, बल्कि उत्पादकता के मोर्चे पर भी मध्य प्रदेश ने लंबी छलांग लगाई है. कुल खाद्यान्न उत्पादकता 3322 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर से बढ़कर 3650 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर तक पहुंच गई. इसके पीछे उन्नत बीज, आधुनिक कृषि यंत्र, ड्रिप और स्प्रिंकलर जैसी सिंचाई तकनीक और समय पर खाद-बीज की उपलब्धता को बड़ा कारण माना जा रहा है.

किसानों की आय पर सरकार का सीधा फोकस

मोहन सरकार के इन दो वर्षों में खेती को केवल उत्पादन तक सीमित नहीं रखा गया, बल्कि किसानों की आय बढ़ाने पर खास जोर दिया गया. एमएसपी पर खरीदी का दायरा बढ़ाया गया, ई-उपार्जन व्यवस्था को मजबूत किया गया और भुगतान को तेजी से किसानों के खातों तक पहुंचाया गया. इससे किसानों में भरोसा बढ़ा और उन्होंने नई तकनीकों को अपनाने में रुचि दिखाई.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

आम धारणा के अनुसार तरबूज की उत्पत्ति कहां हुई?

Side Banner

आम धारणा के अनुसार तरबूज की उत्पत्ति कहां हुई?