खाद्यान्न उत्पादन में 7 फीसदी बढ़ोतरी की उम्मीद, 3577 लाख टन पहुंच सकता है प्रोडक्शन

कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि 2024-25 में कृषि जीवीए 24,76,805 करोड़ रुपये और खाद्यान्न उत्पादन 3577.32 लाख टन रहने का अनुमान है. पीएम-किसान योजना, ई-नाम, पीडीएमसी और सतत कृषि मिशन जैसी योजनाओं के माध्यम से किसानों को लाभ, तकनीकी मदद और सब्सिडी दी जा रही है.

Kisan India
नोएडा | Published: 10 Dec, 2025 | 06:50 PM

Agriculture News: कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने लोकसभा में एक लिखित जवाब में कहा कि वर्ष 2023-24 में, जीवीए के प्रथम संशोधित अनुमान के अनुसार, कृषि क्षेत्र का जीवीए (2011-12 की आधार कीमतों पर) 23,67,287 करोड़ रुपये रहा, जिसमें 2.7 फीसदी की वृद्धि हुई. अगले साल 2024-25 में यह बढ़कर 24,76,805 करोड़ रुपये होने का अनुमान है, यानी 4.6 फीसदी  की वृद्धि. इसी दौरान, कुल खाद्यान्न उत्पादन 3577.32 लाख टन रहने का अनुमान है, जो पिछले साल के 3322.98 लाख टन से 7.65 फीसदी यानी 254.34 लाख टन ज्यादा है.

उन्होंने कहा कि हालांकि किसानों को बीज, मजदूरी, कीटनाशक और उर्वरक  की बढ़ती लागत से बचाने के लिए कृषि एवं किसान कल्याण विभाग कई केंद्रीय योजनाएं चला रहा है. बाजार तक पहुंच सुधारने के लिए सरकार राष्ट्रीय कृषि बाजार (ई-नाम) भी चला रही है, जिससे किसान और व्यापारी पूरे देश के बाजारों से जुड़कर एक पारदर्शी और प्रतिस्पर्धी डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अपने उत्पाद बेच सकें. राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन कार्य योजना (NAPCC) के तहत राष्ट्रीय सतत कृषि मिशन चलाया जा रहा है, जिसका मकसद भारतीय कृषि को बदलते मौसम के अनुकूल बनाना है. इसके लिए नई रणनीतियां और तकनीकें विकसित की जा रही हैं.

पोषण से भरपूर फसल की किस्मों का हो रहा विकास

केंद्रीय राज्य मंत्री ने कहा कि भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) उच्च उपज, जलवायु अनुकूल और पोषण से भरपूर फसल किस्मों का विकास कर रही है. साथ ही क्षेत्र-विशिष्ट उत्पादन और संरक्षण तकनीकों को किसानों तक पहुंचाने के लिए प्रशिक्षण, परीक्षण, फ्रंटलाइन प्रदर्शन, खेत दौरों और सोशल मीडिया जैसे कई कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं. उन्होंने कहा कि पीएम-किसान योजना  फरवरी 2019 में शुरू की गई एक केंद्रीय योजना है, जिसमें कृषि योग्य जमीन वाले किसानों के बैंक खातों में सालाना 6,000 रुपये तीन किस्तों में सीधे ट्रांसफर किए जाते हैं. उच्च आय वाले कुछ किसानों को छोड़कर योजना का लाभ केवल कृषि योग्य भूमि रखने वाले किसानों को मिलता है.

30 लाख से अधिक नए किसानों को जोड़ा गया

रामनाथ ठाकुर ने कहा कि पीएम-किसान योजना में पारदर्शिता और सही वितरण सुनिश्चित करने के लिए कई तकनीकी कदम उठाए गए हैं, जैसे पीएफएमएस, यूआईडीएआई और आयकर विभाग के साथ एकीकरण. केवल योग्य किसानों तक लाभ पहुंचाने के लिए भूमि सत्यापन, आधार आधारित भुगतान और ई-केवाईसी को अनिवार्य किया गया है. उन्होंने कहा कि योजना का कवरेज बढ़ाने और किसी भी योग्य किसान को वंचित न रहने देने के लिए भारत सरकार समय-समय पर राज्य सरकारों के साथ सैचुरेशन अभियान चलाती है. 15 नवंबर 2023 से विकसित भारत संकल्प यात्रा के तहत 1 करोड़ से अधिक किसानों को शामिल किया गया. नई सरकार की 100 दिनों की पहल में 25 लाख और सितंबर 2024 के विशेष अभियान में 30 लाख से अधिक नए किसानों को जोड़ा गया.

किसानों को 45 फीसदी सब्सिडी दी जाती है

उन्होंने कहा कि साथ ही, कृषि विभाग 2015-16 से केंद्र प्रायोजित योजना ‘प्रति बूंद अधिक फसल’ (पीडीएमसी) चला रहा है. यह योजना ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई से खेतों में जल उपयोग दक्षता बढ़ाने पर केंद्रित है. 2015-16 से 2021-22 तक इसे पीएमकेएसवाई के तहत और 2022-23 से राष्ट्रीय कृषि विकास योजना (आरकेवीवाई) के तहत लागू किया जा रहा है. इसमें छोटे और सीमांत किसानों  को 55 फीसदी और अन्य किसानों को 45 फीसदी सब्सिडी दी जाती है.

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