Multi Layer Farming: भारत की आबादी लगातार बढ़ रही है और खेती की जमीन घटती जा रही है. ऐसे में छोटे और सीमांत किसान जिनके पास एक एकड़ से भी कम जमीन है, अब उनके लिए अपने परिवार का पालन-पोषण करना मुश्किल हो रहा है. लेकि ऐसे किसानों को अब चिंता करने की जरूरत नहीं है. अगर वे मल्टी लेयर फार्मिंग को अपनाते हैं, तो एक एकड़ में ही 10 से 15 लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं. खास बात यह है कि इस विधि से खेती करने पर ज्यादा खर्च भी नहीं आएगा. देश में कई किसान मल्टी लेयर फार्मिंग को अपनाकर लखपति बन गए हैं. तो आइए आज जानते हैं मल्टी लेयर फार्मिंग के बारे में.
दरअसल, पारंपरिक खेती में अक्सर एक ही फसल उगाई जाती है, जिससे जमीन का पूरा उपयोग नहीं हो पाता और फसलों के बीच खाली जगह बेकार चली जाती है. इस समस्या का सबसे अच्छा समाधान है मल्टी लेयर फार्मिंग यानी बहु-स्तरीय खेती. यह खेती का एक स्मार्ट तरीका है, जिससे किसान एक ही जमीन से ज्यादा फसल, ज्यादा आमदनी और कम संसाधनों में बेहतर उत्पादन पा सकते हैं.
मल्टी लेयर फार्मिंग में एक ही खेत में अलग-अलग ऊंचाई और गहराई पर कई फसलें एक साथ उगाई जाती हैं. इसे ऐसे समझें जैसे आपका खेत एक तीन मंजिला घर हो. नीचे वाली मंजिल पर अरबी जैसी जड़ वाली फसलें आपने लगाईं. बीच की परत में आलू या हल्दी जैसी फसलें बोई गईं. जबकि, ऊपर पालक जैसी हरी पत्तेदार सब्जियां और सबसे ऊपर करेला जैसी बेलदार फसलें लगाई गईं. इस तरह खेती करने से मिट्टी, पानी और धूप तीनों का पूरा उपयोग हो जाता है.
मल्टी लेयर फार्मिंग की खासियत
जगह का बेहतर उपयोग: ऊपर ऊंची फसलें और नीचे छाया पसंद करने वाली फसलें लगाई जाती हैं.
अलग-अलग जड़ें: हर पौधे की जड़ों की गहराई अलग होती है, इसलिए वे पोषक तत्वों के लिए एक-दूसरे से प्रतिस्पर्धा नहीं करते.
लगातार आमदनी: किसान पूरे साल अलग-अलग समय पर फसलें काटकर कमाई कर सकते हैं, एक ही फसल पर निर्भर नहीं रहते.
सतत खेती: इससे रासायनिक खादों पर निर्भरता कम होती है, पानी की बचत होती है और खरपतवार भी अपने आप नियंत्रित रहते हैं.
जमीन बन जाती है उपजाऊ
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, अभी देशभर में किसान अलग-अलग फसलों के संयोजन के साथ मल्टी लेयर फार्मिंग के प्रयोग कर रहे हैं और अच्छे नतीजे पा रहे हैं. केरल के कन्नूर से बीजू नारायणन हाई-डेंसिटी और मल्टी-लेयर खेती करके रमबुटान, मैंगोस्टीन और काली मिर्च जैसी विदेशी फसलें उगाते हैं. उनके खेत में अलग-अलग ऊंचाई वाली फसलें उगाई जाती हैं. जैसे नारियल के पेड़ लगभग 45 फीट ऊंचे, मैंगोस्टीन 25 फीट, काली मिर्च 15 फीट, केला 10 फीट और अदरक या कद्दू जैसी फसलें 2 से 5 फीट तक की ऊंचाई पर होती हैं. इस तरह की Vertical arrangement से हर फसल को पर्याप्त धूप मिलती है और जमीन बहुत ज्यादा उपजाऊ बन जाती है. यानी चार-पांच फसलें एक साथ उगाने की वजह से बीजू अपनी पैदावार और जगह का पूरा फायदा उठाते हैं और एक एकड़ से करीब 15 लाख रुपये तक की आमदनी कमाते हैं. उन्होंने अपने खेत को एक टिकाऊ और परतदार इकोसिस्टम में बदल दिया है, जो सालभर फलता-फूलता रहता है.
नतीजे जबरदस्त हैं
- एक ही जमीन से आय दो से तीन गुना तक बढ़ जाती है.
- परिवारों को साल भर सब्जियां, फल और जड़ वाली फसलें मिलती हैं, जिससे खाद्य सुरक्षा बनी रहती है.
- रोजगार के मौके बढ़ते हैं, क्योंकि फसलों की देखभाल और कटाई अलग-अलग समय पर होती है.
- पानी की बचत होती है, क्योंकि बेलदार फसलों की छाया से मिट्टी में पानी कम उड़ता है.
- किसान जलवायु परिवर्तन की चिंता कम करते हैं, क्योंकि यह बंद इकोसिस्टम फसलों की रक्षा करता है.