Strawberry Farming: अगर आप किसान हैं और सर्दियों में किसी ऐसी फसल की तलाश में हैं जिससे कम समय में अच्छा मुनाफा मिल सके, तो स्ट्रॉबेरी की खेती आपके लिए एक बेहतरीन विकल्प हो सकती है. यह फसल न सिर्फ स्वादिष्ट और देखने में खूबसूरत होती है, बल्कि बाजार में इसकी मांग और दाम दोनों काफी ऊंचे रहते हैं. खास बात यह है कि सर्दियों का मौसम स्ट्रॉबेरी की खेती के लिए सबसे उपयुक्त माना जाता है न ज्यादा ठंड, न ज्यादा गर्मी, बस वही संतुलित मौसम जो इस फल को बेहद मीठा और रसीला बनाता है.
सर्दियों में स्ट्रॉबेरी क्यों देती है बंपर पैदावार
स्ट्रॉबेरी एक ऐसी फसल है जो ठंडे और हल्के नमी वाले वातावरण में सबसे अच्छा पनपती है. इस मौसम में न तो बहुत ज्यादा धूप होती है और न ही तेज गर्म हवाएं चलती हैं. यही कारण है कि पौधे तेजी से विकसित होते हैं और फूल आने से लेकर फलों के पकने तक की प्रक्रिया बहुत सहज रहती है. किसानों का कहना है कि अगर स्ट्रॉबेरी की देखभाल नियमित रूप से की जाए जैसे समय पर सिंचाई, मल्चिंग और कीट नियंत्रण तो प्रति एकड़ उपज बहुत अच्छी मिलती है.
बाजार में बढ़ी मांग और ऊंचे दाम
सर्दियों में स्ट्रॉबेरी की मांग काफी बढ़ जाती है. चाहे बात फलों के बाजार की हो, मिठाई की दुकानों की या फिर होटल और रेस्टोरेंट्स की, हर जगह इसकी खपत तेजी से होती है. इसका कारण यह है कि यह फल सीजनल होता है और ठंड में इसका स्वाद सबसे अच्छा आता है. बाजार में ताजे और लाल स्ट्रॉबेरी के दाम 200 से 300 रुपये प्रति किलो तक पहुंच जाते हैं. ऐसे में किसान अगर फसल को सही समय पर बाजार में लाते हैं, तो उन्हें बहुत अच्छा मुनाफा मिल सकता है.
कम पानी में बेहतर खेती
सर्दियों में एक और बड़ा फायदा यह है कि स्ट्रॉबेरी को बहुत ज्यादा पानी की जरूरत नहीं होती. किसान ड्रिप इरिगेशन सिस्टम का इस्तेमाल करके पानी की काफी बचत कर सकते हैं. यह प्रणाली न केवल पानी की खपत घटाती है, बल्कि मिट्टी की नमी भी बनाए रखती है, जिससे पौधे स्वस्थ रहते हैं और फल ज्यादा मीठे बनते हैं.
कीट और बीमारियों से राहत
गर्मियों की तुलना में सर्दियों में कीट और बीमारियों का प्रकोप काफी कम होता है. ठंडे मौसम में हानिकारक कीटों की वृद्धि धीमी पड़ जाती है, जिससे फसल पर कीटनाशकों का खर्च भी घटता है. किसान जैविक तरीकों से भी फसल की सुरक्षा कर सकते हैं, जो मिट्टी की गुणवत्ता बनाए रखता है और उत्पादन को रासायन मुक्त बनाता है.
रोजगार और अतिरिक्त आय का जरिया
स्ट्रॉबेरी की खेती केवल किसानों के लिए ही नहीं, बल्कि स्थानीय लोगों के लिए भी रोजगार का अवसर बनती है. फसल की कटाई, पैकिंग और परिवहन में काफी श्रमिकों की जरूरत होती है. इसके अलावा किसान खुद भी प्रोसेसिंग यूनिट्स लगाकर जूस, जैम या स्क्वैश तैयार कर सकते हैं, जिससे अतिरिक्त आय के स्रोत खुलते हैं.
स्ट्रॉबेरी की खेती से जुड़ी सावधानियां
खेती शुरू करने से पहले मिट्टी की जांच कराना जरूरी है. स्ट्रॉबेरी के लिए रेतीली दोमट मिट्टी सबसे उपयुक्त रहती है, जिसका pH स्तर 5.5 से 6.5 के बीच होना चाहिए. पौधों की बुवाई अक्टूबर से नवंबर के बीच करना सबसे अच्छा रहता है. साथ ही, खेत में अच्छी जल निकासी की व्यवस्था जरूरी है क्योंकि स्ट्रॉबेरी के पौधे पानी भराव से जल्दी खराब हो जाते हैं.