अमेरिका के बाद मेक्सिको ने दिया धोखा, भारत समेत एशियाई देशों पर 50 फीसदी तक बढ़ेगा टैरिफ

मेक्सिको का कहना है कि स्थानीय उद्योगों को विदेशी सस्ते सामानों से भारी नुकसान हो रहा है. चीन, भारत, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड जैसे देशों से बड़ी मात्रा में आयात होने के कारण मेक्सिको के छोटे और मझोले उद्योग प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 11 Dec, 2025 | 11:44 AM

Mexico Tariff Hike: दुनिया भर में चल रही ट्रेड वॉर के बीच मेक्सिको ने एक बड़ा और चौंकाने वाला कदम उठाया है. देश की सीनेट ने भारत, चीन और एशिया के कई देशों से आने वाले आयातित सामानों पर भारी शुल्क बढ़ाने को मंजूरी दे दी है. यह नया फैसला 2026 से लागू होगा, और इससे ऑटोमोबाइल, स्टील, प्लास्टिक, कपड़ा और कई अन्य उत्पादों पर 35 से 50 फीसदी तक आयात शुल्क देना पड़ सकता है.

मेक्सिको का यह कदम वैश्विक व्यापार समीकरणों में बड़ा बदलाव ला सकता है और कई देशों की अर्थव्यवस्था पर सीधा प्रभाव डाल सकता है.

क्यों लिया गया इतना बड़ा फैसला?

इकोनॉमिक्स टाइम्स की खबर के अनुसार, मेक्सिको का कहना है कि स्थानीय उद्योगों को विदेशी सस्ते सामानों से भारी नुकसान हो रहा है. चीन, भारत, इंडोनेशिया, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड जैसे देशों से बड़ी मात्रा में आयात होने के कारण मेक्सिको के छोटे और मझोले उद्योग प्रतिस्पर्धा नहीं कर पा रहे.

इसलिए सरकार ने फैसला लिया है कि ऐसे देशों से आयात होने वाले सामानों पर भारी शुल्क लगाया जाए, खासकर उन पर जिनके साथ मेक्सिको का कोई व्यापारिक समझौता नहीं है.

विशेषज्ञों के मुताबिक यह कदम अमेरिका के साथ ट्रेड रिलेशन सुधारने के उद्देश्य से भी उठाया गया है, क्योंकि 2026 में USMCA (United States–Mexico–Canada Agreement) की समीक्षा होने वाली है. मेक्सिको किसी भी तरह अमेरिका को संकेत देना चाहता है कि वह चीनी और अन्य एशियाई उत्पादों पर निर्भरता कम करने के प्रयास कर रहा है.

किन उत्पादों पर कितना असर पड़ेगा?

सीनेट द्वारा पारित नए कानून के अनुसार, ऑटो और ऑटो पार्ट्स, कपड़ा और वस्त्र, स्टील और आयरन उत्पाद, प्लास्टिक और रबर, जैसे कई उत्पादों पर अब 50 फीसदी तक शुल्क लगाया जा सकता है. अधिकतर अन्य उत्पादों पर अधिकतम 35 फीसदी तक टैक्स तय किया गया है.

पहले प्रस्ताव में 1,400 उत्पादों पर टैक्स बढ़ाने की योजना थी, लेकिन संशोधित बिल में दो-तिहाई वस्तुओं पर टैक्स कम किया गया है ताकि फैसले के आर्थिक असर को थोड़ा नियंत्रित किया जा सके.

कारोबारी और देशों की आपत्तियां

भारत, चीन और अन्य देशों ने इस निर्णय पर नाराजगी जाहिर की है. उनका कहना है कि इतने अधिक शुल्क से द्विपक्षीय व्यापार प्रभावित होगा और निवेश का माहौल खराब हो सकता है.

मेक्सिको के कई कारोबारी संगठनों ने भी चेतावनी दी है कि ज्यादा शुल्क का बोझ आखिर में उपभोक्ताओं पर पड़ेगा, जिससे कीमतें बढ़ेंगी और महंगाई ऊपर जा सकती है.

इसके बावजूद मेक्सिको की संसद में यह बिल आसानी से पारित हो गया. 76 सांसदों ने समर्थन किया, जबकि सिर्फ पांच ने विरोध किया.

मेक्सिको का तर्क

मेक्सिको सरकार का मानना है कि नया टैक्स सिस्टम दो तरह से लाभ देगा-एक, स्थानीय उद्योगों को मजबूती मिलेगी; दूसरा, सरकारी राजस्व में बड़ा इजाफा होगा. वहीं अनुमान है कि नए शुल्क से अगले साल लगभग 3.76 अरब डॉलर (USD) जुटाए जा सकेंगे, जो मेक्सिको के वित्तीय घाटे को कम करने में मदद करेगा.

सरकार के सांसद इमैनुएल रेयेस ने कहा कि यह कदम सिर्फ टैक्स वसूली के लिए नहीं है, बल्कि यह देश की आर्थिक नीति को सही दिशा देने का तरीका है. यह रोजगार बचाने और ग्लोबल सप्लाई चेन में मेक्सिको की स्थिति मजबूत करने में मदद करेगा.

भविष्य में क्या हो सकता है?

विशेषज्ञों का मानना है कि यह फैसला मेक्सिको के लिए कूटनीतिक रूप से चुनौतीपूर्ण साबित हो सकता है. अमेरिका इस कदम से खुश हो सकता है, लेकिन चीन और अन्य एशियाई देशों के साथ संबंधों में खटास आ सकती है. यही कारण है कि आने वाले महीनों में मेक्सिको पर दबाव बढ़ सकता है कि वह अपने टैरिफ फैसले में कुछ नरमी लाए. फिलहाल इतना तय है कि यह कदम वैश्विक व्यापार नीति और एशियाई देशों के निर्यात पर बड़ा असर डालने वाला है.

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