भारत-यूके डील से चमकेगा रबर सेक्टर, भारतीय कंपनियों और किसानों को होगा बड़ा फायदा

भारत के प्राकृतिक रबर और उससे जुड़े उत्पादों के लिए एक बड़ा मौका है. अब निर्यातकों को यूके जैसे विकसित बाजार में बिना टैक्स के उत्पाद बेचने का अवसर मिलेगा, जिससे छोटे-बड़े सभी उद्यमों को लाभ होगा.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 28 Jul, 2025 | 01:06 PM

भारत और यूनाइटेड किंगडम (UK) के बीच होने वाले फ्री ट्रेड एग्रीमेंट (FTA) यानी व्यापक आर्थिक और व्यापार समझौते (CETA) से भारत के रबर उद्योग को बड़ी राहत मिलने वाली है. इस समझौते के तहत अब प्राकृतिक रबर और रबर उत्पादों पर यूके में कोई आयात शुल्क नहीं लगेगा, जिससे भारतीय निर्यातकों को नया बाजार और बेहतर कीमतें मिलने की उम्मीद है.

रबर उत्पादों पर अब नहीं लगेगा टैक्स

बिजनेस लाइन की खबर के अनुसार, इस समझौते में रबर और रबर से बने उत्पादों को “स्टेजिंग कैटेगरी A” में रखा गया है. इसका मतलब है कि इन उत्पादों पर तुरंत पूरी तरह से आयात शुल्क हटा दिया जाएगा. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे यूके को भारत से रबर उत्पादों का निर्यात मौजूदा 150.80 मिलियन डॉलर से काफी ज्यादा बढ़ सकता है.

निर्यात को मिलेगा नया पंख

रबर बोर्ड के मार्केटिंग डिप्टी डायरेक्टर बिनॉय कुरियन ने कहा कि यह समझौता भारत के प्राकृतिक रबर और उससे जुड़े उत्पादों के लिए एक बड़ा मौका है. अब निर्यातकों को यूके जैसे विकसित बाजार में बिना टैक्स के उत्पाद बेचने का अवसर मिलेगा, जिससे छोटे-बड़े सभी उद्यमों को लाभ होगा.

घरेलू सप्लाई की कमी के बावजूद मौका

हालांकि भारत में प्राकृतिक रबर की घरेलू मांग अधिक है और इसकी आपूर्ति कम रहती है, लेकिन रबर बोर्ड मानता है कि जब देश में कीमतें अंतरराष्ट्रीय बाजार से कम होती हैं, तब निर्यात करना एक रणनीतिक कदम बन सकता है. खासकर “कंसंट्रेटेड लेटेक्स ग्रेड” जैसे उत्पाद (HS Code 40011010), जो यूके को बड़े पैमाने पर निर्यात होते हैं, उनके लिए यह सुनहरा मौका है.

रबर किसानों को भी होगा फायदा

भारत अभी भले ही रबर का बड़ा निर्यातक न हो, लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि यूके बाजार में निर्यात बढ़ने से देश के रबर उत्पादकों को बेहतर कीमतें मिलेंगी. इससे किसानों का मनोबल भी बढ़ेगा और उत्पादन में भी तेजी आ सकती है.

रबर उद्योग के लिए तैयारी जरूरी

ऑल इंडिया रबर इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के अध्यक्ष शशि सिंह का कहना है कि यह समझौता भारतीय रबर उत्पाद उद्योग के लिए बहुत फायदेमंद हो सकता है, लेकिन इसके साथ ही यूके की पर्यावरण और गुणवत्ता संबंधी सख्त शर्तों को भी समझना और मानना जरूरी होगा. साथ ही यूके की कंपनियों को भी भारत के ऑटोमोबाइल और औद्योगिक सेक्टर में बेहतर एंट्री मिल सकती है.

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