Goat Farming : सर्दी, गर्मी, बारिश, सूखा.. जब खेती हर मौसम में जोखिम भरी होती जा रही है, तब गांवों में एक ऐसा काम तेजी से भरोसा जीत रहा है, जिसे लोग प्यार से गरीबों का ATM कहते हैं. यह काम है बकरी पालन. कम पूंजी, कम जोखिम और तेज मुनाफे की वजह से बकरी पालन अब किसानों और पशुपालकों के लिए कमाई का मजबूत जरिया बनता जा रहा है.
कम लागत में शुरू होने वाला फायदे का सौदा
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बकरी पालन की सबसे बड़ी खासियत इसकी कम लागत है. इसके लिए न बड़े खेत की जरूरत होती है और न ही महंगे इंतजाम की. कुछ बकरियों से भी यह काम शुरू किया जा सकता है. बकरियां झोपड़ी, बाड़े या खुले स्थान में आसानी से पल जाती हैं. इनके चारे का खर्च भी ज्यादा नहीं होता, क्योंकि ये घास-फूस, पत्तियां और सामान्य दाना खा लेती हैं. यही वजह है कि छोटे और सीमांत किसान भी इसे आसानी से अपना रहे हैं.
एक सीजन में लाखों की कमाई
बकरी पालन में कम समय में अच्छी कमाई संभव है. आमतौर पर एक बकरी एक सीजन में दो बच्चे देती है. अगर बच्चा नर हुआ और उसे खस्सी बनाया गया, तो उसकी बाजार में अच्छी कीमत मिलती है. खस्सी की मांग हमेशा बनी रहती है, खासकर त्योहारों और शादियों के मौसम में. इसी कारण कई पशुपालक एक सीजन में ही एक से दो लाख रुपये तक की कमाई कर रहे हैं.
बाजार में रहती है जबरदस्त मांग
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, बकरी पालन की सफलता का एक बड़ा कारण इसकी बाजार मांग है. बकरियों के लिए हाट-बाजार हर जगह आसानी से मिल जाते हैं. खस्सी की बिक्री जल्दी हो जाती है और दाम भी अच्छे मिलते हैं. इसके साथ ही बकरी का दूध भी बच्चों और बुजुर्गों के लिए फायदेमंद माना जाता है. इसकी कीमत सामान्य दूध से ज्यादा मिल जाती है , जिससे पशुपालकों को अतिरिक्त आमदनी होती है.
ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मिल रही मजबूती
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, बकरी पालन ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत कर रहा है. जिन लोगों के पास ज्यादा जमीन या पूंजी नहीं है, उनके लिए यह आत्मनिर्भर बनने का अच्छा रास्ता बन रहा है. महिलाएं और युवा भी इस काम से जुड़ रहे हैं. सही देखभाल, समय पर टीकाकरण और साफ-सफाई से बकरी पालन लंबे समय तक फायदा देता है. यही कारण है कि आज बकरी पालन सिर्फ सहायक काम नहीं, बल्कि गांवों में कमाई का भरोसेमंद मॉडल बनकर उभर रहा है.