अब AI की मदद से किसानों को मिलेगी मौसम, सिंचाई और कीट नियंत्रण की जानकारी.. नई पहल शुरू

ICRISAT ने जलवायु-रिसिलिएंट खेती के लिए AI और ML आधारित एग्रोमेट सलाह प्रणाली शुरू की है, जो सीमांत किसानों को रियल-टाइम, स्थान-विशेष मौसम और खेती से जुड़ी सलाह देगी. महाराष्ट्र में इसकी शुरुआत की गई है, जिससे किसानों को बुवाई, सिंचाई और कीट नियंत्रण में मदद मिलेगी.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 1 Aug, 2025 | 06:13 PM

इंटरनेशनल क्रॉप्स रिसर्च इंस्टीट्यूट फॉर द सेमी-एरिड ट्रॉपिक्स (ICRISAT) ने जलवायु बदलाव के अनुकूल खेती को बढ़ावा देने और किसानों की मदद के लिए एक नई पहल शुरू की है. इस पहल में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) और मशीन लर्निंग (ML) का इस्तेमाल कर किसानों को रियल-टाइम और व्यक्तिगत मौसम संबंधी सलाह दी जाएगी. इस प्रोजेक्ट का नाम है AI-पावर्ड कॉन्टेक्स्ट-स्पेसिफिक एग्रोमेट एडवायजरी सर्विसेज फॉर क्लाइमेट-रिजिलिएंट एग्रीकल्चर एट स्केल.

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, इस पहल का उद्देश्य छोटे किसानों को उनकी जगह और फसल के अनुसार सटीक मौसम और जलवायु संबंधी जानकारी देना है, ताकि वे जलवायु जोखिमों से बेहतर तरीके से निपट सकें. यह प्रोजेक्ट भारत सरकार के मॉनसून मिशन-III के तहत शुरू किया गया है और इसे 29-30 जुलाई को ICRISAT में आयोजित एक वर्कशॉप में लॉन्च किया गया. इस पहल का मुख्य हिस्सा है Intelligent Systems Advisory Tool (iSAT), जो पहले मॉनसून मिशन-II के दौरान विकसित किया गया था. यह टूल जलवायु और कृषि संबंधी जटिल आंकड़ों को आसान, वैज्ञानिक और व्यक्तिगत सलाह में बदलता है. अब इसे पूरी तरह AI-पावर्ड सिस्टम के रूप में अपग्रेड किया जा रहा है.

सीमांत किसानों को होगा सीधा फायदा

इस पहल में रियल-टाइम मौसम पूर्वानुमान, फसल मॉडल और मशीन लर्निंग एनालिटिक्स को एक साथ जोड़ा गया है, ताकि किसानों को बुवाई, सिंचाई और कीट नियंत्रण जैसे फैसलों के लिए सटीक और उपयोगी सलाह मिल सके. यह सलाह आसान डिजिटल माध्यमों से दी जाएगी, जिनमें एक AI-पावर्ड WhatsApp बॉट भी शामिल है, जिससे दूर-दराज के इलाकों के किसान भी आसानी से जुड़ सकें. इस पहल की शुरुआत महाराष्ट्र में की जा रही है, जहां इसे ICAR की एग्रो-मौसमीय फील्ड यूनिट्स (AMFUs) के जरिए छोटे किसानों पर फोकस करते हुए लागू किया जाएगा. इस पायलट प्रोजेक्ट से मिलने वाले अनुभवों के आधार पर इसे पूरे देश में लागू किया जाएगा और ग्लोबल साउथ के दूसरे देशों के लिए भी एक मॉडल के रूप में पेश किया जाएगा.

जलवायु संकटों से निपटने में करेगा मदद

यह डिजिटल प्लेटफॉर्म Mausam GPT जैसी भविष्य की जलवायु टेक्नोलॉजी के लिए भी अहम इनपुट्स देगा. ICRISAT के महानिदेशक डॉ. हिमांशु पाठक ने कहा कि यह डिजिटल प्लेटफॉर्म उन इलाकों में भी अपनाया जा सकता है जो भारत जैसे जलवायु संकटों का सामना कर रहे हैं. वहीं, IMD की एग्रोमेट डिविजन के प्रमुख डॉ. शिवानंद पाई ने कहा कि यह प्लेटफॉर्म किसानों तक जरूरी मौसम जानकारी सीधे पहुंचाकर आखिरी कड़ी की समस्या (लास्ट माइल गैप) को खत्म करने में मदद करेगा. इस मौके पर ICRISAT और कावेरी यूनिवर्सिटी के बीच एक समझौता (MoU) भी साइन किया गया. इसका मकसद जलवायु-समर्थ खेती को बढ़ावा देना, रिसर्च और टेक्नोलॉजी में सहयोग करना और स्टूडेंट एक्सचेंज के जरिए देशभर में नई प्रतिभा को तैयार करना है.

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Published: 1 Aug, 2025 | 06:06 PM

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