Sowing Gram: धान कटाई के साथ ही किसान रबी फसल की बुवाई की तैयारी में लग गए हैं. उत्तर प्रदेश, हरियाणा, पंजाब और मध्य प्रदेश में ज्यादातर किसान गेहूं की बुवाई करने की प्लानिंग कर रहे हैं. लेकिन एक्सपर्ट का कहना है कि अगर किसान गेहूं के साथ-साथ चना की खेती करते हैं, तो ज्यादा कमाई होगी. क्योंकि मार्केट में चना की मांग हमेशा रहती है और इसका रेट भी गेहूं से ज्यादा होता है. लेकिन किसानों को चना और मटर की बुवाई करने के दौरान कुछ खास तकनीकों को अपनाना होगा. तो आइए आज जानते हैं, तो चना की बुवाई करने का सही तरीका क्या है.
कृषि वैज्ञानिकों के मुताबिक, चना की बुवाई करने से पहले किसानों को उन्नत किस्म का चुनाव करना होगा. साथ ही बीज का उपचार करना और कीट-रोग नियंत्रण के आधुनिक तरीके अपनाना भी बहुत जरूरी है. इससे बीज अच्छी तरह से अंकुरित होंगे और फसल में कीटों के हमले भी कम होंगे. यानी ऐसी स्थिति में बंपर पैदावार होगी और किसान बाजार में अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं. दरअसल, चना एक दलहनी फसल है, जिसकी सामान्य और मटर जैसी दोनों किस्में बोई जाती हैं. इसलिए किसानों को अपनी मिट्टी और जलवायु के हिसाब से उपयुक्त किस्म का चयन करना चाहिए. आजकल कई उन्नत किस्में उपलब्ध हैं जिनका उत्पादन और रोग प्रतिरोधक क्षमता दोनों ज्यादा हैं.
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बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह समतल करें
एक्सपर्ट का कहना है कि चना की अच्छी पैदावार के लिए बीज का सही तरीके से उपचार करना बहुत जरूरी है. बीज को राइजोबियम कल्चर से ट्रीट करना चाहिए, क्योंकि यह मिट्टी में नाइट्रोजन बढ़ाता है और फसल की बढ़त में मदद करता है. इसके साथ ही बीज को फफूंदनाशी दवा और ट्राइकोडर्मा से भी उपचारित करना चाहिए, ताकि फफूंद और अन्य बीमारियों से बचाव हो सके. हालांकि, बुवाई से पहले खेत को अच्छी तरह समतल और भुरभुरा कर तैयार करें और लाइन से बुवाई करें. इससे पौधों की ग्रोथ अच्छी होती है, निराई-गुड़ाई आसान रहती है और उत्पादन भी ज्यादा मिलता है.
कीट प्रबंधन के लिए ऐसे करें उपचार
कई बार फसलों में कीट और बीमारियों का हमला हो जाता है. इसलिए किसानों को इंटीग्रेटेड पेस्ट मैनेजमेंट (IPM) यानी समेकित कीट प्रबंधन अपनाना चाहिए. इसमें खेत में प्राकृतिक तरीके से कीट नियंत्रण किया जाता है. जैसे लकड़ी या डंडियां लगाकर चिड़ियों को आकर्षित करना, जो कीटों को खाकर फसल की रक्षा करती हैं. अगर किसान बिना रासायनिक दवाओं के फसल उगाते हैं, तो उसकी गुणवत्ता बेहतर होती है और बाजार में मांग भी बढ़ जाती है. IPM अपनाकर किसान चना जैसी फसलों का उत्पादन बढ़ा सकते हैं और उन्हें ब्रांडेड उत्पाद के रूप में बेचकर ज्यादा मुनाफा कमा सकते हैं.