Haryana Agriculture News: हरियाणा सरकार राज्य में फसल विविधिकरण को बढ़ावा दे रही है. इसके लिए किसानों को ‘मेरा पानी मेरी विरासत’ (MPMV) के तहत प्रोत्साहित किया जा रहा है. लेकिन इसके बावजूद भी किसान इस योजना में दिलचस्पी नहीं ले रहे हैं. सरकारी आंकड़ों के मुताबिक, सरकार को उम्मीद थी कि MPMV के चलते किसान धान की जगह दूसरी फसलों की खेती करेंगे. पर सरकार को धान से अन्य फसलों की तरफ बदलाव की जो उम्मदी थी, उसका 20 फीसदी भी नहीं हो पाया. जबकि, किसान योजना का लाभ उठाने के लिए फर्जी तरीके से कलेम कर रहे हैं.
द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, किसानों द्वारा योजना का लाभ लेने के लिए दिए गए दावों में से लगभग 38 फीसदी दावे फर्जी पाए गए है. कृषि विभाग की टीम ने जमीनी स्तर पर जांच की तो कई दावों में गड़बड़ी मिली. योजना के तहत सरकार ने 1 लाख एकड़ क्षेत्र में धान की जगह दूसरी फसलें लगाने का लक्ष्य रखा था और इसके बदले किसानों को 8,000 रुपये प्रति एकड़ प्रोत्साहन देना था. लेकिन विभाग को सिर्फ 20,696 किसानों से आवेदन मिले, जिनमें 31,718 एकड़ को विविधिकृत करने का दावा किया गया. जांच के बाद पता चला कि वास्तव में सिर्फ 19,670 एकड़, यानी 13,500 किसानों की जमीन ही योजना के मानकों पर खरी उतरी.
कितने एकड़ में किन फसल की खेती का रखा गया लक्ष्य
यह योजना गिरते भूजल स्तर को बचाने के लिए शुरू की गई थी. यमुनानगर जिले में सबसे ज्यादा बदलाव देखने को मिला, लेकिन कोई भी जिला अपने लक्ष्य के 50 फीसदी तक भी नहीं पहुंच सका. सरकार ने फसल विविधिकरण योजना के तहत अलग-अलग फसलों के लिए जमीन तय की थी. जिसमें 39,835 एकड़ कपास, 29,080 एकड़ चारा/परती, 15,285 एकड़ सब्जियां और बागवानी, 6,440 एकड़ एग्रो-फॉरेस्ट्री, 5,245 एकड़ दालें, 3,500 एकड़ मक्का और 615 एकड़ तिलहन के लिए शामिल किए गए थे.
ऐसे किसानों को योजना के तहत प्रोत्साहन राशि मिलती है
हालांकि, काफी प्रचार-प्रसार के बावजूद ज्यादातर किसान अभी भी धान की खेती से ही जुड़े हुए हैं. उनका कहना है कि धान में पक्का मुनाफा और सरकारी खरीद होने से जोखिम कम रहता है. दूसरी तरफ, कपास में पिछले कुछ सालों से लगातार हो रहे नुकसान ने किसानों को फसल बदलने से और सावधान कर दिया है. जिलों में सबसे बड़ा लक्ष्य सिरसा को दिया गया था, उसके बाद यमुनानगर, जींद, फतेहाबाद, हिसार और कैथल का नंबर आता है. जो किसान कपास, मक्का, दालें, तिलहन, सब्जियां, चारा या एग्रो-फॉरेस्ट्री अपनाते हैं, उन्हें योजना के तहत प्रोत्साहन राशि मिलती है.