Haryana News: आज के दौर में जब ज्यादातर युवा पढ़ाई-लिखाई कर बड़ी-बड़ी प्राइवेट कंपनियों में काम करने के लिए मेहनत करते हैं, उस समय हरियाणा में एक ऐसा युवा भी है जो इन सबसे अलग हटकर सोचता है. जिसने नौकरी को छोड़ कर खेती को ही अपना करियर चुना और आज खेती में सफलता हालिस कर देश के अन्य किसानों के लिए मिसाल बन गए हैं. हम बात कर रहे हैं हरियाणा के फतेहाबाद जिले के 27 साल के युवा किसान रवि पुनिया की जो कि अपने खेतों में लहसुन की खेती करते हैं. खास बात ये है कि रवि खेती में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल करते हैं और उनकी खेती पूरी तरह से जैविक है. तकनीकों का इस्तेमाल कर युवा किसान रवि कश्मीरी गोल्डन की खेती से सालान लाखों में कमाई कर अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं. रवि बताते हैं कि कश्मीरी गोल्डन लहसुन की खेती से उनकी कमाई कई गुना बढ़ गई है.
पारंपरिक खेती छोड़ शुरू की लहसुन की खेती
हरियाणा के फतेहाबाद में रहने वाले 27 साल के युवा किसान रवि पुनिया ने बीएससी कृषि और राजनीतिक विज्ञान से एमए की पढ़ाई की है . उन्होंने बताया कि पहले वे अपनी जमीन पर धान, गेहूं, नरमा और सरसों जैसी फसलो की पारंपरिक खेती करते थे लेकिन उसमें उनकी लागत बहुत ज्यादा आती थी. उनका कहना है कि उनका खर्चा बहुत होता था और उत्पादन बहुत कम था जिस कारण उनकी कमाई भी बहुत कम होती थी. उन्होंने बताया कि कमाई बढ़ाने के लिए उन्होंने आधुनिक और जैविक तकनीकों का इस्तेमाल कर गोल्डन लहसुन की खेती शुरू की, जिससे वे सालाना 6 से 7 लाख रुपये कमा लेते हैं. जो कि पारंपरिक फसलों की खेती से होने वाली कमाई से कई गुना ज्यादा है.
कश्मीरी गोल्डन लहसुन की खेती
कश्मारी गोल्डन लहसुन की सबसे बड़ी खासियत है कि इसका 90 फीसदी हिस्सा सफेद और बचा हुआ 10 फीसदी हिस्सा गोल्डन होता है. साथ ही इसकी एक गांठ का वजन 250 से 800 ग्राम तक होती है जो कि सामान्य लहसुन से कई गुना बड़ा होता है. किसानों के बीज कश्मीरी गोल्डन लहसुन अब तेजी से बढ़ रही है क्योंकि हाजार में इसकी अच्छी कीमत मिलती है. बात करें इसकी पैदावार की तो इसकी प्रति एकड़ फसल से 90 से 100 क्विंटल सफेद लहसुन और करीब 10 क्विंटल तक गोल्डन लहसुन की पैदावार मिलती है. इसकी खेती करने का एक फायदा ये भी है कि इसकी खेती के लिए किसानों को बार-बार इसके बीजों को खरीदना नहीं पड़ता है.
बाजार में गोल्डन लहसुन की कीमत 1 हजार रुपये प्रति किलोग्राम या उससे भी ज्यादा हो सकती है. इस लहसुनी की एक और बड़ी खासियत है कि इसमें रोगों और कीटों का असर बहुत कम होता है. इसलिए किसानों को फफूंदनाशी या कीटनाशक दवाओं की जरूरत नहीं पड़ती, जिससे लागत घट जाती है और मुनाफा बढ़ जाता है.
औषधीय गुणों से भरपूर
मीडिया रिपोर्ट्स के अनुसार, कश्मीरी गोल्डन लहसुन औषधीय गुणों से भरपूर होता है. इस लहसुन के सेवन से गठिया, ब्लड प्रेशर और दिल की बीमारियों में आराम मिलता है. बता दें कि, इसमें एलिसिन तत्व की मात्रा ज्यादा होती है, जो कि शरीर को बीमारियों से लड़ने के लिए तैयार करता है. इसके अलावा इस लहसुन को लंबे समय तक स्टोर किया जा सकता है, किसान इसे करीब 1 साल तक सुरक्षित रख सकते हैं जबकि आमतौर पर लहसुन 4 से 6 महीने में अंकुरित हो जाते हैं.