Animal Infertility : गांवों में पशुपालन सिर्फ परंपरा नहीं, बल्कि किसानों की आमदनी का बड़ा जरिया भी है. पर जब पशु ही प्रजनन में असमर्थ हो जाएं, तो ये चिंता की बात बन जाती है. हाल के वर्षों में कई पशुओं में बांझपन (Infertility) की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे दूध उत्पादन और पशुपालन की कमाई पर बड़ा असर पड़ता है. आइए जानते हैं- आखिर क्यों बढ़ रही है यह समस्या और कैसे समय पर सावधानी से इसका समाधान किया जा सकता है.
पशुओं में बांझपन- अब बन चुकी है गंभीर समस्या
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, किसान भाइयों के लिए गाय-भैंस या बकरियों का प्रजनन न होना सबसे बड़ी परेशानी बन गया है. पहले जहां हर प्रसव के बाद पशु आसानी से गर्भ धारण कर लेता था, अब कई बार बार-बार कोशिशों के बाद भी गर्भ नहीं ठहरता. यह समस्या सिर्फ एक या दो नस्लों में नहीं, बल्कि सभी पशुओं में देखने को मिल रही है. इसका सीधा असर दूध उत्पादन और किसान की आमदनी पर पड़ता है.
क्रिप्टोर्चिडिज्म- जब पशु में शुक्राणु बनना हो जाता है मुश्किल
क्रिप्टोर्चिडिज्म (Cryptorchidism) एक ऐसी स्थिति है, जिसमें नर पशु का वृषण अंडकोष में नहीं उतर पाता. इस कारण शुक्राणु का निर्माण रुक जाता है और पशु प्रजनन में असमर्थ हो जाता है. यह समस्या जन्मजात भी हो सकती है और कई बार पोषण की कमी या हार्मोनल गड़बड़ी से भी होती है. इस स्थिति में पशु का इलाज पशु चिकित्सक की देखरेख में तुरंत शुरू करना जरूरी होता है.
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फ्री मार्टिन- जब जन्म के साथ ही होती है नपुंसकता
कुछ मामलों में जब नर और मादा बछड़ा एक साथ जन्म लेते हैं, तो उनके रक्त का आपसी संपर्क होने से मादा बछिया में प्रजनन अंगों का विकास रुक जाता है. इसे फ्री मार्टिन या नपुंसकता कहा जाता है. ऐसे पशु जीवनभर गर्भवती नहीं हो पाते. इस स्थिति की पहचान आमतौर पर किशोरावस्था के बाद की जाती है.
हाइमन और ल्यूकोरिया- जब प्रजनन मार्ग हो जाता है बाधित
कुछ मादा पशुओं में योनि के अंदर एक पतली झिल्ली (हाइमन) होती है, जो आमतौर पर खुद टूट जाती है. लेकिन जब यह झिल्ली मोटी हो जाती है और नहीं टूटती, तो पशु के गर्भाधान में दिक्कत आती है. इसी तरह ल्यूकोरिया यानी योनि संक्रमण भी गर्भ धारण की प्रक्रिया को प्रभावित करता है. ऐसी स्थिति में तुरंत डॉक्टर की सलाह लेकर उपचार करना चाहिए.
चोट या तनाव भी बन सकता है बांझपन का कारण
कई बार दुर्घटनावश चोट लगने, बार-बार इंजेक्शन देने, या खराब हैंडलिंग के कारण भी प्रजनन अंगों को नुकसान पहुंचता है. इसके अलावा, पशु को तनाव, गर्मी या ठंड का अधिक प्रभाव, खराब भोजन या पानी भी गर्भ धारण की प्रक्रिया को बाधित करते हैं. तनाव से ग्रस्त पशुओं में हार्मोन संतुलन बिगड़ जाता है, जिससे बांझपन की समस्या और बढ़ जाती है.
उपाय- थोड़ी देखभाल से हो सकता है बड़ा सुधार
पशुओं में बांझपन रोकने के लिए सही समय पर गर्भाधान कराना बेहद जरूरी है. अगर बार-बार असफलता हो रही हो, तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें. पशु को संतुलित आहार दें जिसमें हरा चारा, खनिज लवण और विटामिन हों. उन्हें मौसम के अनुसार छाया या आश्रय में रखें. साफ पानी हमेशा उपलब्ध कराएं और तनावमुक्त माहौल दें. हर प्रसव के बाद स्वास्थ्य जांच कराएं. अगर कोई पशु बार-बार गर्भवती नहीं हो रहा, तो उसका मेडिकल परीक्षण करवाना जरूरी है ताकि कारण का जल्द पता चल सके और समय पर इलाज किया जा सके. यह सावधानी पशुपालकों को बड़ा नुकसान होने से बचा सकती है.