पशुओं में बांझपन की बढ़ रही समस्या, जानिए वजह और घरेलू उपाय जो नुकसान से बचा लेंगे

आजकल पशुओं में बांझपन की समस्या तेजी से बढ़ रही है, जिससे पशुपालकों को नुकसान होता है. समय रहते सही देखभाल, संतुलित आहार और नियमित जांच से इस समस्या से बचा जा सकता है. यहां पर जानिए कौन से उपाय आपके पशुओं को बांझपन से बचाने में मदद कर सकते हैं और पशु को स्वस्थ रख सकते हैं.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 22 Oct, 2025 | 12:19 PM

Cattle care : किसान आज खेती के साथ-साथ पशुपालन से भी अच्छी कमाई कर रहे हैं. लेकिन पशुओं का स्वस्थ रहना ही इस व्यवसाय की सफलता की कुंजी है. हाल के वर्षों में किसानों के सामने एक बड़ी समस्या उभरकर आई हैं- पशुओं में बांझपन (Infertility). यह न केवल पशु की सेहत को प्रभावित करता है, बल्कि दूध उत्पादन और आर्थिक आमदनी पर भी सीधा असर डालता है. तो आइए जानते हैं कि यह समस्या क्यों होती है और कैसे इसे समय रहते रोका जा सकता है.

क्या है पशुओं में बांझपन की समस्या?

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पशुओं में बांझपन  का मतलब है कि पशु गर्भधारण करने में असमर्थ हो जाते हैं. यह स्थिति कभी अस्थायी होती है, तो कभी स्थायी भी हो सकती है. पहले यह समस्या उम्रदराज पशुओं में देखने को मिलती थी, लेकिन अब यह युवा गायों और भैंसों में भी आम होती देखी जा रही है. जानकारों का मानना है कि पशुओं को गलत चारा-पानी, संक्रमण, दूध उत्पादन के लिए इंजेक्शन या केमिकल वाले पौष्टिक तत्व के साथ ही तनाव भी वजह बन सकता है.

क्रिप्टोर्चिडिज्म से शुक्राणु प्रक्रिया पर असर

यह बीमारी नर पशुओं में देखने को मिलती है. एक रिपोर्ट के अनुसार पशुओं में क्रिप्टोर्चिडिज्म (Cryptorchidism) की स्थिति में अंडकोष में नसों का ठीक से प्रवाह नहीं हो पाता है. इससे शुक्राणु बनने की प्रक्रिया प्रभावित होती है और पशु प्रजनन  में असमर्थ हो जाता है. यही नहीं, ऐसे पशुओं में कैंसर जैसी बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. इसलिए समय रहते पशु की जांच कराना बेहद जरूरी है.

फ्री मार्टिन की समस्या

कई बार नर और मादा पशुओं के रक्त का मिश्रण गर्भावस्था के दौरान हो जाता है, जिससे मादा पशु में फ्री मार्टिन या नपुंसकता (Impotence) की समस्या उत्पन्न होती है. ऐसे पशु वयस्क  होने के बाद भी गर्भधारण नहीं कर पाते. यह समस्या जन्मजात होती है.  माना जाता है कि इसका कोई स्थायी इलाज नहीं होता, इसलिए पशुपालक को जन्म के शुरुआती समय में ही इसकी जांच करवा लेनी चाहिए.

स्थायी हाइमन (ल्यूकोरिया)

मादा पशुओं की योनि में एक पतला ऊतक (हाइमन) होता है, जो सामान्य रूप से टूट जाता है. लेकिन कई बार यह ऊतक बहुत मोटा होता है, जो संपर्क में आने पर भी नहीं टूटता. इस स्थिति को स्थायी हाइमन (Permanent Hymen) कहा जाता है. इससे पशु का प्रजनन बाधित होता है और गर्भधारण में कठिनाई आती है. ऐसे मामलों में पशु चिकित्सक की मदद से छोटी सर्जरी या उपचार करवाना जरूरी होता है.

पशु की जीवनशैली से जुड़ी गलतियां

कई बार पशुओं को लगी चोट या संक्रमण के कारण भी बांझपन की समस्या होती है. इसके अलावा गंदगी, पोषण की कमी, या अत्यधिक तनाव भी कारण बन सकते हैं. गर्भधारण के समय सही आहार न मिलने से पशु की प्रजनन क्षमता घट जाती है. इसलिए पशु को तनावमुक्त वातावरण, स्वच्छ पानी और पोषणयुक्त चारा देना बेहद जरूरी है.

पशुओं को बांझपन से बचाने के आसान उपाय

अगर आप अपने पशुओं को बांझपन  जैसी समस्या से बचाना चाहते हैं, तो कुछ आसान उपायों को रोजमर्रा की देखभाल में शामिल करें. हर 6 महीने में पशु की पूरी स्वास्थ्य जांच करवाएं ताकि किसी बीमारी का समय पर पता चल सके. जैसे ही पशु में गर्मी के लक्षण दिखें, उसकी देखभाल और खानपान पर विशेष ध्यान दें. नियमित रूप से पशु को संतुलित आहार और मिनरल मिश्रण खिलाएं. साफ-सुथरा, ठंडा और आरामदायक वातावरण बनाए रखें. जन्म के बाद से ही पशु को उचित पोषण देना शुरू करें और किसी भी प्रजनन संबंधी परेशानी पर तुरंत पशु चिकित्सक की सलाह लें.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 22 Oct, 2025 | 12:18 PM

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?

Side Banner

फलों और सब्जियों के उत्पादन में भारत किस नंबर पर है?