Goat Disease : सर्दियों का मौसम आते ही ग्रामीण इलाकों में बकरियों की सेहत को लेकर चिंता बढ़ने लगी है. इस बीमारी में पहले बिल्कुल ठीक दिखने वाली बकरियां अचानक गोल-गोल घूमने लगती हैं, शरीर टेढ़ा होता जाता है और कुछ ही दिनों में आंखों की रोशनी तक चली जाती है. कई मामलों में तो पशु की मौत भी हो जाती है. ठंड में तेजी से फैलती इस रहस्यमयी बीमारी ने बकरी पालने वालों को डरा दिया है. आखिर यह बीमारी क्या है और इससे कैसे बचा जा सकता है-आइए समझते हैं.
क्या है ये रहस्यमयी लक्षण?
मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, पशुपालकों का कहना है कि इस बीमारी की शुरुआत बहुत सामान्य तरीके से होती है. बकरी पहले सामान्य दिखती है, लेकिन धीरे-धीरे उसका शरीर एक तरफ झुकने लगता है. थोड़े समय बाद वह अपना संतुलन खो देती है और गोल-गोल घूमने लगती है. कई बार बकरी की आंखों की रोशनी चली जाती है, जिससे वह चल भी नहीं पाती. ऐसे लक्षण कहीं-कहीं इतने तेजी से बढ़ते हैं कि कुछ ही दिनों में बकरियों की मौत तक हो जाती है.
दिमाग तक पहुंच जाता है घातक लार्वा
पशु विशेषज्ञों के अनुसार, यह समस्या उन बकरियों में अधिक दिखाई देती है जिन्हें समय पर कृमिनाशक (deworming) दवा नहीं दी जाती. बरसात और सर्दियों का मौसम गर्भवती बकरियों के लिए और भी संवेदनशील होता है. इसी दौरान एक खास परजीवी का लार्वा बकरी के शरीर में प्रवेश कर जाता है और धीरे-धीरे दिमाग तक पहुंच जाता है. जब यह लार्वा ब्रेन में बैठ जाता है, तो बकरी का संतुलन बिगड़ना शुरू हो जाता है. यही कारण है कि वह गोल-गोल घूमती है, शरीर टेढ़ा हो जाता है और आगे चलकर आंखों की रोशनी भी चली जाती है. सबसे चुनौतीपूर्ण बात यह है कि इस बीमारी का कोई पूरी तरह सफल इलाज अभी उपलब्ध नहीं है.
गर्भवती बकरियों पर खास असर
ठंड और नमी का मौसम इस बीमारी को और सक्रिय कर देता है. गर्भवती बकरियों की इम्यूनिटी कमजोर होने के कारण वे इसका आसान शिकार बन जाती हैं. अचानक संतुलन बिगड़ना, चक्कर खाना, तिरछा शरीर और आंखों की रौशनी कम होना-ये सभी लक्षण इस समय तेजी से देखने को मिल रहे हैं. अगर समय पर इलाज न मिले तो बीमारी घातक साबित हो सकती है. इस बीमारी से न सिर्फ पशुपालक की कमाई प्रभावित होती है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था भी प्रभावित होती है, क्योंकि बकरियां कई परिवारों की मुख्य आय का साधन होती हैं.
समय पर कृमिनाशक दवा दें
विशेषज्ञों का कहना है कि इस बीमारी से बचाव का सबसे प्रभावी तरीका है-समय पर कृमिनाशक दवा देना. बरसात और सर्दियों में बकरियों को नियमित रूप से दवा देना बेहद जरूरी है, खासकर गर्भवती बकरियों को. इसके साथ ही, यदि किसी बकरी में चक्कर आना, टेढ़ा चलना या आंखों की रोशनी कम होना जैसे लक्षण दिखें, तो तुरंत पशु चिकित्सक से संपर्क करना चाहिए. साफ-सफाई, पौष्टिक आहार और गर्म वातावरण भी बकरियों की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाते हैं.