आज खेती का काम पहले जितना आसान नहीं रहा. मौसम बदल रहा है, लागत बढ़ रही है और फसलों का भाव भी स्थिर नहीं रहता. ऐसे में किसान लगातार इस बात की तलाश में रहते हैं कि खेती के साथ कोई अतिरिक्त आय का साधन भी बने. इसी जरूरत को देखते हुए सोलर पैनल खेती का नया साथी बनकर उभर रहा है. खेत की बंजर जमीन, ट्यूबवेल के ऊपर या सीमा पर सोलर पैनल लगाकर किसान न सिर्फ अपनी बिजली बचा सकते हैं बल्कि उसे बेचकर अच्छी आमदनी भी कर सकते हैं.
सोलर पैनल क्यों हैं किसानों के लिए फायदेमंद?
भारत जैसे देश में सूरज की रोशनी लगभग सालभर मिलती है. ऐसे में सौर ऊर्जा सबसे भरोसेमंद और किफायती विकल्प बन जाती है. खेतों में सोलर पैनल लगाने का लाभ यह है कि किसान अपनी सिंचाई के लिए मुफ्त बिजली पा सकते हैं और जो बिजली बचती है उसे ग्रिड में बेचकर नियमित आय अर्जित कर सकते हैं.
यह आय मौसम, बाजार और फसल के जोखिमों से पूरी तरह अलग होती है, इसलिए किसानों के लिए स्थायी आमदनी का बड़ा स्रोत बन सकती है.
प्रधानमंत्री कुसुम योजना
सरकार ने किसानों की आय बढ़ाने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री किसान ऊर्जा सुरक्षा एवं उत्थान महाभियान (PM-KUSUM) शुरू किया है. यह स्कीम किसानों को सौर ऊर्जा अपनाने के लिए आर्थिक सहायता देती है. योजना के तीन मुख्य घटक हैं, पहला, बंजर या गैर-खेती योग्य जमीन पर बड़े सौर संयंत्र लगाना; दूसरा, मौजूदा पंपों को सोलराइज करना; और तीसरा, डीजल या ग्रिड वाले पंपों की जगह सोलर पंप देना.
सबसे बड़ी बात यह है कि सरकार सोलर प्लांट लगाने की कुल लागत का लगभग 60 फीसदी तक सब्सिडी देती है. इससे किसानों पर आर्थिक बोझ काफी कम हो जाता है. इसके अलावा 30 फीसदी बैंक लोन मिलता है और सिर्फ 10 फीसदी किसान को स्वयं देना होता है.
कैसे बढ़ती है किसानों की आमदनी?
सोलर पैनल लगाने से किसानों को दो तरह का लाभ मिलता है. पहला, अपनी जरूरत की बिजली मुफ्त हो जाती है, जिससे सिंचाई की लागत शून्य के बराबर रहती है. दूसरा, अतिरिक्त बिजली को राज्य सरकारें तय दर पर खरीद लेती हैं.
उदाहरण के तौर पर यदि एक किसान 1 मेगावॉट का सोलर प्लांट लगाता है, तो साल में लगभग 15 लाख यूनिट बिजली पैदा होती है. इसे 3.5–5 रुपये प्रति यूनिट की दर से बेचकर किसान लगभग 40–50 लाख रुपये सालाना कमा सकते हैं. यह कमाई फसलों पर निर्भर न होकर स्थिर रहती है.
खाली या बंजर भूमि का सदुपयोग
कई राज्यों में किसानों के पास ऐसी जमीन होती है जो खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती. ऐसी जमीन सोलर प्लांट लगाने के लिए परफेक्ट मानी जाती है. इससे जमीन का उपयोग भी होता है और बिना फसल उगाए स्थायी आमदनी मिलती रहती है.
पर्यावरण हितैषी और टिकाऊ विकल्प
सोलर एनर्जी अपनाने से न केवल किसानों की आय बढ़ती है, बल्कि प्रदूषण भी कम होता है. यह ऊर्जा पूरी तरह स्वच्छ और नवीनीकरण योग्य है. डीजल पंपों की जगह सोलर पंप लगने से कार्बन उत्सर्जन में भी भारी कमी आती है.
कैसे करें आवेदन?
किसान PM-KUSUM योजना में आवेदन कर सकते हैं. इसके लिए वे एनर्जी डिपार्टमेंट, कृषि कार्यालय से संपर्क कर सकते हैं या सीधे योजना की वेबसाइट पर जाकर रजिस्ट्रेशन कर सकते हैं.
जरूरी दस्तावेजों में भूमि के कागज, पहचान पत्र और बैंक विवरण शामिल हैं. स्वीकृति के बाद सोलर कंपनी इंस्टॉलेशन का पूरा काम पूरा करती है.