Rabi Crops: भारत में इस साल रबी सीजन की शुरुआत बेहद मजबूत रही है. समय पर हुई धान कटाई, अनुकूल मौसम और शुरुआती ठंड ने किसानों को एक बार फिर रबी की फसलों की ओर तेजी से आकर्षित किया है. खेती की रफ्तार पिछले साल से कहीं ज्यादा दिखाई दे रही है, और सरकार के उत्पादन लक्ष्य को हासिल करने की उम्मीद भी बढ़ गई है. कृषि मंत्रालय के ताजा आंकड़े बताते हैं कि रबी फसलों का कुल रकबा पिछले साल की तुलना में लगभग 10 प्रतिशत बढ़ चुका है.
तेजी से बढ़ा रबी फसलों का कुल रकबा
देशभर में 14 नवंबर तक कुल 208.19 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में रबी की बुवाई पूरी हो चुकी है, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह आंकड़ा 188.73 लाख हेक्टेयर था. शुरुआती ठंड और साफ मौसम ने किसानों को समय पर खेत तैयार करने और बुवाई में मदद की है.
बार्ली (जौ) का रकबा इस बार करीब 50 प्रतिशत ज्यादा है, जबकि मोटे अनाज और मक्का में भी अच्छी बढ़ोतरी देखने को मिली है. कृषि विशेषज्ञों के अनुसार, समय पर बुवाई होने से उपज में सुधार की संभावना रहती है.
गेहूं की बुवाई में 17 प्रतिशत की बढ़ोतरी
इस साल गेहूं ने रबी सीजन में सबसे तेज रफ्तार पकड़ी है. 14 नवंबर तक गेहूं की बुवाई 66.23 लाख हेक्टेयर तक पहुंच गई है, जो पिछले साल के 56.55 लाख हेक्टेयर की तुलना में 17 प्रतिशत ज्यादा है.
करनाल स्थित भारतीय गेहूं एवं जौ अनुसंधान संस्थान (IIWBR) ने किसानों को सलाह दी है कि नवंबर में बुवाई कर रहे किसान 20 नवंबर तक काम पूरा कर लें. संस्थान ने यह भी कहा है कि अक्टूबर में गेहूं बोने वाले किसान समय पर सिंचाई और निराई-गुड़ाई करें ताकि शुरुआती अवस्था में फसल को नुकसान न पहुंचे.
दालों में भी बढ़ी तेजी, चना रकबा उछला
दालों का कुल रकबा इस बार 52.82 लाख हेक्टेयर दर्ज किया गया है, जो पिछले साल से करीब 8 प्रतिशत ज्यादा है.
चना में 10 प्रतिशत की बढ़ोतरी
मसूर में 12 प्रतिशत की बढ़ोतरी
किसानों को उम्मीद है कि इस बार दालों का बाजार बेहतर रहेगा और अच्छी कीमतें मिलेंगी.
धान, मक्का और अन्य अनाजों में भी वृद्धि
रबी धान की बुवाई भी इस बार तेजी से हुई है और यह पिछले साल की तुलना में 9 प्रतिशत ज्यादा है.
मक्का का रकबा 17 प्रतिशत बढ़ा है, जबकि जौ, ज्वार और बाजरा जैसे मोटे अनाजों में भी उल्लेखनीय वृद्धि हुई है.
सरकार का लक्ष्य – 171.14 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन
सरकार ने इस साल रबी सीजन के लिए 171.14 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य रखा है, जिसमें शामिल हैं—
गेहूं : 119 मिलियन टन
चावल : 15.86 मिलियन टन
दालें : 16.57 मिलियन टन
मक्का : 14.5 मिलियन टन
जौ : 2.05 मिलियन टन
तिलहन : 15 मिलियन टन (जिसमें सरसों प्रमुख)
प्रारंभिक बुवाई के आंकड़े बताते हैं कि यदि मौसम अनुकूल बना रहा तो इस लक्ष्य को हासिल करना मुश्किल नहीं होगा.