144 लाख हेक्टेयर में होगी खरीफ की बुवाई, 204 लाख टन से अधिक खाद्यान्न उत्पादन का लक्ष्य

सरकार ने इस खरीफ सीजन में 204.21 लाख टन खाद्यान्न और तिलहन उत्पादन का लक्ष्य तय किया है और इसके लिए उच्च गुणवत्ता वाले इनपुट्स (बीज, खाद आदि) की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है.

वेंकटेश कुमार
नोएडा | Published: 26 May, 2025 | 10:52 PM

महाराष्ट्र में इस साल कुल 144.97 लाख हेक्टेयर में फसलों की बुआई की योजना है. इसमें अनाज, दालें, तिलहन और कपास जैसी फसलें भी शामिल हैं. बुआई के लिए कुल 19.14 लाख क्विंटल बीजों की जरूरत है, जबकि 25.08 लाख क्विंटल बीज उपलब्ध हैं. खासतौर पर सोयाबीन के लिए 13.25 लाख क्विंटल बीज चाहिए, जबकि 17.15 लाख क्विंटल का स्टॉक मौजूद है. हालांकि सोयाबीन की बुआई में कमी का अनुमान है, लेकिन अधिकारियों ने भरोसा दिलाया है कि बीज और खाद दोनों की पर्याप्त उपलब्धता है. राज्य को इस बार 46.82 लाख मीट्रिक टन खाद का कोटा मिला है, जिसमें से अभी 25.57 लाख टन खाद का स्टॉक है. पिछले खरीफ सीजन में कुल 44.30 लाख टन खाद का उपयोग हुआ था.

द इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, सरकार ने इस खरीफ सीजन में 204.21 लाख टन खाद्यान्न और तिलहन उत्पादन का लक्ष्य तय किया है और इसके लिए उच्च गुणवत्ता वाले इनपुट्स (बीज, खाद आदि) की नियमित आपूर्ति सुनिश्चित की जा रही है. गुणवत्ता नियंत्रण निदेशक सुनील बोरकर ने कहा कि सोयाबीन, धान, तूर, मूंग और उड़द जैसी प्रमुख फसलों के लिए भरपूर बीज स्टॉक मौजूद है. बीजों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उनके सैंपल की जांच की जाएगी. कपास की खेती के लिए इस साल भी 41 लाख हेक्टेयर का लक्ष्य रखा गया है, जो पिछले साल जितना ही है. इसके लिए 82,000 क्विंटल बीज की जरूरत है, जबकि 1.22 लाख क्विंटल बीज पहले से उपलब्ध हैं. धान (चावल) की खेती का अनुमानित रकबा 15.25 लाख हेक्टेयर है. इसके लिए 2.19 लाख क्विंटल बीज की जरूरत है, जबकि 2.92 लाख क्विंटल बीज स्टॉक में हैं.

सोयाबीनस के रकबे में गिरावट की संभावना

हालांकि, इसके बावजूद महाराष्ट्र में इस साल सोयाबीन की खेती का रकबा करीब दो लाख हेक्टेयर कम होने की उम्मीद है. कृषि विभाग के अधिकारियों ने कहा कि पिछले साल किसानों को सोयाबीन से कम मुनाफा हुआ, जिसकी वजह से किसान इस बार इसकी खेती में कम रुचि दिखा रहे हैं. सोयाबीन को आमतौर पर फायदे वाली फसल माना जाता है, लेकिन किसानों का कहना है कि सोयाबीन के दाने से बनी खली का आयात और सरकार की खरीद में रुचि न लेने जैसी बाहरी वजहों ने मुनाफा घटा दिया.

किसानों को हो रहा नुकसान

इसके अलावा अनियमित बारिश, सरकार की तरफ से न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर देर से खरीद और अन्य नुकसान भी किसानों की आय कम होने का कारण बने. इन सब वजहों से इस बार सोयाबीन की खेती में किसानों की दिलचस्पी कम हो गई है. एक अधिकारी ने कहा कि पिछले साल महाराष्ट्र में सोयाबीन की खेती करीब 52 लाख हेक्टेयर में हुई थी, लेकिन इस बार इसके घटकर 50 लाख हेक्टेयर रहने का अनुमान है यानी करीब 2 लाख हेक्टेयर की कमी है.

एमएसपी से कम है मंडी रेट

अहिल्यानगर के किसान श्रीनिवास कडलाग ने कहा कि केंद्र सरकार ने सोयाबीन का न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) 4892 रुपये प्रति क्विंटल तय किया था, लेकिन बाजार में किसानों को सिर्फ 3900 रुपये से 4400 रुपये प्रति क्विंटल ही मिले. सबको पता है कि सरकार पूरी फसल नहीं खरीद सकती, और इसी का फायदा व्यापारी उठा लेते हैं. उन्होंने आगे कहा कि पिछले साल के नुकसान को देखकर इस बार किसान हतोत्साहित हैं और सोयाबीन की खेती में दिलचस्पी कम हो गई है.

 

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