किसी भी फसल के बेहतर उत्पादन में मिट्टी की बहुत बड़ी भूमिका होती है. फसल की बुवाई से पहले खेत की तैयारी करते समय सबसे पहले मिट्टी की ही जांच की जाती है, उसके बाद यह तय होता है कि फसल की बुवाई होगी या नहीं. बिहार के किसान खेती में मिट्टी की भूमिका को समझ चुके हैं. दरअसल, बिहार में साल 2024-25 में मिट्टी के 5 लाख नमूनों की जांच हुई है, जो कि साफ तौर पर ये बताता है कि बिहार के किसान अब जागरूक हो रहे हैं और खेती में आधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर रहे हैं.
मिट्टी के 5 लाख नमूनों का लक्ष्य हुआ पूरा
बिहार सरकार ने प्रदेश में मिट्टी की जांच के लिए वित्तीय वर्ष 2024-25 में मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के तहत अलग-अलग गांवों से मिट्टी के 5 लाख नमूनों की जांच के लिए इकट्ठे करने का लक्ष्य तय किया था. बता दें कि मिट्टी की जांच के लिए बिहार सरकार ने प्रदेश में मिट्टी की जांच करने वाली प्रयोगशाला, रेफरल प्रयोगशाला आदि बनाई हैं. इसके साथ ही सरकार ने किसानों की सहूलियत के लिए प्रदेश के 38 जिलों में मिट्टी की जांच मुफ्त कराने की सुविधा दी है. खास बात ये है कि सरकार ने वित्तीय वर्ष 2024-25 में मिट्टी के 5 लाख नमूनों को इकट्ठा करने का लक्ष्य पूरा कर लिया था.
किसान सही उर्वरक का कर रहे इस्तेमाल
बिहार कृषि विभाग द्वारा सोशल मीडिया पर दी गई जानकारी के अनुसार, बिहार में अब किसान खेतों में बुवाई या रोपाई से पहले मिट्टी की जांच करवाने लगे हैं. मिट्टी की जांच के बाद ही किसान ये तय करते हैं कि उन्हें किन फसलों का चुनाव करना है. मिट्टी में किसी भी तरह के पोषक तत्व की कमी होने की स्थिति में किसान पोषक तत्व को पूरा करने के लिए सही उर्वरक का इस्तेमाल कर रहे हैं. खेती से पहले मिट्टी की जांच कराने से किसानों को कम लागत में ज्यादा उत्पादन का फायदा मिल रहा है.
मिट्टी की जांच पर जोर
बिहार सरकार लगातार किसानों को ऐसी खेती करने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे किसानों को कम लागत में ज्यादा मुनाफा हो. मिट्टी की जांच के लिए किसानों को प्रोत्साहित करना उन्हीं में से एक है. बता दें कि प्रदेश में वर्तमान में गांव स्तर पर 72 मिट्टी जांच केंद्र काम कर रहे हैं. इसके अलावा कृषि विश्वविद्यालय, कृषि विज्ञान केंद्रों के तहत चलाई जा रहीं मिट्टी जांच प्रयोगशालाओं में भी मिट्टी की जांच होती है.