महाराष्ट्र में प्री-मानसून बारिश ने प्याज, टमाटर और कई फसलों को नुकसान पहुंचाया है. खासकर नासिक जिले में बर्बादी कुछ ज्यादा ही देखने को मिल रही है. इससे आने वाले दिनों में प्याज की कीमतें बढ़ने की आशंका है. वहीं, खुदरा बाजारों में प्याज, टमाटर और हरी सब्जियों की कीमतें तेजी से बढ़ रही हैं. इससे आम आदनी के किचन का बजट बिगड़ गया है. हालांकि, अभी थोक बाजार में प्याज के दाम 1,500 से 1,800 रुपये प्रति क्विंटल हैं, लेकिन ये जल्द ही 3,000 रुपये क्विंटल तक पहुंच सकते हैं. यानी प्याज की कीमतों में 100 फीसदी तक उछाल हो सकता है.
हिन्दुस्तान टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, नासिक जिले के सतना तालुका की किसान लता भामरे ने कहा कि लेबर की कमी की वजह से हमने मई के आखिरी हफ्ते में प्याज की कटाई का प्लान किया था. लेकिन अचानक बारिश हो गई और हमारी फसल का करीब 60 फीसदी नुकसान हो गया. नासिक के एक और किसान रूपेश सावंत ने कहा कि उनकी स्टोर की गई प्याज भी खराब हो गई. मैंने खेत में प्याज स्टोर करके रखी थी. मई में बारिश की उम्मीद नहीं थी. ज्यादा गर्मी और नमी की वजह से करीब 20–25 फीसदी प्याज सड़ गई. नासिक के ज्यादातर किसानों की यही हालत है.
नासिक जिले में फसल की बर्बादी
लासलगांव और वाशी एपीएमसी के डायरेक्टर जयदेव होलकर ने नुकसान की पुष्टि की. उन्होंने कहा कि नासिक और बाकी प्याज उत्पादक इलाकों में भारी नुकसान हुआ है. उन्होंने कहा कि प्याज की कीमतें धीरे-धीरे बढ़ेंगी, लेकिन हम मीडिया और सरकार से अपील करते हैं कि घबराने की जरूरत नहीं है. जैसे ही प्याज के दाम बढ़ने की खबर आती है, सरकार तुरंत एक्सपोर्ट पर बैन लगा देती है. हम सरकार से निवेदन करते हैं कि भले ही दाम बढ़ें, लेकिन निर्यात पर रोक न लगाई जाए.
व्यापारी को हो रहा नुकसान
इस बीच, फलों के व्यापार में भी नुकसान हो रहा है. पुणे एपीएमसी के व्यापारी करण जाधव ने कहा कि आम का सीजन पहले ही खत्म होने वाला था, और अब बारिश ने हालात और बिगाड़ दिए हैं. मेरे एक व्यापारी दोस्त ने 2,800 रुपये प्रति पेटी के हिसाब से आम खरीदे थे, ये सोचकर कि सीजन के अंत में मांग बढ़ेगी. लेकिन बारिश की वजह से आम जल्दी पक गए. अब वो 800 रुपये प्रति पेटी में बेचने को तैयार है, पर खरीदार ही नहीं हैं. आम इतने ज्यादा पक चुके हैं कि उन्हें पल्प के लिए भी नहीं बेचा जा सकता.
सस्ते दाम पर बेच रहे फल
जाधव ने कहा कि सोलापुर, अहिल्यानगर और अन्य इलाकों से भी केले, पपीता, अमरूद और लीची की फसल को नुकसान की खबरें आ रही हैं. उन्होंने कहा कि किसान पके हुए फल बेचने को बेताब हैं, लेकिन मांग नहीं है. पहले जो लीची खरीदी गई थी, वो भी अब खराब हो चुकी है. हम बहुत सस्ते दामों पर बेच रहे हैं.