कई तरह की कल्याणकारी योजनाओं के बावजूद किसानों को कर्ज में डूबने, आत्महत्या करने और खेती के संकट समेत तमाम बिंदुओं पर स्टडी कर रिपोर्ट तैयार की जाएगी. इसके लिए पैनल का गठन किया गया है जो यह रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा. अध्ययन के बाद पैनल की सिफारिशों पर सरकार गौर करेगी और ठोस कदम उठाएगी.
महाराष्ट्र में कर्जमाफी समेत अन्नदाता की आय, फसलों के दाम को लेकर लगातार समय-समय पर आंदोलन हो रहे हैं. इस साल कई दलों और किसान संगठनों की ओर से आंदोलन किए जा चुके हैं. जबकि, वर्तमान में बीते 27 अक्तूबर से महाराष्ट्र में बच्चू कडू के नेतृत्व में किसान आंदोलित हैं. अमरावती से ट्रैक्टर लेकर निकले हजारों किसानों को नागपुर पहुंचने से पहले रोका गया, जिसके बाद किसानों ने हाइवे को ही ठिकाना बना लिया.
किसानों और सरकार के बीच बार-बार तनातनी की घटनाओं को ध्यान में रखते हुए अब महाराष्ट्र सरकार ने खेती की दिक्कतों और किसानों के कर्ज के जाल पर स्टडी के लिए पैनल का गठन किया गया है. इस पैनल के हेड मुख्यमंत्री के प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर प्रवीण परदेशी को बनाया गया है. पैनल में किसानों की जिंदगी, उनकी कमाई, खेती की दिक्कतों, पैसों की जरूरत और कर्ज समेत कई बिंदुओं पर स्टडी करके रिपोर्ट राज्य सरकार को सौंपेगा.
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महाराष्ट्र सरकार ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस के प्रिंसिपल इकोनॉमिक एडवाइजर प्रवीण परदेशी को एक हाई लेवल कमेटी का हेड बनाया. यह कमेटी किसानों को कर्ज के जाल से निकालने और उनके जीवन स्तर को बेहतर बनाने के लिए शॉर्ट-टर्म और लॉन्ग-टर्म उपायों की सिफारिश करेगी. एक सरकारी प्रस्ताव (GR) में कहा गया है कि कमेटी खेती के क्षेत्र और उन किसानों की जिंदगी में बड़ा बदलाव लाने के लिए स्टडी करेगी और सुधार सुझाएगी जो कई लोन माफी स्कीम के बावजूद कर्ज में डूबे हुए हैं.
सरकारी प्रस्ताव में कहा गया है कि पैनल में रेवेन्यू, फाइनेंस, एग्रीकल्चर और कोऑपरेशन डिपार्टमेंट के सीनियर अधिकारियों के साथ-साथ महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक, बैंक ऑफ महाराष्ट्र और इन्फॉर्मेशन एंड टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के प्रतिनिधि शामिल होंगे. साथ ही इस पैनल को छह महीने के अंदर अपनी रिपोर्ट देने के लिए कहा गया है.
कहा गया है कि छत्रपति शिवाजी महाराज शेतकरी सम्मान योजना (2017) और महात्मा जोतिराव फुले शेतकरी कर्जमुक्ति योजना (2019) जैसी योजनाओं के बावजूद राज्य के कई किसान बार-बार सूखे, बेमौसम बारिश और प्राकृतिक आपदाओं के कारण कर्ज में फंसे हुए हैं. स्टडी रिपोर्ट के लिए पैनल अपनी जरूरत के हिसाब से दूसरे विभागों से एक्सपर्ट और अधिकारियों को बातचीत के लिए बुला सकता है.
किसानों के लिए पैनल बनाए जाने और उसका हेड फडणवीस के करीबी को बनाए जाने पर NCP (SP) विधायक रोहित पवार ने सरकार पर निशाना साधते हुए कहा कि सरकारी प्रस्ताव किसानों को उलझाने के लिए लाया गया है, ताकि मौजूदा आंदोलन की मांगों को टालकर और समय लिया जा सके. उन्होंने कहा कि जब सरकार सीधे कर्ज माफी का फैसला ले सकती है तो ऐसे पैनल की जरूरत क्यों है.
उन्होंने कहा कि प्रहार जनशक्ति पार्टी के प्रमुख बच्चू कडू को उनकी भूख हड़ताल खत्म करने के लिए मनाने के लिए दो महीने पहले बनाए गए पैनल का क्या हुआ, उस पैनल ने जो रिपोर्ट दी थी उसका क्या हुआ. पवार ने सरकार से कहा कि वह किसानों को गुमराह करना बंद करे और तुरंत पूरी तरह से लोन माफी का ऐलान करे.
 
 
                                                             
                                 
                             
                             
                             
                             
 
 
                                                     
                                                     
                                                     
                                                    