गंदा बाड़ा बन सकता है मौत का घर! मॉनसून में ऐसे बचाएं अपने पशुओं की जान

बरसात के मौसम में पशुओं को बीमारियों से बचाना जरूरी है. अगर आप थोड़ी सी लापरवाही करते हैं तो यह भारी नुकसान पहुंचा सकती है. ऐसे में बचने के लिए आपको कुछ जरूरी सावधानियां अपनानी चाहिए.

नोएडा | Published: 23 Jul, 2025 | 03:23 PM

मॉनसून का मौसम जहां एक तरफ खेतों के लिए फायदेमंद होता है, वहीं दूसरी ओर पशुपालकों के लिए ये मौसम किसी चुनौती से कम नहीं होता. बारिश के कारण होने वाली नमी और गंदगी पशुओं के लिए जानलेवा साबित हो सकती है. अगर पशुबाड़ा गंदा और नम हो गया तो वह बीमारियों का अड्डा बन सकता है. इस मौसम में थोड़ी सी लापरवाही से गाय, भैंस, बकरी या बछड़े गंभीर बीमारियों की चपेट में आ सकते हैं. ऐसे में जरूरत है समय रहते सावधानी बरतने की.

साफ-सुथरा और सूखा बाड़ा जरूरी

मॉनसून की शुरुआत में सबसे जरूरी है पशु बाड़े की सफाई. इसके लिए सुनिश्चित करें कि बाड़े में पानी जमा न हो और फर्श पूरी तरह सूखा रहे. क्योंकि नमी के कारण फफूंदी, कीड़े और मच्छर पैदा होते हैं, जो पशुओं में बीमारियां फैला सकते हैं. इससे बचाव के लिए बाड़े की नियमित सफाई करें और हर कुछ दिनों में चूना जरूर छिड़कें. साफ और सूखा बाड़ा ही मॉनसून में पशुओं को सुरक्षित रख सकता है.

गंदगी बढ़ाती है संक्रमण का खतरा

मीडिया की एक रिपोर्ट के अनुसार, बारिश के मौसम में मक्खियों और मच्छरों की तादाद बढ़ जाती है. ये कीड़े पशुओं का खून चूसते हैं और संक्रमण को बढ़ावा देते हैं. ऐसे में पशुओं को दिन में साफ कपड़े से पोंछें, उनकी त्वचा सूखी रखें और बाड़े के आसपास की गंदगी हटाएं. इसके अलावा, कीटनाशक दवाओं का भी सुरक्षित प्रयोग किया जा सकता है.

स्वच्छ पानी और साफ चारा जरूरी

इस मौसम में दूषित पानी और सड़ा हुआ चारा कई तरह की बीमारियों को जन्म देता है. इसलिए पशुओं को केवल साफ और उबला हुआ पानी पिलाएं. ध्यान दें कि हरा चारा ताजा होना चाहिए और उसे छांव में सुखाकर ही खिलाना बेहतर रहता है. क्योंकि नमी युक्त, सड़ा-गला चारा पेट की बीमारियां पैदा कर सकता है.

बीमार पशुओं को अलग रखें

अगर कोई पशु बीमार हो जाए तो उसे तुरंत बाकी पशुओं से अलग कर दें. उसके लिए अलग बाड़ा बनाएं और उसकी देखरेख अलग व्यक्ति द्वारा करवाएं. इससे बीमारी फैलने का खतरा कम हो जाता है.

नवजात और ब्यांत पशुओं का रखें विशेष ध्यान

नवजात बछड़े और हाल ही में बच्चा दे चुकी गाय-भैंस की रोगों से लड़ने की ताकत कम होती है. ऐसे में इन्हें खास देखभाल की जरूरत होती है. इन्हें बाकी पशुओं से अलग, सूखे और गर्म बाड़े में रखें. वहीं, इनका चारा और पानी भी बाकी पशुओं से अलग होना चाहिए. साथ ही, समय-समय पर पशु चिकित्सक से इनकी जांच करवाते रहें, ताकि कोई संक्रमण या कमजोरी समय रहते पकड़ में आ सके और इलाज हो सके. यही सावधानी पशु की सेहत बचा सकती है.

टीकाकरण और संतुलित आहार है जरूरी

मौसम बदलते समय पशुओं को जरूरी टीके जरूर लगवाएं. इसके अलावा पशु चिकित्सक से सलाह लेकर पेट के कीड़ों की दवा और अन्य जरूरी दवाएं दें. इसके साथ ही संतुलित आहार दें, जिसमें विटामिन, मिनरल और ऊर्जा की भरपूर मात्रा हो.