किसी भी फसल से अच्छा उत्पादन पाने के लिए बेहद जरूरी है कि फसल को सही और पर्याप्त मात्रा में पोषण दिया जाए, जो कि उसे मिट्टी से मिलता है. इसलिए किसी भी फसल की बुवाई से पहले खेत की गहरी जुताई की जाती है ताकि मिट्टी भुरभुरी हो सके और खरपतवार भी जड़ से खतम हो सके. फसल की अच्छी पैदावार में मिट्टी की उर्वरता अहम भूमिका निभाती है. इसलिए किसानों के लिए जरूरी होता है कि वे किसी भी फसल को लगाने से पहले ये जरूर जांच लें कि उनके खेत की मिट्टी फसल के अनुकूल है या नहीं, मिट्टी से फसल को जरूरी पोषण मिलेगा या नहीं. मिट्टी की जांच के लिए किसानों का ये जानना जरूरी है कि मिट्टी की जांच कब और कैसे की जानी चाहिए. ताकि किसान खेत की मिट्टी के अनुकूल फसलों का चुनाव कर सकें.
मिट्टी की जांच का सही समय
उत्तर प्रदेश के कृषि विभाग के अनुसार, मिट्टी की जांच सही समय पर की जाए तो किसानों को खेती में आसानी होती है. कृषि विभाग के अनुसार किसानों को मिट्टी की जांच करने से पहले ये सुनिश्चित करना चाहिए कि जमीन में नमी की मात्रा कम से कम हो. किसानों को ध्यान रखना होगा कि हर तीसरे साल बुवाई का मौसम शुरू होने से पहले ही मिट्टी की जांच कर ली जाए. इसके अलावा फसल की कटाई के बाद और जब फसल पूरी तरह से पककर खड़ी हो जाए, उस समय मिट्टी की जांच करना सही होता है.
क्यों जरूरी है मिट्टी की जांच
फसलों के बेहतर उत्पादन के लिए जरूरी है कि मिट्टी में मौजूद पोषक तत्व फसलों तक पहुंचे. मिट्टी की जांच होने के बाद किसानों को ये अनुमान लगाने में आसानी होगी कि उन्हें अपनी फसल को बाहर से क्या पोषण देने हैं. किसान जिन फसलों की बुवाई कर रहे हैं उन्हें मिट्टी से मिलने वाले सभी जरूरी पोषणों के अलावा अलग से और किन चीजों की जरूरत है. मिट्टी की जांच की रिपोर्ट के अनुसार किसान आसानी से फसल पर इस्तेमाल होने वाले उर्वरकों का चुनाव कर सकेंगे ताकि फसल बेहतर तरीके से बढ़ती रहे और अच्छा उत्पादन दे.
किसान ऐसे करें जांच
मिट्टी की जांच के लिए किसानों एक एकड़ जमीन पर लगभग 8 से 10 जगहों पर ‘V’ के आकार के 6 इंच के गहरे गड्ढे बनाएं. इन सभी गड्ढों की मिट्टी को एक साछ मिलाकर करीब 500 ग्राम का एक नमूना तैयार कर लें. अब इस मिट्टी के नमूने से कंकड़ और घास को अलग कर नमूने को एक कपड़े में भरकर पैकेट तैयार कर लें. अब इस पैकेट के साथ किसान का नाम, पता, खसरा नंबर, आधार नंबर, मिट्टी में उगाई जाने वाली फसल की सारी डिटेल्स दें. सारी डीटेल्स सही से देने के बाद मिट्टी के नमूने के पैकेट को मृदा स्वास्थ्य केंद्र यानी मिट्टी जांचने वाली लैब में भेजें. किसान चाहें तो मृदा परीक्षण किट की मदद से अपने खेत की मिट्टी की जांच खुद भी कर सकते हैं.