देश के किसानों की लागत कम करने और उनकी आय में बढ़त करने के लिए केंद्र सरकार और राज्य सरकारें कई तरह की योजनाएं चलाती हैं. इन योजनाओं की मदद से सरकारें हर संभव तरह से किसानों की मदद करने की कोशिश करती हैं. इसी कड़ी में बिहार सरकार ने राज्य के किसानों के लिए महत्वपूर्ण फैसला लिया है. बिहार के उप मुख्यमंत्री और कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के तहत राज्य के किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड उपलब्ध कराने का फैसला लिया है. इस कदम के माध्यम से बिहार सरकार राज्य के किसानों को मिट्टी से जुड़ी सभी जरूर जानकारी मुहैया कराएगी और 3 लाख मिट्टी के नमूने की जांच की जाएगी. साथ ही इस योजना की मदद से राज्य के किसानों के जीवन स्तर को ऊपर उठाया जा सकेगा.
3 लाख मिट्टी नमूनों की होगी जांच
बिहार में प्रधानमंत्री राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के अंतर्गत मृदा स्वास्थ्य एवं उर्वरता योजना के तहत 3 लाख मिट्टी नमूनों की जांच कराई जाएगी. इस योजना के अंतर्गत बिहार सरकार साल 2025-26 में राज्य के किसानों को उनके खेतों की मिट्टी जांचने और मृदा स्वास्थ्य कार्ड यानी साइल हेल्थ कार्ड देने का लक्ष्य तय किया गया है. मृदा स्वास्थ्य कार्ड की मदद से किसानों को उनके खेत की मिट्टी में मौजूद पोषक तत्वों की सही जानकारी दी जाएगी. ताकि किसान दी गई जानकारी के मुताबिक अपनी फसलों में उर्वरक का इस्तेमाल कर सकें. ऐसा करने से न केवल खेती करने में किसानों की लागत में कमी आएगी बल्कि फसल की उपज भी अच्छी होगी और किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.
ग्रिड में आने वाले किसानों को मिलेगा लाभ
बिहार के मुख्य मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2025-26 में राज्य के सभी पंचायतों मिट्टी की जांच का डेमोंस्ट्रेशन किया जाएगा . यह डेमोंस्ट्रेशन हर एक हेक्टेयर पर किया जाएगा, जिसमें आने वाले सभी किसानों को मृदा स्वास्थ्य कार्ड दिए जाएंगे. सरकार की इस पहल के बाद राज्य के किसानों को अपने खेत की मिट्टी की उपजाऊ क्षमता और उसमें मौजूद पोषक तत्वों की जानकारी देना आसान हो जाएगा.
11,841 मिट्टी नमूनें लिए जा चुके हैं
राज्य के उपमुख्य मंत्री और कृषि मंत्री विजय सिन्हा ने बताया कि चालू वित्तीय वर्ष में अब तक कुल 11,841 मिट्टी नमूने इकट्ठए किए जा चुके हैं. यह काम राज्य में स्थित अलग-अलग मृदा प्रशिक्षण प्रयोगशाला यानी साइल टेस्टिंग लैब की मदद से किया जा रहा है. विजय सिन्हा का कहना है कि बिहार सरकार का यह कदम राज्य के किसानों के सर्वांगीण विकास की दिशा में अहम और ठोस कदम है. इस कदम से न किसानों का लागत में कमी आएगी , खेती और उत्पादन बेहतर होगा और साथ ही किसानों की आमदनी भी बढ़ेगी.