जॉब छोड़ी, खेत संभाला..5 बीघे में रचा 20 बीघे जितनी कमाई का फार्मूला

युवा कन्हैयालाल धाकड़ ने मल्टीनेशनल कंपनी की नौकरी छोड़कर सिर्फ 5 बीघा जमीन पर खेती शुरू की और सालाना लाखों की कमाई कर पा रहे हैं. उन्होंने 'किसान इंडिया' को बताया कि आम, लहसुन और मिर्च की खेती कर रहे हैं.

धीरज पांडेय
नोएडा | Updated On: 30 Apr, 2025 | 02:01 PM

कहानी एक ऐसे नौजवान की है, जिसने पढ़ाई की. डिप्लोमा किया. मल्टीनेशनल कंपनियों में काम किया. लेकिन जब-जब मशीन की आवाज कान में गूंजी, मन ने कहा कुछ छूट रहा है… और उस छोड़े हुए को पकड़ने के लिए कन्हैयालाल धाकड़ लौटे अपने खेतों की ओर. राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के छोटे से गांव भैरूखेड़ा में लौट कर शुरू हुई वो खेती, जो अब मिसाल बन चुकी है. पांच बीघा जमीन, मल्लिका आम, लहसुन, मिर्च और तरककड़ी की बारीक गणित और उसी से चार लाख की सालाना कमाई. इतना ही नहीं आम को बाजार में ले जाने की जरूरत नहीं, खरीदार खुद घर चले आते हैं. यह है कन्हैयालाल की खेती, जो मेहनत से आगे और मॉडल से बड़ी है. युवा किसान कन्हैलाल ने ‘किसान इंडिया’ से बातचीत में अपनी खेती की तकनीक और कमाई के बारे में जानकारी साझा की.

जॉब छोड़ किसानी को चुना रास्ता

कन्हैयालाल धाकड़ कि उम्र 34 साल है और वह राजस्थान के चित्तौड़गढ़ जिले के छोटे से गांव भैरूखेड़ा के रहने वाले हैं. पढ़ाई की बात करें तो कन्हैयालाल ने बीए के बाद इलेक्ट्रॉनिक डिप्लोमा किया और तीन साल तक रिलायंस व पैयरोटेक जैसी कंपनियों में नौकरी भी की. लेकिन शहरी जीवन उन्हें रास नहीं आया. मन खेती की ओर खिंचता चला गया और वो जॉब छोड़ गांव चले आए.

5 बीघे में कर रहे 20 बीघे की कमाई

किसानी शुरू करने से पहले उन्होंने कृषि संस्थान से एक साल की ट्रेनिंग ली. किसान इंडिया से बातचीत में उन्होंने बताया कि मैं सोच रहा था कि जब मेरे पास सिर्फ 5 बीघा जमीन है तो क्यों न इसे 20 बीघा जितना कमा कर दिखाऊं.

मल्लिका आम से 1.7 लाख सालाना

इसके बाद कन्हैयालाल ने आंध्रप्रदेश की एक नर्सरी से मल्लिका किस्म के 300 आम के पौधे मंगवाए. खास बात ये कि उन्होंने इनका बीमा भी करवाया. कंपनी ने वादा किया था कि जो पौधे नहीं लगेंगे, उसकी भरपाई नए पौधों से करेगी. करीब 30-40 पौधे खराब भी हुए, लेकिन बीमा के चलते उन्हें दोबारा मिल गए. अब सात साल बाद, आम का बगीचा फल-फूल रहा है. बाजार जाने की जरूरत नहीं पड़ती, खरीदार खुद खेत तक पहुंचते हैं. उन्होंने बताया कि एक किलो आम 90-95 रुपये में बिकता है और इससे सालाना 1.6 से 1.7 लाख रुपये की कमाई हो जाती है.

Kanhaiyalal Dhakad Successful Farmer Chittorgarh

Kanhaiyalal Dhakad Chittorgarh Rajsthan

सब्जियों की इंटरक्रॉपिंग से बढ़ी आमदनी

कन्हैयालाल धाकड़ की खेती सिर्फ मेहनत नहीं, समझदारी का भी नमूना है. उन्होंने अपनी 5 बीघे जमीन को इस तरह से इस्तेमाल किया है कि हर हिस्से से मुनाफा निकलता है. एक बीघे में लहसुन की खेती करते हैं, जिसमें करीब 25 हजार रुपये की लागत आती है और 15 क्विंटल उपज मिलती है. एक क्विंटल लहसुन 8 हजार में बिकता है, जिससे कुल आय लगभग 96 हजार रुपये होती है. खर्च घटाकर 70 से 75 हजार रुपये की साफ-सुथरी कमाई रह जाती है.

यही नहीं, लहसुन के साथ इंटरक्रॉपिंग में वे मिर्च भी लगाते हैं. मिर्च की खेती पर 15 हजार खर्च आता है और हर महीने 30 हजार तक की बिक्री होती है. इसकी खास बात यह है कि यह चार बार तोड़ी जाती है. इतना ही नहीं आधा बीघा तरककड़ी की खेती से 28-30 हजार रुपये अलग से कमा लेते हैं.

सालाना 4 लाख रुपये की कमाई

इतना सब मिलाकर कन्हैयालाल सालाना 4 लाख रुपये आराम से कमा लेते हैं. खास बात यह कि उनकी खेती अब गांव में उदाहरण बन गई है. एक-दो लोग उनके कहने पर आम के पौधे लगा चुके हैं. वह मानते हैं कि मेहनत और सही तकनीक मिल जाए, तो छोटी जोत भी बड़े सपने दे सकती है.

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Published: 30 Apr, 2025 | 01:56 PM

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