गन्ना की फसल पर ‘पोक्का बोइंग’ और ‘टॉप बोरर’ का प्रकोप, वैज्ञानिकों ने जारी की एडवाइजरी.. ऐसे करें इलाज

हरियाणा के यमुनानगर जिले में गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग, टॉप बोरर और रस चूसक कीड़ों का प्रकोप बढ़ा है. CO-0118 और CO-0238 किस्में ज्यादा प्रभावित हैं. कृषि विभाग ने दवा व जैविक उपाय सुझाए हैं. किसानों ने समय पर मदद की मांग की है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 18 Jul, 2025 | 01:00 PM

Pokka Boing And Top Borer: हरियाणा के यमुनानगर जिले के कई गांवों में गन्ने की फसल में पोक्का बोइंग बीमारी, टॉप बोरर और रस चूसने वाले कीड़ों का प्रकोप देखा गया है, जिससे फसल की पैदावार घटने की चिंता बढ़ गई है. ऐसे में किसानों से कृषि विभाग से तुरंत सहायता की मांग की है. किसानों का कहना है कि अगर समय रहते इस बीमारी का इलाज नहीं किया गया, तो उनकी पूरी फसल चौपट हो सकती है. ऐसे में लागत निकालना मुश्किल हो जाएगा.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, कृषि विज्ञान केंद्र के समन्वयक डॉ. संदीप रावल का कहना है कि गन्ने की किस्म CO-0118 और CO-0238 में पोक्का बोइंग बीमारी का सबसे ज्यादा असर देखा गया है. उन्होंने कहा कि CO-0238 किस्म में टॉप बोरर का प्रकोप भी पाया गया, लेकिन यह सिर्फ 5 फीसदी था, जो आर्थिक नुकसान की सीमा (ETL) से कम है. इसलिए इसमें किसी तरह की कीटनाशक दवा की जरूरत नहीं है. किसान सिर्फ संक्रमित पौधों को उखाड़कर नष्ट कर दें.

इस तरह करें फसल का उपचार

पोक्का बोइंग बीमारी के इलाज के लिए किसानों को कार्बेन्डाजिम (0.2 फीसदी) या पेरोकोनाजोल (0.1 फीसदी) का छिड़काव करने की सलाह दी गई है. वहीं, रस चूसने वाले कीड़ों से निपटने के लिए प्रति एकड़ 600 मिली डाइमेथोएट (रोगर) 30 EC का छिड़काव करने की सिफारिश की गई है. डॉ. रावल ने कहा है कि सही ढंग से स्प्रे करने के लिए प्रति एकड़ 300 से 400 लीटर पानी का इस्तेमाल करें.

जैविक नियंत्रण अपनाने की सलाह

साथ ही आगे की तैयारी को देखते हुए, डॉ. संदीप रावल ने किसानों को तराई बोरर से बचाव के लिए जैविक नियंत्रण अपनाने की सलाह दी. उन्होंने कहा कि अगस्त से सितंबर के बीच प्रति एकड़ चार बार एक-एक ट्राइको कार्ड छोड़ें. ये ट्राइको कार्ड उचानी क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र में उपलब्ध हैं.

वैज्ञानिकों ने फसल का किया निरीक्षण

दरअसल, सूचना मिलने के बाद हाल ही में चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय के क्षेत्रीय अनुसंधान केंद्र, उचानी (करनाल) और कृषि विज्ञान केंद्र (KVK), दमला (यमुनानगर) के वैज्ञानिकों की एक संयुक्त टीम ने खेतों का निरीक्षण किया. इस विशेषज्ञ टीम में डॉ. महा सिंह, डॉ. अराधना, डॉ. हरबिंदर सिंह, डॉ. नवीन कुमार और डॉ. विजेता गुप्ता शामिल थे. टीम ने करतारपुर, बकाना, ढोली, मोहड़ी और अलाहर गांवों का दौरा किया. ये सभी गांव सरस्वती शुगर मिल्स के अधीन क्षेत्र में आते हैं. निरीक्षण के दौरान प्रगतिशील किसान सतपाल कौशिक, सतीश कुमार, धर्मपाल और वागीश कम्बोज भी मौजूद रहे.

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Published: 18 Jul, 2025 | 12:59 PM

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