पशुओं को चारा देना सिर्फ पेट भरने की प्रक्रिया नहीं, बल्कि एक संपूर्ण विज्ञान है. अगर आहार सही समय और तरीके से न दिया जाए तो इसका सीधा असर दूध उत्पादन, पशु की सेहत और चारे की बर्बादी पर पड़ता है. प्रयागराज के पशुपालक प्रदीप शुक्ला के मुताबिक पशुओं को पहला आहार सुबह 5 से 6 बजे के बीच देना सबसे अच्छा होता है. पशुओं को परंपरागत तरीके अपनाने से पशुपालकों को नुकसान उठाना पड़ता है, लेकिन अगर कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान दिया जाए तो दूध उत्पादन बढ़ सकता है.
भूसे में मिलाएं खली और आटा
भूसा जब सूखा खिलाया जाता है तो पशु अक्सर उसे आधा-अधूरा ही खा पाते हैं. इससे न केवल पोषण की कमी होती है, बल्कि चारे का भी नुकसान होता है. इसलिए भूसे को पहले पानी में भिगोकर रखें और उसमें थोड़ी मात्रा में खली मिला दें. बीच-बीच में आटा भी मिलाएं. आटे की मिठास और खली की पौष्टिकता से भूसे का स्वाद बढ़ता है और पशु उसे अच्छी तरह खाते हैं. इससे दूध की मात्रा में भी इजाफा होता है.
दाना सूखा नहीं, पानी में भिगोकर खिलाएं
दाने को सूखा खिलाना कई बार पाचन की समस्या खड़ी कर सकता है. इसलिए दाना देने से पहले उसे कुछ घंटों तक पानी में भिगोकर रखना चाहिए. जब दाना फूल जाए और थोड़ा नरम हो जाए, तभी उसे खिलाना चाहिए. ऐसा करने से दाना न सिर्फ जल्दी पचता है, बल्कि उसमें मौजूद पोषक तत्व भी बेहतर तरीके से शरीर में समाहित होते हैं.
हरा चारा काटकर देना है जरूरी
हरे चारे का महत्व सबको पता है, लेकिन उसे सीधे खिलाने की बजाय काटकर देना ज्यादा फायदेमंद होता है. बिना काटे हरा चारा देने से अफारा और गैस जैसी समस्याएं हो सकती हैं. काटा हुआ चारा पशु आराम से चबा पाते हैं और उसका पाचन भी बेहतर होता है. इससे पशु ज्यादा सक्रिय रहते हैं और उनका स्वास्थ्य भी बना रहता है.
आहार देने का सही समय
प्रयागराज के पशुपालक प्रदीप शुक्ला के मुताबिक पशुओं को पहला आहार सुबह 5 से 6 बजे के बीच देना सबसे अच्छा होता है. इसके बाद दूसरा आहार दिन में 11 से 12 बजे के बीच देना चाहिए ताकि पशु उसे खाकर आराम कर सकें. वहीं तीसरा आहार शाम 4 से 5 बजे के बीच दिया जाना चाहिए. हालांकि वे यह भी कहते हैं कि अगर चराने की सुविधा हो, तो शाम के वक्त पशुओं को बाहर चराने ले जाना बेहतर होता है. इससे उन्हें हरी घास भी मिलती है, घूमना भी हो जाता है और दूध उत्पादन भी बेहतर होता है.