मध्य प्रदेश के नीमच जिले का चौकान खेड़ा गांव हर घर में पशुपालन के लिए मशहूर है. अहीर समाज के 70 से अधिक परिवार रोज़ाना 60 क्विंटल दूध का उत्पादन करते हैं, जिससे गांव आर्थिक रूप से संपन्न हो चुका है.
गाय और भैंस को सही मात्रा में प्रोटीन, दाना, हरा चारा, भूसा और खनिज देना बहुत जरूरी है. संतुलित आहार से न सिर्फ उनकी सेहत अच्छी रहती है, बल्कि दूध उत्पादन भी बढ़ता है.
पशुधन स्वास्थ्य और रोग नियंत्रण योजना भारत के पशुपालकों के लिए स्वास्थ्य सेवाएं और बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करती है. इस योजना का उद्देश्य है 2030 तक खुरपका और अन्य बीमारियों को खत्म करना.
राजस्थान सरकार अब हर जिले में पशु मेले लगाएगी. पहले चरण में 11 जिलों का चयन हुआ है. इन मेलों में पशुपालक मवेशियों की खरीद-बिक्री, टीकाकरण, इलाज और सरकारी योजनाओं का लाभ ले सकेंगे.
राजस्थान पशुपालन विभाग ने 15 जून से राज्य एवं जिला स्तरीय कंट्रोल रूम शुरू करने की तैयारी पूरी कर ली है, ताकि प्राकृतिक आपदाओं से पशुओं को बचाया जा सके और उनके स्वास्थ्य की सुरक्षा सुनिश्चित हो.
दूध उत्पादन बढ़ाने के लिए दुधारू पशुओं का गर्भाधान सही समय और वैज्ञानिक विधियों से करना जरूरी है. तनावमुक्त माहौल में किया गया गर्भाधान सफलता दर को कई गुना बढ़ा देता है.