भैंस पालन आज किसानों के लिए मुनाफे का बड़ा जरिया बन चुका है. मुर्रा और जाफराबादी दोनों उन्नत नस्लें हैं. मुर्रा आसानी से पाली जाती है, जबकि जाफराबादी आकार में बड़ी और मजबूत होती है. दूध उत्पादन और देखभाल में दोनों श्रेष्ठ हैं. किसान अपनी जरूरत और बजट के अनुसार सही नस्ल चुन सकते हैं.
पुंगनूर गाय सिर्फ शुरुआत है. NDDB ने देश की अन्य महत्त्वपूर्ण देसी नस्लों पर भी काम शुरू किया है-गिर, साहिवाल, कंकरेज, थारपारकर सहित कई नस्लों में पहले से ही IVF और ET तकनीक से हजारों भ्रूण बनाए जा चुके हैं.
Pashupaalan: किसान खेती के साथ पशुपालन जोड़कर अपनी आमदनी कई गुना बढ़ा सकते हैं. कुछ ऐसे पशु हैं जिनकी बाजार में सालभर मांग रहती है. कम खर्च में शुरू होने वाला यह व्यवसाय किसानों को हर महीने स्थिर और अच्छी कमाई देता है. सही देखभाल और नस्ल चुनकर मुनाफा और भी बढ़ाया जा सकता है.
NDDB कर्गिल में पूरी तरह सोलर-एनर्जी से चलने वाला दूध प्रोसेसिंग प्लांट स्थापित कर रहा है, जो प्रतिदिन 10,000 लीटर दूध प्रोसेस करेगा. यह प्लांट न केवल भारतीय सेना की जरूरतें पूरी करेगा, बल्कि स्थानीय किसानों को स्थायी आय का भरोसा भी देगा.
बिहार सरकार ने पशुओं के लिए नए आहार नियम जारी किए हैं, जिनसे गाय-भैंस ज्यादा स्वस्थ रहेंगी और दूध उत्पादन बढ़ेगा. विशेषज्ञों का कहना है कि पर्याप्त पानी, संतुलित चारा और सही आहार प्रबंधन से दूध की मात्रा स्थिर रहती है और खर्च भी कम होता है. ये नियम किसानों और डेयरी कारोबार दोनों के लिए फायदेमंद हैं.
गर्भवती भैंस को गर्भ के महीनों में ज्यादा पोषण, आराम और साफ-सुथरा वातावरण चाहिए. इस समय दी गई सही देखभाल से भैंस का दूध बढ़ता है और बछड़ा मजबूत पैदा होता है. किसान अगर आहार, पानी, सफाई और आराम का ध्यान रखें, तो पूरे डेयरी कारोबार पर इसका सीधा फायदा दिखता है.