बरसात में पशुओं की देखभाल भूल गए तो पछताएंगे, जुलाई में हर पशुपालक को पता होनी चाहिए ये 5 बातें

जुलाई की बारिश जहां खेतों के लिए फायदेमंद होती है, वहीं पशुओं के लिए खतरा बढ़ा देती है. इस मौसम में नमी और गंदगी के कारण वायरस, बैक्टीरिया और परजीवी तेजी से फैलते हैं, जिससे पशु बीमार हो सकते हैं. खासकर नवजात बछड़ों और ब्यांत वाली भैंसों की देखभाल बहुत जरूरी है.

नोएडा | Published: 21 Jul, 2025 | 12:25 PM

Animal Care In Rainy Season: जुलाई की बारिश जहां खेतों में हरियाली लाती है, वहीं पशुओं के लिए खतरे की घंटी बजा देती है. इस मौसम में नमी, कीचड़ और गंदगी बढ़ जाती है, जिससे पशुओं को बीमार करने वाले वायरस, बैक्टीरिया और परजीवी पनपने लगते हैं. इतना ही नहीं गोशालाओं में फिसलन बढ़ जाती है, पशु चारा ठीक से नहीं खाते और कई बार सड़ता हुआ चारा ही उन्हें बीमार कर देता है. ऐसे में अगर समय पर टीकाकरण, दवा और सफाई न की जाए तो पशु गंभीर रोगों का शिकार हो सकते हैं.

इससे ना सिर्फ दूध उत्पादन घटता है, बल्कि इलाज का खर्च भी बढ़ जाता है और मवेशी की जान जाने का खतरा भी बना रहता है. ऐसे में जुलाई में एक छोटी सी लापरवाही, पूरे साल की कमाई पर पानी फेर सकती है. इसलिए जरूरी है कि इस महीने पशुपालक हर रोज सफाई करें, सूखा चारा दें, समय पर दवाएं और पोषक आहार दें और गोशालाओं को कीटमुक्त बनाए रखें. सावधानी से ही इस नमी और संक्रमण वाले मौसम में मवेशियों को स्वस्थ रखा जा सकता है.

1. टीकाकरण में न करें देरी

बरसात के मौसम  में गलघोंटू और फड़ सूजन जैसी संक्रामक बीमारियों का खतरा बढ़ जाता है. ध्यान देने की बात यह है कि ये रोग हवा और संपर्क से फैलते हैं और जानलेवा भी हो सकते हैं. ऐसे में पशुपालकों को चाहिए कि वे समय रहते टीकाकरण कराएं, जो सरकारी पशु अस्पताल में मुफ्त मिलते हैं. अगर कोई पशु बीमार हो जाए तो उसे झुंड से अलग करें और तुरंत पशु चिकित्सक से इलाज कराएं. सतर्कता से न केवल जानवरों की जान बचाई जा सकती है, बल्कि दूध उत्पादन और आमदनी भी सुरक्षित रहती है.

2 साफ-सफाई और बाड़े की व्यवस्था

मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, बरसात में अगर बाड़े में पानी भर जाए या नालियां जाम हों तो फिसलन, कीचड़ और खुरों में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है. क्योंकि गीली सतह पर जानवरों के फिसलने से पैर में चोट लग सकती है, जिससे दूध उत्पादन पर असर पड़ता है. ऐसे में इससे बचने के लिए बाड़े को सूखा और साफ रखना जरूरी है. इसके अलावा पानी की निकासी ठीक करें और हर हफ्ते 1-2 बार पोटाशियम परमैंगनेट के हल्के घोल से खुरों की सफाई करें. ये छोटे-छोटे उपाय पशु को बीमारियों से बचाकर आपकी आमदनी को सुरक्षित कर सकते हैं.

3 भैंसों के ब्यांत के समय पोषण का रखें खास ध्यान

जुलाई के आखिरी दिनों में भैंसों का ब्यांत शुरू हो जाता है. इस समय उन्हें अच्छे पोषण की जरूरत होती है ताकि वे स्वस्थ रहें और दूध उत्पादन पर असर न पड़े. इसके अलावा रोजाना हरे चारे के साथ 50 ग्राम खनिज मिश्रण और नमक देना चाहिए. साथ ही कब्ज़ से बचाने वाली खुराक जरूर दें, ताकि पाचन ठीक रहे. इतना ही नहीं दूध देने वाली गाय या भैंस को उनके दूध उत्पादन के हिसाब से दाना देना जरूरी होता है. मानक यह है कि 2.5 लीटर दूध पर 1 किलो दाना दिया जाए. अगर चारे में पहले से पोषण भरपूर ह तो दाने की मात्रा थोड़ी कम की जा सकती है. इसके अलावा, कमजोर चारे के साथ दाना बढ़ाना चाहिए, ताकि शरीर की जरूरतें पूरी हो सकें.

4 नवजात बछड़ों का रखें विशेष ध्यान

बरसात के मौसम में नमी और गंदगी के कारण नवजात बछड़ों की सूंड़ सूज सकती है. इससे उनके जोड़ों में सूजन आ जाती है, तेज बुखार होता है और कई बार दस्त भी लग जाते हैं. यह बीमारी गंदगी या संक्रमण से होती है. इससे बचाव के लिए जन्म के तुरंत बाद सूंड़ को डेढ़ इंच ऊपर से काटने के बाद उस पर टिंचर आयोडीन लगाकर पट्टी बांधें. इतना ही नहीं पैदा होने के 30 मिनट के अंदर खीस जरूर पिलाएं, जिससे बछड़ा ताकतवर बने.

5 बरसात में पशुओं को पेट की बीमारी से बचाएं

  • पशुओं को हमेशा साफ और ताजा पानी ही पिलाएं.
  • पेट के कीड़े मारने की दवा समय-समय पर पशु चिकित्सक की सलाह से दें.
  • अगर पेट खराब हो जाए तो तुरंत इलाज कराएं, नहीं तो बीमारी फैल सकती है.