यमुना का पानी नहीं रहा पीने या छूने लायक, बैक्टीरिया लेवल सुरक्षित सीमा से 4000 गुना ज्यादा: रिपोर्ट

रिपोर्ट बताती है कि नदी में बिना साफ किया हुआ गंदा पानी (सीवेज) सीधे बहाया जा रहा है. इससे नदी में गंदगी और बैक्टीरिया का स्तर बहुत बढ़ गया है. पल्ला, वजीराबाद और ITO जैसे इलाकों में पानी की क्वालिटी बेहद खराब मिली है.

नई दिल्ली | Updated On: 21 Jul, 2025 | 11:59 AM

दिल्ली में यमुना नदी की हालत और बिगड़ गई है. दिल्ली प्रदूषण नियंत्रण समिति (DPCC) की नई रिपोर्ट में बताया गया है कि यमुना का पानी अब और भी ज्यादा प्रदूषित हो चुका है. इसमें फेकल कोलीफॉर्म नाम का बैक्टीरिया बहुत ज्यादा मात्रा में मिला है, यह सामान्य सीमा से 4000 गुना ज्यादा है. यह बैक्टीरिया इंसानों और जानवरों के मल से आता है और साफ-सफाई की बहुत खराब स्थिति को दिखाता है.

इंडियन एक्सप्रेस की खबर के अनुसार, यमुना नदी दिल्ली क्षेत्र में लगभग 22 किलोमीटर बहती है और पल्ला से राजधानी में प्रवेश करती है. 1 जुलाई को लिए गए जल नमूनों की जांच में खुलासा हुआ कि नदी का बायोकेमिकल ऑक्सीजन डिमांड (BOD) भी काफी बढ़ गया है. पल्ला में BOD का स्तर 8 मिलीग्राम/लीटर दर्ज हुआ, जबकि CPCB की सुरक्षित सीमा 3 मिलीग्राम/लीटर से कम होनी चाहिए. ITO से असगरपुर के बीच यह स्तर 70 मिलीग्राम/लीटर तक पहुंच गया है, जो untreated या कमजोर तरीके से उपचारित सीवेज के सीधे प्रवाह को दर्शाता है.

पानी में ऑक्सीजन भी कम, जानवरों के लिए खतरा

जुलाई में पानी की जांच में यह भी सामने आया कि नदी में घुली ऑक्सीजन (DO) बहुत कम हो गई है. ऑक्सीजन की कमी से मछलियों और अन्य जलीय जीवों का जीना मुश्किल हो जाता है. कई जगहों पर तो यह लगभग खत्म हो गई है. वजीराबाद में DO स्तर जून के 6.3 से घटकर जुलाई में 3.4 मिलीग्राम/लीटर हो गया है, जो सुरक्षित स्तर से नीचे है. इसके बाद जैसे-जैसे नदी बहती है, ऑक्सीजन स्तर लगभग शून्य तक पहुंच जाता है,

रिपोर्ट में 17 जुलाई के जल नमूनों के अनुसार, फेकल कोलीफॉर्म बैक्टीरिया का स्तर ITO ब्रिज पर 92 लाख MPN/100 मिलीलीटर दर्ज हुआ, जो सुरक्षित सीमा से लगभग 4,000 गुना ज्यादा है. बाकी लोकेशनों पर भी यह स्तर जून के मुकाबले काफी बढ़ा है, जैसे पल्ला में 2,700 MPN से बढ़कर 2,100, वजीराबाद में 3,900 MPN से बढ़कर 2,600 के करीब पहुंच चुका है. रिपोर्ट बताती है कि नदी में बिना साफ किया हुआ गंदा पानी (सीवेज) सीधे बहाया जा रहा है. इससे नदी में गंदगी और बैक्टीरिया का स्तर बहुत बढ़ गया है. पल्ला, वजीराबाद और ITO जैसे इलाकों में पानी की क्वालिटी बेहद खराब मिली है.

गंभीर संकट से जूझ रही यमुना

यह तेजी से बढ़ता प्रदूषण दिल्ली में यमुना नदी के जल संकट की गंभीरता की ओर इशारा करता है. इससे नदी का बायोलॉजिकल बैलेंस बुरे प्रभाव में है. जलीय जीवन खतरे में पड़ गया है. इस पर स्थिति सुधारने के लिए राष्ट्रीय हरित अधिकरण के निर्देशानुसार DPCC की ओर से निरंतर जल नमूनों की टेस्टिंग की जा रही है.

जानकारों का कहना है कि अगर ऐसे ही गंदगी मिलती रही तो यमुना पूरी तरह से “मरी हुई नदी” बन सकती है. इससे ना सिर्फ पर्यावरण को, बल्कि दिल्ली की जल आपूर्ति को भी खतरा होगा. लगातार बढ़ते प्रदूषण को रोकने और यमुना को फिर साफ और जीवंत बनाने के लिए ठोस कदम उठाने की सख्त जरूरत है.

Published: 21 Jul, 2025 | 10:44 AM