एक हालिया वैश्विक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2034 तक दुनिया का सबसे बड़ा कपास उत्पादक देश बनने की दिशा में तेजी से आगे बढ़ रहा है. चीन को पीछे छोड़ने की तैयारी में जुटा भारत अब अनुकूल जलवायु, बढ़ती मांग और सरकारी योजनाओं की बदौलत कपास उत्पादन में बड़ी छलांग लगा रहा है.
बिजनेस लाइन की खबर के मुताबिक, यह बदलाव न केवल लाखों भारतीय किसानों के लिए आर्थिक लाभ लेकर आएगा, बल्कि वैश्विक टेक्सटाइल सप्लाई चेन की दिशा भी बदल सकता है. एक ताजा रिपोर्ट के मुताबिक, भारत 2034 तक चीन को पीछे छोड़ देगा और कपास उत्पादन में पहला स्थान हासिल करेगा.
भारत की कपास क्रांति की कहानी
कपास, जिसे सफेद सोना भी कहा जाता है, भारत के लाखों किसानों की आजीविका का मुख्य स्रोत है. हाल ही में जारी OECD-FAO एग्रीकल्चरल आउटलुक 2025-2034 रिपोर्ट में बताया गया है कि भारत में कपास का उत्पादन अगले 10 सालों में हर साल औसतन 2 फीसदी की दर से बढ़ेगा. इस तेजी की वजह ज्यादा जमीन पर खेती नहीं, बल्कि बेहतर तकनीक और नई किस्मों की वजह से उपज में सुधार को बताया गया है.
2034 तक क्या होगा बदलाव?
भारत का योगदान: 2034 तक दुनिया भर में जितना कपास उगेगा, उसका 30 फीसदी भारत में होगा.
चीन पीछे: चीन की जगह भारत लेगा, हालांकि चीन कपास प्रसंस्करण (प्रोसेसिंग) में पहले नंबर पर बना रहेगा.
उत्पादकता में सुधार: भारत में अभी कपास की उपज चीन और ब्राजील के मुकाबले कम है, लेकिन तकनीकी मदद से इसमें सुधार होगा.
उत्पादन बढ़ाने के लिए क्या किया जा रहा है?
बेहतर बीज और किस्में: सूखा-रोधी और कीट-रोधी बीटी कपास किस्में अपनाई जा रही हैं, जिससे फसल को कम नुकसान होता है.
नई खेती तकनीक: हाई-डेंसिटी प्लांटिंग सिस्टम (HDPS) जैसे तरीकों से ज्यादा पौधे कम जगह में लगाए जा रहे हैं, जिससे उत्पादन बढ़ता है.
डिजिटल खेती और मशीनों का इस्तेमाल: छोटे किसानों को अब डिजिटल सलाह और यंत्रीकृत कटाई की सुविधा मिल रही है, जिससे लागत भी घट रही है और उपज भी बढ़ रही है.
सरकार की भागीदारी: सरकार और रिसर्च संस्थान मिलकर नई किस्मों और कीट प्रबंधन तकनीकों पर काम कर रहे हैं.
एशिया बन रहा है प्रोसेसिंग हब
रिपोर्ट के मुताबिक, वियतनाम, बांग्लादेश और भारत आने वाले समय में कपास प्रोसेसिंग (धागा, कपड़ा आदि बनाने) के बड़े केंद्र होंगे. हालांकि, चीन 2034 तक इस क्षेत्र में टॉप पर रहेगा, लेकिन भारत उसके बाद दूसरा सबसे बड़ा देश होगा.
कपास व्यापार और खपत का भविष्य
- भारत में कपास की खपत भी अगले 10 वर्षों में हर साल 1.3 फीसदी की दर से बढ़ेगी.
- देश में कपड़े, सूत और वस्त्र उद्योग को इससे बड़ी ताकत मिलेगी.
- बांग्लादेश और वियतनाम जैसे देश, जिनकी खुद की उत्पादन क्षमता कम है, आयात बढ़ाएंगे.