मछली पकड़ना सुनने में जितना आसान लगता है, असल में उतना ही तकनीक और समझ का खेल है. अगर आप फिशिंग के शौकीन हैं या पहली बार ट्राई करने जा रहे हैं तो सबसे बड़ी गलती जो आप कर सकते हैं, वह है गलत फिशिंग लाइन चुनना. क्योंकि चाहे आपके पास अच्छा रॉड हो, बढ़िया बोट हो या एक बेहतरीन लोकेशन, अगर लाइन सही नहीं चुनी तो मछली फिसलकर आपके हाथ नहीं लगेगी. यानी पूरा दिन पानी में उतरने के बाद भी, आप लौटेंगे खाली हाथ.
गलत फिशिंग लाइन चुनी तो हाथ से फिसलेगा शिकार
फिशिंग लाइन, मछली पकड़ने का सबसे अहम हिस्सा होती है. ये वही धागा होता है जिससे मछली को चारे के साथ जोड़कर खींचा जाता है. अगर लाइन कमजोर है या मछली के वजन के हिसाब से नहीं है तो वह बीच में ही टूट सकती है और शिकार हाथ से निकल जाएगा. इसलिए यह जरूरी है कि आप अपने रॉड, मछली और पानी के प्रकार को ध्यान में रखकर लाइन का चुनाव करें.
पानी के मुताबिक चुनें लाइन
मीडिया की एक रिपोर्ट के मुताबिक, अगर आप ताजे पानी जैसे तालाब, झील या नदी में मछली पकड़ रहे हैं तो 6 से 12 पाउंड (2.7 से 5.4 किलो) वजन उठाने वाली मोनोफिलामेंट फिशिंग लाइन बेहतर मानी जाती है. वहीं, अगर आप समुद्र या खाड़ी जैसे खारे पानी में फिशिंग कर रहे हैं तो 10 से 12 पाउंड (4.5 से 5.4 किलो) की थोड़ी मजबूत लाइन का इस्तेमाल करना चाहिए, क्योंकि वहां की मछलियां आकार में बड़ी और ताकतवर होती हैं.
मछली के वजन के हिसाब से चुनें लाइन का टेस्ट
टेस्ट का मतलब यह है कि फिशिंग लाइन अधिकतम कितना वजन झेल सकती है. इसके अलावा, मछली का औसत वजन जानकर उसी हिसाब से टेस्ट वाली लाइन लें. जैसे अगर मछली का औसत वजन 4 किलो है तो आपको कम से कम 5–6 किलो की टेस्ट लाइन चाहिए. क्योंकि ज्यादा भारी लाइन लेने से मछली को शक हो सकता है और वह चारा नहीं खाएगी, वहीं हल्की लाइन जल्दी टूट सकती है.
शुरुआत करें हल्के गियर से
वहीं, ज्यादातर मछुआरों का मानना है कि फिशिंग की शुरुआत हल्के गियर से करनी चाहिए. इससे हाथ जल्दी नहीं थकते, लाइन फेंकना आसान होता है. इतना ही नहीं मछली पकड़ने में मजा भी आता है. वहीं, भारी गियर का इस्तेमाल तभी करें जब आप बड़ी मछलियां पकड़ना चाह रहे हों. क्योंकि हल्के रॉड, लाइन और रील से आप आराम से घंटों मछली पकड़ सकते हैं, वो भी बिना थके.