VB-G RAM G Bill : गांव की गलियों में आज भी रोजगार की सबसे मजबूत पहचान मनरेगा ही है. इसी योजना ने करोड़ों ग्रामीण परिवारों को काम दिया, मजदूरी दी और घर का खर्च चलाने का सहारा बना. हाल ही में ओडिशा दौरे पर कृषि मंत्री शिवराज सिंह चौहान ने कहा था कि सरकार गांव की दिशा और दशा बदलने के लिए काम कर रही है. इसी बयान के बीच अब सरकार मनरेगा की जगह वीबी-जी रामजी (VB-G RAM G) नाम का नया कानून लाने की तैयारी में है. इस खबर ने संसद से लेकर गांव तक बहस छेड़ दी है. कोई इसे सुधार बता रहा है, तो कोई इसे सियासी चाल. ऐसे में आइए जानते हैं कि आखिर यह नया बिल क्या है और इस पर विरोध क्यों हो रहा है?
क्या है नया VB-G RAM G बिल
केंद्र सरकार मनरेगा (MGNREGA) को हटाकर विकसित भारत-ग्रामीण रोजगार और आजीविका मिशन (VB-G RAM G) नाम का नया बिल लाने की तैयारी में है. सरकार का कहना है कि यह बिल ग्रामीण रोजगार को और मजबूत बनाएगा. इसमें काम के दिन बढ़ाने, भुगतान जल्दी करने और रोजगार के साथ आजीविका जोड़ने की बात कही गई है. मतलब सिर्फ मजदूरी नहीं, बल्कि गांव में टिकाऊ काम और कमाई के नए रास्ते तैयार किए जाएंगे. सरकार इसे विकसित भारत के सपने से जोड़कर देख रही है.
सरकार क्या-क्या बदलाव करना चाहती है
सरकार के मुताबिक नए बिल में ग्रामीणों को ज्यादा फायदा मिलेगा. मनरेगा में जहां 100 दिन के काम की गारंटी थी, वहां नए बिल में इसे बढ़ाने का प्रस्ताव है. इसके साथ ही मजदूरी का पैसा समय पर खाते में पहुंचे, इस पर भी जोर दिया गया है. अगर भुगतान में देरी होती है, तो मुआवजे जैसी व्यवस्था भी रखने की बात कही गई है. सरकार का दावा है कि इससे गांवों में काम की गुणवत्ता सुधरेगी और लोग सिर्फ मजदूरी नहीं, बल्कि स्थायी आजीविका की ओर बढ़ेंगे.
विपक्ष क्यों कर रहा है विरोध
इस बिल को लेकर कांग्रेस और विपक्षी दलों ने कड़ा विरोध जताया है. उनका कहना है कि मनरेगा सिर्फ एक योजना नहीं, बल्कि गरीबों का अधिकार है. विपक्ष का आरोप है कि सरकार जानबूझकर महात्मा गांधी का नाम हटाना चाहती है. उनका कहना है कि यह बदलाव गरीबों के हक से ज्यादा राजनीति से जुड़ा है. कांग्रेस नेताओं का यह भी कहना है कि नाम बदलने से असली समस्या हल नहीं होगी, बल्कि गांवों में रोजगार की सुरक्षा कमजोर हो सकती है.
क्या है सरकार की असली मंशा
मोदी सरकार ग्रामीण रोजगार व्यवस्था को नए सिरे से मजबूत करने की दिशा में आगे बढ़ रही है. इसी क्रम में मनरेगा की जगह विकसित भारत गारंटी फॉर रोजगार और आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी VB-G RAM G बिल लाया गया है. सरकार का कहना है कि यह सिर्फ नाम बदलने का फैसला नहीं, बल्कि गांवों की बदलती जरूरतों के अनुसार रोजगार व्यवस्था को आधुनिक रूप देने की कोशिश है. नए कानून में डिजिटल तकनीक, खेती के मौसम के मुताबिक काम और हर साल 125 दिन रोजगार की कानूनी गारंटी का प्रावधान रखा गया है. ग्रामीण विकास मंत्री शिवराज सिंह चौहान (Shivraj Singh Chouhan) के अनुसार, बीते 20 वर्षों में गांवों में बड़ा सामाजिक-आर्थिक बदलाव आया है, इसलिए रोजगार कानून को और मजबूत बनाना समय की मांग है.
आगे क्या होगा, किसे होगा फायदा
अब सबकी नजर संसद की बहस पर है. अगर यह बिल पास होता है, तो ग्रामीण रोजगार की तस्वीर बदल सकती है. सरकार इसे सुधार और भविष्य की जरूरत बता रही है, जबकि विपक्ष इसे गरीब विरोधी कदम कह रहा है. साफ है कि आने वाले दिनों में इस मुद्दे पर राजनीति और तेज होगी. असली सवाल यही है कि नाम बदलने से गांव के मजदूर की जिंदगी आसान होगी या मुश्किल, इसका जवाब वक्त ही देगा.