नई दिल्ली के अटल अक्षय उर्जा भवन ऑडिटोरियम में आज केंद्रीय गृह मंत्री और सहकारिता मंत्री अमित शाह ने ‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025’ का शुभारंभ किया. इस दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, ‘सहकारिता नीति बनाते समय इस बात का ध्यान रखा गया कि नीति का केंद्र बिंदु लोग, गांव, कृषि, गांव की महिलाएं, दलित, आदिवासी हों… एक वाक्य में कहें तो इसका विजन सहकारिता की समृद्धि के माध्यम से 2047 में एक विकसित भारत बनाना है. इसका मिशन पेशेवर, पारदर्शी, तकनीकी, जिम्मेदार और आर्थिक रूप से स्वतंत्र एवं सफल लघु सहकारी इकाइयाँ विकसित करना है. हम हर गाँव में कम से कम एक सहकारी समिति बनाने के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहे हैं.
सहकारिता से जुड़ा हर सदस्य आत्मनिर्भर
‘राष्ट्रीय सहकारिता नीति-2025’ के शुभारंभ के दौरान केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि पिछले 4 साल में देश में सहकारिता ने कई सिद्धियां हासिल की लेकिन जो सबसे बड़ी सिद्धी है वो ये है कि आज सहकारिता से जुड़ा हर सदस्य आत्मनिर्भर बन गया है. उन्होंने कहा कि इन 4 सालों में देश का सहकारिता विभाग समानता के हर पैमाने पर खड़ा है. इसके साथ ही गृह मंत्री ने कहा कि देश के अर्थतंत्र के विकास करने की क्षमता केवल सहकारिता क्षेत्र में है. उन्होंने बताया कि भारत सरकार साल 2002 में पहली बार सहकारिता नीति लाई थी. इसके साथ ही उन्होंने कहा कि जो विकसित भारत के सपने को समझ सकता है वहीं , देश में सहकारिता की जरूरत को समझ सकता है.
नीति से बनेंगे रोजगार के नए अवसर
केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि, सहकारिता की नई नीति लाने के पीछे का उद्देश्य सहकारी संस्थाओं को आधुनकि और ज्यादा सक्रिया बनाना है. ताकि विकसित भारत के सपने को साकार करने में सहयोग मिल सके. उन्होंने कहा कि यह नई नीति ग्रामीण इलाकों में रोजगार और आजाविका के नए अवसर बनाएगी , जिसकी मदद से ग्रामीण क्षेत्र के लोग आर्थिक तौर पर मजबूत बन सकेंगे. केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि यह नई नीति ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य को पाने में सहकारी क्षेत्र की भूमिका को और मजबूत करेगी.
नई सहकारिता नीति के फायदे
गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि देश में पहली बार सहकारिता नीति साल 2002 में आई थी. तब से लेकर अबतक देश में बहुत से बदलाव आए हैं. उन्होंने नई सहकारिता नीति पर जोर देते हुए बताया कि 2047 के विकसित भारत के सपने को पूरा करने के लिए सहकारिता मंत्रालय अहम भूमिका निभाएगा. बता दें कि आज के डिजिटल दौर में किसान नई-नई चुनौतियों से जूझ रहे हैं और गांवों में रोजगार की जरूरत पहले से कहीं ज्यादा महसूस की जा रही है.नई सहकरिता नीति की मदद से किसानों को मंडियों और बिचौलियों पर निर्भर रहने से मुक्ति मिलेगी. गांवों में रोजगार के नए अवसर बनेंगे. इस नीति की खासियत ये है कि इसका जोर विशेष रूप से महिलाओं और युवाओं की सहकारी समितियों में भागीदारी बढ़ाने पर है.