महाराष्ट्र सरकार ने 500 करोड़ रुपये की इस योजना को दी मंजूरी, किसानों को मिलेगी 80 फीसदी सब्सिडी

महाराष्ट्र सरकार की मुख्यमंत्री सतत कृषी सिंचन योजना (CMSAS) का उद्देश्य सूखा, नक्सल और आत्महत्या प्रभावित जिलों में सिंचाई सुविधाएं बढ़ाकर किसानों को राहत देना है. 500 करोड़ रुपये की इस योजना में छोटे किसानों को 80 फीसदी तक सब्सिडी मिलती है.

नोएडा | Updated On: 4 May, 2025 | 12:33 PM

महाराष्ट्र सरकार ने साल 2024-25 के लिए ‘मुख्यमंत्री सतत कृषी सिंचन योजना’ (CMSAS) को मंजूरी दी है और इसके लिए 500 करोड़ रुपये का बजट तय किया है. इस योजना का मकसद सूखा प्रभावित, नक्सल प्रभावित और किसानों की आत्महत्या से जूझ रहे जिलों में सिंचाई की बेहतर सुविधा देना है, ताकि वहां के किसानों को राहत मिल सके. यह स्कीम केंद्र सरकार की ‘प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि’ जैसी योजनाओं के साथ मिलकर किसानों की मूल समस्याओं को दूर करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है.

मुख्यमंत्री सतत कृषी सिंचन योजना की शुरुआत 18 अगस्त 2018 को हुई थी. पहले यह योजना उन इलाकों पर केंद्रित थी, जहां खेती में मुश्किलें थीं या सामाजिक अशांति थी. लेकिन 18 नवंबर 2019 को नीति में बदलाव के बाद इसे महाराष्ट्र के सभी तालुकों में लागू कर दिया गया. इस योजना का उद्देश्य पानी की कमी और खेती से जुड़ी आर्थिक समस्याओं को दूर करना है.  यह ‘प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना’ (PMKSY) को और मजबूत बनाती है.

80 फीसदी तक सब्सिडी मिलेगी

द टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक,  इसमें किसानों को सिंचाई सिस्टम के लिए अतिरिक्त सब्सिडी दी जाती है. छोटे किसानों को माइक्रो-इरीगेशन उपकरणों पर 80 फीसदी तक सब्सिडी मिलती है, जबकि अन्य किसानों को 55 फीसदी अनुदान मिलता है. 28 जून 2022 को अपडेट हुई इस योजना में फार्म पोंड (जल कुंड), ग्रीनहाउस और सुरक्षात्मक ढांचों के निर्माण के लिए भी सहायता दी जाती है.

मराठवाड़ा जैसे जिलों के किसानों को खास फायदा

500 करोड़ रुपये की यह योजना ‘महा-DBT’ प्लेटफॉर्म के जरिए चलाई जाती है, जिसमें फंड सीधे आधार से जुड़े खातों में PFMS के माध्यम से ट्रांसफर किया जाता है. इस योजना की निगरानी पुणे स्थित कृषि आयुक्त करते हैं, और इसे PMKSY और राज्य सरकार के नियमों के तहत सख्ती से लागू किया जाता है. इस योजना से गढ़चिरोली, चंद्रपुर, विदर्भ और मराठवाड़ा जैसे जिलों के किसानों को खास फायदा होगा. इसका मकसद किसानों को किफायती सिंचाई सुविधाएं देना है, जिससे उनकी मॉनसून पर निर्भरता और खेती की लागत कम हो, और उत्पादन बढ़े.

Published: 4 May, 2025 | 12:31 PM