हरियाणा में जलभराव से 1.5 लाख एकड़ खेती प्रभावित, कई जिलों में 50 फीसदी तक फसलों को नुकसान

हरियाणा के कई जिलों में खरीफ सीजन के दौरान जलभराव और बाढ़ जैसी स्थिति से लगभग 1.5 लाख एकड़ फसलें बर्बाद हो गई हैं. किसानों को दोहरे नुकसान की आशंका है.

Kisan India
नोएडा | Updated On: 10 Aug, 2025 | 10:00 AM

हरियाणा के भिवानी, हिसार, सिरसा, फतेहाबाद, रोहतक, झज्जर, जींद और रेवाड़ी जैसे जिलों में खरीफ सीजन के दौरान एक बार फिर बाढ़ जैसी स्थिति ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं, क्योंकि फसलों को बहुत अधिक नुकसान पहुंचा है. हालांकि, कृषि विशेषज्ञों का मानना है कि यह नुकसान ज्यादा बारिश से नहीं, बल्कि खराब जल प्रबंधन और फसल विविधता की कमी की वजह से हो रहा है. इस मॉनसून में राज्य में अब तक 290.5 मिमी बारिश हुई है, जबकि सामान्य औसत 255.5 मिमी होता है. अनुमान के मुताबिक, करीब 1.5 लाख एकड़ में बोई गई खरीफ फसलें जलभराव की वजह से प्रभावित हुई हैं. कई इलाकों में पानी रबी सीजन की बुआई तक नहीं सूखेगा, जिससे किसानों को दोहरा नुकसान होने की आशंका है.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला प्रशासन द्वारा नियमित दौरों और पंपसेट लगाने के बावजूद मूल समस्या बनी हुई है. हिसार में लगभग 35 गांव जलभराव से प्रभावित हैं, जहां सरकारी अनुमान के अनुसार 80,190 एकड़ फसल को नुकसान हुआ है, जो 25 फीसदी से 50 फीसदी तक है. इसी तरह भिवानी जिले के 15 गांवों में कपास, ग्वार और धान की फसलें डूब गई हैं, जबकि रेवाड़ी में 35 से ज्यादा गांवों में कपास और बाजरा की फसलें हजारों एकड़ में नष्ट हो चुकी हैं.

प्रति एकड़ 50,000 रुपये मुआवजा देने की मांग

किसानों का कहना है कि खेतों में जमा पानी अभी नहीं निकला तो फसलें पूरी तरह सड़ जाएंगी, जिससे मौसमी आमदनी पूरी तरह खत्म हो सकती है. ऊपर पहाड़ी इलाकों में भारी बारिश के कारण हालात और बिगड़ गए हैं, जिससे मारकंडा नदी जैसे जलस्रोत अपनी क्षमता से ज्यादा भर गए हैं. भिवानी में जलभराव वाले गांवों का दौरा करने पहुंचे कांग्रेस सांसद दीपेंद्र हुड्डा ने भाजपा सरकार पर आरोप लगाया कि वह पानी निकासी और फसलों को बचाने के लिए जरूरी कदम उठाने में नाकाम रही है. उन्होंने प्रभावित किसानों को प्रति एकड़ 50,000 रुपये मुआवजा देने की मांग की.

बजट में 3,071.73 करोड़ रुपये का प्रावधान

पगड़ी संभाल जट्टा किसान संघर्ष समिति ने सरकार से विशेष गिरदावरी, प्रति एकड़ 50,000 रुपये का मुआवजा, और भविष्य में बाढ़ से बचाव के लिए घग्गर मल्टीपर्पस ड्रेन को चौड़ा करने की मांग की है. वहीं, भाजपा प्रवक्ता नेहा धवन ने कहा कि राज्य सरकार ने समय रहते कार्रवाई की है. सभी विभाग जल निकासी और फसल नुकसान के निरीक्षण में लगे हैं. उन्होंने भरोसा दिलाया कि किसानों को पूरा मुआवजा दिया जाएगा. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, हरियाणा ने सिंचाई और बाढ़ नियंत्रण पर 2,044.79 करोड़ रुपये (2021- 22),  2,425.33 करोड़ रुपये (2022- 23) और 2,356.77 करोड़ रुपये (2023- 24) खर्च किए हैं. जबकि, साल 2024- 25 के लिए 3,071.73 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है, जो राज्य के कुल बजट का लगभग 3.72 फीसदी है.

300 करोड़ रुपये का फसल बीमा बकाया

हालांकि किसानों को प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (PMFBY) और अनइंश्योर्ड नुकसान के लिए मुआवजे का प्रावधान है. लेकिन क्लेम मिलने में देरी और विवाद किसानों में गुस्से की वजह बने हुए हैं. सिर्फ भिवानी में ही किसान 300 करोड़ रुपये के बकाया बीमा दावों को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे हैं. हिसार, सिरसा, फतेहाबाद और जींद में भी इसी तरह के आंदोलन चल रहे हैं. किसान नेता रामकुमार ने आरोप लगाया कि सरकार ने सिंचाई, बाढ़ प्रबंधन और फसल विविधीकरण के नाम पर हजारों करोड़ खर्च कर दिए, लेकिन किसान आज भी धान पर ही निर्भर हैं.

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Published: 10 Aug, 2025 | 09:58 AM

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