ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से हजारों एकड़ खेत पानी में डूबे, कई गांवों में फसलों को भारी नुकसान

पंजाब के कपूरथला जिले में ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से हजारों एकड़ खेत डूब गए हैं. धिलवां, भोलाथ और सुल्तानपुर लोधी सबसे ज्यादा प्रभावित हैं. अस्थाई बांध टूटने से हालात बिगड़े हैं.

नोएडा | Updated On: 4 Aug, 2025 | 02:23 PM

ब्यास नदी का जलस्तर बढ़ने से पंजाब के कपूरथला जिले के हजारों एकड़ खेत पानी में डूब गए हैं. सबसे ज्यादा असर धिलवां, भोलाथ और सुल्तानपुर लोधी इलाकों में देखा गया, जहां दर्जनों गांव प्रभावित हुए हैं. अधिकारियों का कहना है कि यह बाढ़ अस्थाई है. कुछ ही दिनों में पानी उतरने की उम्मीद है. इससे स्थिति सामान्य हो जाएगी. खास बात यह है कि ज्यादा नुकसान उन जगहों पर हुआ है, जहां किसानों ने अस्थाई बांध बनाए थे. कपूरथला के सागरपुर और सुल्तानपुर लोधी के पास्सन कदीम गांवों में बांध टूटने से हालात और बिगड़ गए, जिससे खेतों में पानी भर गया.

द ट्रिब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक,  चाकोकी और पास्सन कदीम में रहने वाले गुर्जर समुदाय के लोगों को अपने मवेशियों के साथ ऊंचे इलाकों में जाना पड़ा. प्रभावित गांवों में मांड हबीबवाल, टांडी, रायपुर अराईंया, दौलदपुर, मिर्जापुर, बुटाला, धिलवां, शेरपुर डोगरा और धुंडा शामिल हैं, जहां फसलें पूरी तरह पानी में डूब गई हैं. बाढ़ से प्रभावित इलाकों में धान मुख्य फसल है, लेकिन कुछ जगहों पर मक्का और सब्जियां भी उगाई जाती हैं. फिलहाल जिले के किसी रिहायशी इलाके को नुकसान नहीं हुआ है.

250 एकड़ खेती पानी डूब गई

सुल्तानपुर लोधी के बाऊपुर गांव के लोगों ने जुलाई में जलस्तर बढ़ने की आशंका जताई थी, लेकिन मंड क्षेत्र में यह इस सीजन की पहली बड़ी बाढ़ है. पास्सन कदीम गांव के निवासी नैशन सिंह ने कहा कि वहां 250 एकड़ खेती डूब गई है, जिसमें उनके खुद के 6-7 एकड़ खेत भी शामिल हैं. उन्होंने कहा कि गांव का शायद ही कोई किसान बचा हो जिसकी फसल को नुकसान न हुआ हो. कुछ किसानों की तो 15 एकड़ तक की फसल बर्बाद हो गई है. धान और चारे की खड़ी फसलें गंदे बाढ़ के पानी में बचना मुश्किल है.

उन्होंने आरोप लगाया कि प्रशासन से कई बार मदद मांगी गई, लेकिन कोई सहायता नहीं मिली. कुछ किसान हरिके के अधिकारियों से भी पानी निकालने की गुहार लगा चुके हैं, मगर कुछ नहीं हुआ. चक्कोकी गांव के सरपंच जगतार सिंह ने हर साल मॉनसून में आने वाली बाढ़ पर नाराजगी जताते हुए कहा कि इसका कोई स्थायी हल अब तक नहीं निकाला गया है.

किसी रिहायशी इलाके में बाढ़ नहीं आई

कपूरथला के ड्रेनेज विभाग के एसडीओ खुशमिंदर सिंह ने कहा कि यह बाढ़ सिर्फ फ्लडप्लेन (नदी के किनारे के निचले) इलाकों तक सीमित है और इसका पहाड़ी इलाकों में हुई बारिश या डैम से पानी छोड़े जाने से कोई लेना-देना नहीं है. उन्होंने कहा कि इस बार जलस्तर 2023 की तुलना में काफी कम है. इस साल 75,600 क्यूसिक पानी है, जबकि 2023 में 1.5 लाख क्यूसिक था. पानी तेजी से घट रहा है और न तो फसलों को बड़ा नुकसान हुआ है और न ही किसी रिहायशी इलाके में बाढ़ आई है.

Published: 4 Aug, 2025 | 02:19 PM