सुपारी की फसल में लगी गंभीर बीमारी, किसानों को 300 करोड़ का नुकसान.. जानें क्या है आगे की तैयारी

शिवमोग्गा जिले के सुपारी किसानों को पत्ती धब्बा और फल सड़न रोग से पिछले तीन सालों में भारी आर्थिक नुकसान हुआ. 2024–25 में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा का नुकसान दर्ज किया गया. केंद्र ने राष्ट्रीय वैज्ञानिक समिति बनाकर रोग प्रबंधन और यलो लीफ डिजीज-प्रतिरोधी पौधों के लिए रणनीति तैयार की.

Kisan India
नोएडा | Published: 20 Dec, 2025 | 01:51 PM

Karnataka News: कर्नाटक के शिवमोग्गा जिले के सुपारी किसानों को पिछले तीन सालों में फसल रोगों के कारण भारी नुकसान उठाना पड़ा. जबकि केंद्र सरकार का कहना है कि मलनाड क्षेत्र में इन बीमारियों के मामले सिर्फ ‘नाममात्र’ रहे हैं. 2024- 25 में पत्ती धब्बा रोग और फल सड़न (कोलेरोगा) से जुड़ा नुकसान एक ही साल में 300 करोड़ रुपये से ज्यादा पहुंच गया. संसद के शीतकालीन सत्र में सांसद बी.वाई. राघवेंद्र के सवाल के जवाब में कृषि एवं किसान कल्याण राज्य मंत्री रामनाथ ठाकुर ने कहा कि 2022- 23 से 2024- 25 के बीच केंद्रीय सर्वे में इन रोगों की केवल हल्की मौजूदगी दर्ज की गई, जबकि 2025- 26 में अब तक कोई मामला सामने नहीं आया है.

आंकड़ों के अनुसार, 2022- 23 में शिवमोग्गा में पत्ती धब्बा रोग  से करीब 5,991 हेक्टेयर और फल सड़न से 6,720 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ था, जिससे लगभग 32 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. 2023- 24 में यह नुकसान बढ़कर 54 करोड़ रुपये से अधिक हो गया. 2024- 25 में बीमारी का असर और तेज हुआ और जिले की एक प्रमुख बागवानी फसल सुपारी को भारी आर्थिक चोट पहुंची.

धब्बा रोग से 30,600 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ

द न्यू इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के मुताबिक, 2024- 25 में स्थिति और गंभीर हो गई. सिर्फ पत्ती धब्बा रोग से 30,600 हेक्टेयर क्षेत्र प्रभावित हुआ, जिससे 136.3 करोड़ रुपये का नुकसान हुआ. फल सड़न ने लगभग 37,383 हेक्टेयर को नुकसान पहुंचाया, जिसकी अनुमानित लागत 166.35 करोड़ रुपये रही. केंद्र ने 2022 में सुपारी के लिए राष्ट्रीय वैज्ञानिक समिति बनाई, जिसने पत्ती धब्बा रोग के लिए पोषण और फंगस नियंत्रण सहित समग्र प्रबंधन और यलो लीफ डिजीज-प्रतिरोधी पौधों के लिए टिशू कल्चर जैसी दीर्घकालिक रणनीति सुझाई.

कर्नाटक को 3,700 लाख रुपये मंजूर किए गए

सुपारी और मसाले विकास निदेशालय ने शिवमोग्गा समेत चार जिलों के 10 तालुकों में समुदाय आधारित प्रबंधन कार्यक्रम शुरू किया, जिसमें तीन साल के लिए 6.31 करोड़ रुपये मंजूर किए गए. 2024- 25 में केंद्र ने राज्य बागवानी मिशन, कर्नाटक को 3,700 लाख रुपये मंजूर किए और 2025- 26 में 860.65 लाख रुपये, जिनमें से 189.25 लाख रुपये शिवमोग्गा के लिए थे. अब तक 2,755 किसानों को 146.24 लाख रुपये जारी किए गए हैं.

सुपारी बीमा के लिए 6,52,440 आवेदन मिले

2023- 24 में 8,661 किसानों को पत्ती धब्बा रोग प्रबंधन के लिए 2.5 करोड़ रुपये की मदद दी गई. राष्ट्रीय बागवानी मिशन योजना  के तहत हर हेक्टेयर पर 1,500 रुपये की सब्सिडी दी जा रही है. 2025- 26 में RWBCIS के तहत सुपारी बीमा के लिए 6,52,440 आवेदन मिले, जिनमें से 1,18,345 शिवमोग्गा से हैं. सांसद राघवेंद्र ने यलो लीफ और पत्ती धब्बा रोग से प्रभावित किसानों के लिए पर्याप्त सुरक्षा की मांग की और बीमा प्रणाली में तकनीकी बाधाओं और गणना में सुधार की अपील की.

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