Vegetable Mandi Rates: लगातार हो रही बारिश से हरी सब्जियों की कीमतों में आग लग गई है. कई हरी सब्जियां बहुत ज्यादा महंगी हो गई हैं. दिल्ली, कोलकाता, भोपाल और वाराणसी तक एक जैसी ही हाल है. महंगाई का आलम यह है कि वाराणसी में जो तोरई पहले 30 रुपये किलो थी, अब उसका रेट बढ़कर 70 रुपये हो गया है. इसी तरह टमाटर अब 80 रुपये किलो बिक रहा है, जिसकी कीमत पहले 40 रुपये थी. हालांकि, कमोबेश यही हाल दिल्ली में भी है. दिल्ली में टमाटर की कीमत 90 से 100 रुपये प्रति किलो हो गई है. ऐसे में कई परिवारों ने टमाटर खरीदना ही छोड़ दिया है.
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, इस साल भारी बारिश ने कई अहम सब्जी उगाने वाले इलाकों को प्रभावित किया है. खास कर बारिश से हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड जैसे पहाड़ी राज्यों में फसलों की सप्लाई और ट्रांसपोर्ट बुरी तरह से प्रभावित हुए हैं. अब इसका असर पूरे देश की सब्जी मंडियों में साफ दिख रहा है. भोपाल में टमाटर 60 रुपये किलो बिक रहे हैं और तोरई 120 रुपये किलो तक पहुंच गई है. ये जानकारी टाइम्स ऑफ इंडिया की जुलाई के दूसरे हफ्ते की रिपोर्ट में दी गई है.
महंगी हुईं ये सब्जियां
कोलकाता में बैंगन की कीमतें 30 जून को 100-120 किलो थीं, जो अब अगस्त में 160-170 रुपये किलो तक पहुंच गई हैं. हरी मिर्च 60 से 70 रुपये किलो से बढ़कर 200 रुपये किलो हो गई है. इसी तरह फली (बीन्स) 150 रुपये से बढ़कर 250 रुपये प्रति किलो हो चुकी है. हालांकि आलू, प्याज और कद्दू की कीमतें अब भी लगभग स्थिर बनी हुई हैं.
इस वजह से फसलों को होता है नुकसान
लेकिन सवाल ये उठता है कि जब मॉनसून में बारिश भरपूर होती है, जिससे पैदावार अच्छी होनी चाहिए, तो फिर दाम इतने क्यों बढ़ते हैं? दरअसल, इसके पीछे कई कारण हैं और ये सब आपस में जुड़े हुए हैं. एक्सपर्ट का कहना है कि मॉनसून के दौरान भारी बारिश, बाढ़ और तेज हवाओं की वजह से फसलें खराब हो जाती हैं, जिससे पैदावार घट जाती है. इसके साथ ही खेतों से मंडियों तक सब्जियां पहुंचाने में भी स्टोरेज और ट्रांसपोर्ट की दिक्कतें सामने आती हैं. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस साल बारिश से कर्नाटक, तेलंगाना, पश्चिम बंगाल, महाराष्ट्र और कुछ अन्य राज्यों के किसानों को भारी नुकसान हुआ है. कई जगहों पर खेतों में पानी भरने से सब्जियां सड़ गईं और तेज हवाओं से खड़ी फसलें गिर गईं.
संगारेड्डी मंडी यार्ड में चावल और मक्का सड़ गया
दूरदर्शन की एक रिपोर्ट के अनुसार, मार्च में संगारेड्डी के मंडी यार्ड में रखे सैकड़ों बोरे चावल और मक्का बारिश में भीग गए. इसका कारण बंगाल की खाड़ी पर बनी चक्रवाती हवाएं और ईस्टरलीज थीं, जिससे किसानों को भारी नुकसान हुआ. भारत में फलों और सब्जियों के लिए भंडारण सुविधाएं तो काफी हद तक मौजूद हैं, लेकिन उनका प्रबंधन अक्सर कमजोर होता है. अगर बारिश के लिए तैयारी हो भी जाए, तब भी मॉनसून की नमी की वजह से सब्जियां जल्दी सड़ने लगती हैं, जिससे नुकसान और ज्यादा हो जाता है.