अमरूद के खेत में कीटों का हमला, कैसे करें लार्वा से अपनी फसल की हिफाजत

एक ही जगह बार-बार अमरूद उगाने से कीटों को बढ़ने का मौका मिलता है. इसलिए फसल बदलते रहें और मिर्च, गेंदा, धनिया जैसे कीट प्रतिरोधी पौधों को साथ लगाएं.

Kisan India
नई दिल्ली | Published: 29 Apr, 2025 | 09:20 AM

अमरूद जिसे जिसे ‘ट्रॉपिक्स का सेब’या ग्वावा, न सिर्फ स्वाद में बेहतरीन होता है बल्कि सेहत के लिए भी बेहद फायदेमंद है. लेकिन हर फसल की तरह अमरूद की खेती भी कुछ चुनौतियों के साथ आती है. इसमें सबसे आम और नुकसानदायक समस्या होती है इल्ली यानी लार्वा (Larvae) का प्रकोप, जो मुख्य रूप से फ्रूट फ्लाई (फल मक्खी) और मोथ (कीट) के कारण होता है. ये कीट फल को अंदर से खराब कर देते हैं और किसान को भारी आर्थिक नुकसान झेलना पड़ता है.

कैसे होती है इल्ली की समस्या?

जब अमरूद पकने लगता है, तब फल मक्खी उसमें अंडे देती है. कुछ कीट जैसे मोथ, पौधों की कोमल शाखाओं और पत्तों पर अंडे देते हैं. जब ये अंडे फूटते हैं, तो लार्वा अमरूद के अंदर घुसकर उसे सड़ा देता है. इससे फल खाने या बेचने लायक नहीं रहता. एक बार यह संक्रमण शुरू हो जाए, तो पूरी फसल पर फैल सकता है.

इल्ली से बचाव के आसान और कारगर उपाय-

सफाई और छंटाई जरूरी

खेत की साफ-सफाई बनाए रखना बहुत जरूरी है. गिरे हुए और सड़े फलों को तुरंत खेत से हटा दें ताकि इल्ली का जीवनचक्र वहीं टूट जाए. साथ ही, संक्रमित शाखाओं की छंटाई करें ताकि कीटों को पनपने की जगह न मिले.

फेरोमोन ट्रैप लगाएं

खेत में फेरोमोन ट्रैप लगाने से मादा कीट को आकर्षित करने वाले नर कीट पकड़ में आ जाते हैं. इससे अंडे देने की प्रक्रिया में रुकावट आती है और कीटों की संख्या घटती है.

जैविक नियंत्रण अपनाएं

कुछ कीटों के प्राकृतिक दुश्मन जैसे परजीवी ततैया (Parasitic Wasps) या शिकार करने वाले भृंग (Predator Beetles) लार्वा को खा जाते हैं. इन्हें खेत में छोड़ने से कीट नियंत्रण प्राकृतिक तरीके से होता है. इसके लिए कृषि विशेषज्ञ से सलाह लें.

जैविक दवाएं और स्प्रे

अगर संक्रमण बढ़ जाए, तो नीम का तेल, स्पिनोसैड (Spinosad) या बेसिलस थ्यूरिंजिएन्सिस (Bt) जैसे जैविक कीटनाशकों का उपयोग करें. ये पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचाते और लाभदायक कीटों को भी नहीं मारते.

फसल चक्र और मिश्रित खेती करें

एक ही जगह बार-बार अमरूद उगाने से कीटों को बढ़ने का मौका मिलता है. इसलिए फसल बदलते रहें और मिर्च, गेंदा, धनिया जैसे कीट प्रतिरोधी पौधों को साथ लगाएं. इससे कीटों का जीवनचक्र टूटता है.

निगरानी रखें और जल्दी पहचानें

खेत में समय-समय पर निरीक्षण करें. अगर पत्तियों पर छेद, मुरझाना या रंग बदलने के लक्षण दिखें, तो तुरंत कार्रवाई करें. जल्दी पहचान और इलाज से फसल को बचाया जा सकता है.

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