सरसों की कैनोला किस्म से बंपर उपज पा रहे किसान, खर्च से ज्यादा हो रहा मुनाफा

पूसा सरसों 0031 (PDZ-1) एक नई किस्म की सरसों है, जिसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद द्वारा विकसित किया गया है. यह किस्म दिल्ली और आसपास के राज्यों के लिए उपयुक्त है और इसमें तेल और बीज की उच्च गुणवत्ता होती है.

Kisan India
Noida | Updated On: 7 Apr, 2025 | 01:18 PM

भारत में कृषि क्षेत्र के लिए हमेशा नई किस्में और तकनीकें विकसित होती रही हैं, जो किसानों की मेहनत को आसान और फायदेमंद बनाती हैं. ऐसे ही एक नई किस्म की सरसों है, जिसे ‘पुसा डबल जीरो सरसों 31’ (PDZ-1) के नाम से जाना जाता है. यह किस्म खासतौर पर दिल्ली और आसपास के राज्यों जैसे हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश के किसानों के लिए विकसित की गई है, जहां समय पर इसकी सिंचाई की अच्छी सुविधा उपलब्ध है.

पूसा सरसों डबल जीरो 31 (PDZ-1)

पूसा डबल जीरो 31 (PDZ-1) को भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के द्वारा खासतौर पर राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (NCR) के लिए तैयार किया गया है. इस किस्म का मुख्य उद्देश्य किसानों को एक ऐसी सरसों प्रदान करना है, जो न केवल बेहतर उपज दे, बल्कि तेल और बीज की क्वालिटी भी अच्छी हो, जिससे किसानों का अधिक मुनाफा हो सके. इसके साथ ही यह सरसों ‘डबल जीरो’ किस्म की है, यानी इसमें एरुसिक एसिड (Erucic Acid) और ग्लूकोसिनोलेट्स (Glucosinolates) का स्तर काफी कम है. इसी कारण इसे ‘कैनोला गुणवत्ता’ वाली सरसों भी माना जाता है.

पूसा सरसों 0031 (PDZ-1) विशेषताएं

पुसा डबल जीरो सरसों 31 (PDZ-1) की सबसे बड़ी विशेषता यह है कि इसमें तेल की उच्च मात्रा और उच्च गुणवत्ता का होता है. जो न केवल व्यापारियों को बल्कि उपभोक्ता के लिए भी फायदेमंद साबित होता है. इसके अलावा इसके यह बीज पशुओं के लिए पौष्टिक आहार हो सकता है. वहीं किसान इसे बेंच कर अतिरिक्त आय का स्रोत भी बना सकते है. इसके साथ ही बता दें कि इस किस्म का औसत बीज उत्पादन लगभग 2379 किलोग्राम प्रति हेक्टेयर (kg/ha) है, जो इसे अधिक उत्पादक किस्मों में से एक बनाता है. इसका पौधा लगभग 144 दिनों तैयार हो जाता है.

सरकार और कृषि संस्थानों का योगदान

पुसा डबल जीरो सरसों 31 (PDZ-1) को विकसित करने में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) का महत्वपूर्ण योगदान रहा है. यह संस्थान न केवल नई किस्मों का विकास करता है, बल्कि किसानों के लिए नई तकनीकों और विधियों को भी प्रस्तुत करता है, ताकि उनका कृषि व्यवसाय और अधिक फायदे का सौदा बन सके. इसके अलावा, कृषि विभाग और राज्य सरकारों द्वारा किसानों को प्रशिक्षण देने और उन्हें नई किस्मों के बारे में जागरूक करने का काम भी किया जाता है, जिससे किसानों को इस किस्म के फायदों का सही से लाभ मिल सके.

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Published: 6 Apr, 2025 | 04:55 PM

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