प्याज के फूल पर नहीं आ रही मधुमक्खियां, बीज की खेती करने वाले किसान निराश

प्‍याज की फसल जिस पर फूल तो आ गए हैं लेकिन उस पर अभी तक मधुमक्खियों के झुंड ने परागण नहीं किया है. कुछ प्याज उत्पादक फसल के कंद की कटाई नहीं करते हैं. ये ऐसे किसान होते हैं तो बीज को उगाते हैं.

Kisan India
Agra | Published: 9 Mar, 2025 | 06:00 AM

महाराष्‍ट्र के सतारा जिले में प्‍याज की खेती करने वाले किसान इन दिनों खासे निराश हैं. उनकी निराशा की वजह है प्‍याज की फसल जिस पर फूल तो आ गए हैं लेकिन उस पर अभी तक मधुमक्खियों के झुंड ने परागण नहीं किया है. अब किसानों को इस बात से चिंता है कि आखिर ऐसा क्‍यों नहीं हो रहा है. किसानों का कहना है मैनुअल परागण तो किया जा सकता है लेकिन मधुमक्खियों का परागण बीजों की क्षमता को बढ़ा देता है.

बीज उत्‍पादन पर होगा असर

इंडियन एक्‍सप्रेस की एक रिपोर्ट के अनुसार प्याज के बीज उत्पादन पर इसका असर पड़ सकता है. सतारा के कोरेगांव तालुका के अनपतवाड़ी के किसान सुबहत होते ही अपने खेतों की तरफ निकल पड़ते हैं. लेकिन जब वो अपनी प्याज की फसल के सफेद तारे के आकार के फूलों पर मधुमक्खियों के झुंड को परागण करते हुए नहीं देखते हैं, तो उनकी उम्‍मीदें टूट जाती हैं. एक किसान नितीन मलिक के हवाले से अखबार ने लिखा कि फूल परागण के लिए तैयार हैं लेकिन एक भी मधुमक्खी नजर नहीं आ रही है. अब तक खेतों में मधुमक्खियों की भरमार हो जानी चाहिए थी लेकिन वो अब भी खाली हैं.

बीज की कटाई मुश्किल में

कुछ प्याज उत्पादक फसल के कंद की कटाई नहीं करते हैं. ये ऐसे किसान होते हैं तो बीज को उगाते हैं. ऐसे में बिना परागण के वो बीज की कटाई नहीं कर पाएंगे. मधुमक्खियां न होने से, किसान परेशान हैं. ये किसान कई वर्षों से सतारा स्थित राही नेचुरल सीड के कॉन्‍ट्रैक्‍टेड बीज उत्पादक किसान हैं. किसानों का कहना है कि मैनुअल परागण एक विकल्प हो सकता है लेकिन इसकी दक्षता मधुमक्खियों जितनी ज्‍यादा नहीं है.

परागण क्‍यों है जरूरी

किसान मधुमक्खियों को अपने उत्पादन चक्र का एक अनिवार्य हिस्सा मानते हैं. लेकिन इस साल प्याज के बीज उत्पादक और कंपनियां अपने खेतों में छोटे कीटों की अनुपस्थिति से हैरान हैं. गेहूं से अलग जो खुद परागण करता है. प्याज को परागण के लिए एजेंटों की जरूरत होती है और मधुमक्खियां 70 प्रतिशत से ज्‍यादा परागण करती हैं. ये छोटे कीट मधुमक्खियां (फूलों से निकलने वाला चिपचिपा मीठा तरल) की ओर आकर्षित होते हैं और उन पर बैठते हैं. इस प्रक्रिया में परागकण परागकोश (पुष्प का नर प्रजनन भाग) से मधुमक्खी के पैरों पर रगड़े जाते हैं और वर्तिकाग्र (मादा प्रजनन भाग) में जमा हो जाते हैं.

कंपनिया भी चिंतित

इस साल, मधुमक्खियों की गैर-मौजूदगी बीज उत्पादकों और कंपनियों दोनों के लिए चिंता का विषय है. छत्रपति संभाजीनगर में एलोरा नेचुरल सीड्स के अध्यक्ष भैरवनाथ बी थोम्बरे ने इस समस्या को स्वीकार किया है. बीज के सबसे बड़े उत्पादकों में से एक, इस कंपनी ने प्याज के बीज उत्पादन के लिए वाशिम, यवतमाल, जालना, छत्रपति संभाजीनगर और मध्य प्रदेश के कुछ हिस्सों के किसानों के साथ अनुबंध किया है. उन्होंने बताया कि एक एकड़ से करीब 2-2.5 क्विंटल बीज काटा जाता है.’

किसानों के लिए जरूरी हैं बीज

किसान अक्टूबर और नवंबर के बीच अपनी फसल लगाते हैं. पहला फूल जनवरी में शुरू होता है और मार्च तक जारी रहता है. इस महत्वपूर्ण समय के दौरान मधुमक्खियां फूलों पर बैठती हैं. एक बार परागण हो जाने और बीज बनने के बाद, किसान उसकी कटाई करते हैं. धूप में सुखाने के बाद, बीज को एलोरा और राही जैसी कंपनियों को भेज दिया जाता है. यहां इसका परीक्षण, ट्रीटमेंट, पैकिंग और बाजारों में भेज दिया जाता है. देश में औसतन एक साल में लगभग 15,000 टन प्याज के बीज का उत्पादन होता है. प्याज किसान ज्यादातर अपने खुद के बीज का उपयोग करते हैं और अगर कोई कमी होती है तो उसे कंपनियां पूरा करती हैं.

Get Latest   Farming Tips ,  Crop Updates ,  Government Schemes ,  Agri News ,  Market Rates ,  Weather Alerts ,  Equipment Reviews and  Organic Farming News  only on KisanIndia.in

Published: 9 Mar, 2025 | 06:00 AM

फलों की रानी किसे कहा जाता है?

फलों की रानी किसे कहा जाता है?