Haryana News: हरियाणा में धान की खरीद धीरे-धीरे रफ्तार पकड़ रही है. इसी बीच इनेलो (INLD) के नेताओं ने शुक्रवार को करनाल की नई अनाज मंडी पहुंचकर सरकार पर धान में नमी के बहाने किसानों को लूटने का आरोप लगाया. नेताओं ने मांग की कि किसानों की धान की खरीद न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर की जाए. उन्होंने मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी के नाम एक ज्ञापन मंडी समिति सचिव को सौंपा और चेतावनी दी कि अगर जल्द समाधान नहीं हुआ तो आंदोलन तेज किया जाएगा.
पार्टी के प्रदेश उपाध्यक्ष यशवीर राणा ने कहा कि किसानों की धान MSP से 300 से 400 रुपये कम दर पर खरीदी जा रही है, जो धोखा है. किसानों को ऑनलाइन पोर्टल पर भी दिक्कतें आ रही हैं, क्योंकि उनकी वेरिफिकेशन अब तक नहीं हुई है. अगर सरकार ने ये समस्याएं जल्दी नहीं सुलझाईं तो इनेलो सड़कों पर उतरेगी और मंडियां बंद कर देगी. पार्टी के राष्ट्रीय सचिव धर्मवीर पाढा ने कहा कि करनाल मंडी में खरीद प्रक्रिया ठीक से नहीं चल रही है. हमने मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन दिया है. अगर सरकार ने तुरंत कदम नहीं उठाए तो हम फिर से बड़े पैमाने पर किसानों के हक के लिए आंदोलन करेंगे.
किसानों को कई तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं
द ट्रब्यून की रिपोर्ट के मुताबिक, जिला अध्यक्ष सुरजीत सिंह शामगढ़ ने मांग की कि सरकार यह सुनिश्चित करे कि मंडियों में धान की खरीद पूरी दर यानी MSP पर हो. उन्होंने कहा कि अगर संकट के समय सरकार किसानों का साथ नहीं देगी, तो खुद को किसान हितैषी कहना बेकार है. मंडियों में खरीदार नहीं आ रहे हैं, जिससे किसानों को भारी परेशानी हो रही है. उन्होंने कहा कि किसानों की मांग पर हरियाणा में 22 सितंबर से धान की खरीद शुरू तो हुई, लेकिन फिर भी किसानों को कई तरह की दिक्कतें झेलनी पड़ रही हैं.
मंडी में ही फसल को सुखाने की व्यवस्था की जानी चाहिए
उन्होंने कहा कि बीजेपी सरकार में किसान लगातार घाटे में जा रहे हैं, जबकि इनेलो हमेशा किसानों के हक के लिए खड़ी रही है. हम कभी भी किसानों के साथ अन्याय नहीं होने देंगे. शामगढ़ ने आगे कहा कि धान की खरीद MSP पर होनी चाहिए और नमी के नाम पर किसानों को ठगा नहीं जाना चाहिए. 17 फीसदी तक नमी वाले धान की तुरंत खरीद होनी चाहिए और अगर नमी इससे ज्यादा है, तो मंडी में ही फसल को सुखाने की व्यवस्था की जानी चाहिए.
मजदूर हड़ताल के कारण धान खरीद में रुकावट
वहीं, सिरसा के किसानों को दो दिन की मजदूर हड़ताल के कारण धान खरीद में रुकावट के कारण भारी आर्थिक नुकसान हुआ. भारतीय किसान एकता (BKE) के प्रदेश अध्यक्ष लखविंदर सिंह औलख के मुताबिक, हड़ताल से देरी हुई और कई किसान मजबूरन अपनी फसल मार्केट रेट से कम दाम पर बेचने पड़े. औलख ने कहा कि किसानों की खरीफ फसल पहले ही बाढ़, भारी बारिश और जलभराव से खराब हो चुकी थी. अब जब वे बची हुई फसल बेचने मंडी आते हैं, तो उन्हें कीमतें कम करने और अनुचित कटौतियों के जरिए लूटा जा रहा है.